हिन्दुस्तान कब कहेगा ..............?
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा है कि ब्रिटेन एक ईसाई देश है और ''हमें ये बताने
में डरना नही चाहिए''.
सवाल यही से उठता है हम विश्व को कब कहेंगे कि भारत भी हिन्दू राष्ट्र है.हमारे नेता अपने
को सर्वधर्म का सिर्फ सन्देश सुनाते हैं मगर तुष्टिकरण कि राजनीति करते हैं.
जब ये लोग मंच से मुस्लिम तुष्टिकरण कि बात सार्वजनिक रूप से करते हैं तो कोई भी दल
यह कहने का साहस नहीं करते हैं कि ये गलत है, यह अन्याय है, पक्षपात कि राजनीति है.
आज हिन्दू अपने ही देश में बेगाना हो गया है ,नेता लोग एक ही भाषा समझते हैं -वोट
और वोट बैंक. हिन्दू भी यदि संगठित रूप से वोट बैंक बन जाए तो क्या मजाल हिन्दू हित
कि अनदेखी हो, मगर हिन्दू कि आपस कि लड़ाई ही उसे डूबा रही है.
क्या दलित, अनुसूचित जनजाति,जनजाति ये सभी हिन्दू नहीं है ?मगर हिन्दुओ को आपस में
लड़ाकर विभेद पैदा किया जा रहा है और राजनीति कि रोटियाँ सेकी जा रही है .
आरक्षण के नाम पर ,जाती के नाम पर ,धर्म के नाम पर हिन्दू हितों को ही कोसा जाता है ?
कोई दल यह नहीं कहता कि आरक्षण का आधार जाती नहीं आर्थिक स्थिति होनी चाहिए ?
जाती के नाम पर दलित,अगड़ा,पिछड़ा ,जनजाति ,अनुसूचित जाती ये सब हिन्दुओ को तोड़ने
या कमजोर करने वाली बातें है.
जब कोई नेता ऐसी बातें मंच से करता है तो कोई भी आवाज नहीं होती है,ये कैसा सर्वधर्म
समभाव है ?एक को सुविधा और एक कि अनसुनी .
दोष भी हिन्दुओ का है क्योंकि वे वोट बैंक नहीं हैं .
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा है कि ब्रिटेन एक ईसाई देश है और ''हमें ये बताने
में डरना नही चाहिए''.
सवाल यही से उठता है हम विश्व को कब कहेंगे कि भारत भी हिन्दू राष्ट्र है.हमारे नेता अपने
को सर्वधर्म का सिर्फ सन्देश सुनाते हैं मगर तुष्टिकरण कि राजनीति करते हैं.
जब ये लोग मंच से मुस्लिम तुष्टिकरण कि बात सार्वजनिक रूप से करते हैं तो कोई भी दल
यह कहने का साहस नहीं करते हैं कि ये गलत है, यह अन्याय है, पक्षपात कि राजनीति है.
आज हिन्दू अपने ही देश में बेगाना हो गया है ,नेता लोग एक ही भाषा समझते हैं -वोट
और वोट बैंक. हिन्दू भी यदि संगठित रूप से वोट बैंक बन जाए तो क्या मजाल हिन्दू हित
कि अनदेखी हो, मगर हिन्दू कि आपस कि लड़ाई ही उसे डूबा रही है.
क्या दलित, अनुसूचित जनजाति,जनजाति ये सभी हिन्दू नहीं है ?मगर हिन्दुओ को आपस में
लड़ाकर विभेद पैदा किया जा रहा है और राजनीति कि रोटियाँ सेकी जा रही है .
आरक्षण के नाम पर ,जाती के नाम पर ,धर्म के नाम पर हिन्दू हितों को ही कोसा जाता है ?
कोई दल यह नहीं कहता कि आरक्षण का आधार जाती नहीं आर्थिक स्थिति होनी चाहिए ?
जाती के नाम पर दलित,अगड़ा,पिछड़ा ,जनजाति ,अनुसूचित जाती ये सब हिन्दुओ को तोड़ने
या कमजोर करने वाली बातें है.
जब कोई नेता ऐसी बातें मंच से करता है तो कोई भी आवाज नहीं होती है,ये कैसा सर्वधर्म
समभाव है ?एक को सुविधा और एक कि अनसुनी .
दोष भी हिन्दुओ का है क्योंकि वे वोट बैंक नहीं हैं .
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