भड़ास blog
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
6.11.11
दर्द
शिकायत क्या करुं तुमसे,
कुछ कमी मुझमें ही थी?
तुमने क
·fe
चाहा ही नहीं,
मैं फिर
·fe
तुम्हें चाहता रहा।
दूरियों ने की है चुगली,
मेरी नजदीकियां तुम्हें दर्द देती थीं?
रविकुमार बाबुल
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