पेंच को लेकर नीता के सवाल पर सदन में मंत्री का जवाब और सदन के बाहर मुख्यमंत्री की घोषणा में अंतर को लेकर शुरू हो गयीं हैं चर्चायें
भाजपा विधायक नीता पटेरिया द्वारा पेंच परियोजना को लेकर एक लगाया गया प्रश्न और सिचायी मंत्री का जवाब जन चर्चा में बना हुआ हें।इस संबंध में इंका नेता आशुतोष वर्मा ने सूचना के अधिकार के तहत प्रमुख सचिव जुलानिया के कार्यालय में आवेदन लगा कर प्रदेश द्वारा केन्द्र सरकार को पेंच परियोजना बंद करने के प्रस्ताव की प्रमाणित प्रतिलिपि मांगी थी। जिसे टाला जा रहा हैं।सदन के बाहर मुख्यमंत्री की घोषणा और सदन के अंदर सिचायी मंत्री के जवाब को लेकर तरह तरह की चर्चायें होने लगीं हैं। मेनन ने केवलारी सीट जीतने के लिये कमर कसने का आव्हान किया। केवलारी का प्रभार पाने वाले सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन ने जरूर आक्रामक तेवर अपनाये थे लेकिन कुछ विवादों में फंसने के बाद अब वे खामोश हो गये लगते हैं। ऐसा जरूर हो सकेता हैं जैसा कि पिछले चुनाव में हुआ था कि केवलारी विस से लोकसभा में तो भाजपा जीत जाये और विधानसभा में काग्रेस को एक बार फिर जीत मिल जाये। एफ.डी.आई. के विरोध में जिला भाजपा द्वारा समर्थन देने बाद भी उसकी दोरही भूमिका चर्चित हैं। ना तो कोई भी भाजपायी बंद कराने निकला और ना ही उन्होंने अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान ही बंद रखे।ऐसा क्यों हुआ इसे लेकर तरह तरह की चर्चायें सियासी हल्कों में जारी हैं।
पेंच को लेकर सदन के अंदर और बाहर के बयान हुये चर्चित -विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भाजपा विधायक नीता पटेरिया द्वारा पेंच परियोजना को लेकर एक प्रश्न लगाया गया था। इस प्रश्न का जवाब देते हुये जल संसाधन मंत्री जयंत मलैया ने कहा कि प्रदेश सरकार इस योजना को चालू रखे हुयी हैं। लेकिन यह योजना कब तक पूरी होगी? इस सवाल का जवाब वे यह कहकर टाल गये कि भू अधिग्रहण के मामलों में विलंबहोने के कारण यह नहीं बताया जा सकता कि येयोजना कब तक पूरी होगी। विधानसभा में लगाये गये प्रश्न को लेकर भी कुछ सवाल खड़े हो गये हैं। पहला सवाल तो यह है कि नीता पटेरिया ने यह सवाल क्यों नहीं पूछा कि क्या प्रदेश सरकार ने लागत बढ़ने के कारण बंद करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा था या नहीं? यह सर्वविदित हैं कि प्रमुख सचिव आर.एस.जुलानिया ने एक वीडियो कांसफ्रेसिंग में यह निर्देश दिये थे किप्रदेश सरकार ने इस योजना को बंद करने के निर्देश केन्द्र को भेज दिये हैं। इसनिर्देश के बाद ही मुख्य अभियंता के कार्यालय से दूसरी तिमाही के लिये आवंटित राशि में से 20 सितम्बर 2011 तक खर्च की गयी 327 करोड़ रु. की राशि के बाद शेष बची एक करोड़ 22 लाख रुपये की राशि समर्पण करने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया था। इस संबंध में इंका नेता आशुतोष वर्मा ने सूचना के अधिकार के तहत प्रमुख सचिव जुलानिया के कार्यालय में आवेदन लगा कर प्रदेश द्वारा केन्द्र सरकार को पेंच परियोजना बंद करने के प्रस्ताव की प्रमाणित प्रतिलिपि मांगी थी जिसे प्रमुख सचिव ने प्रमुखअभियंता सिंचायीको अग्रेषित कर दिया था और प्रमुख अभियंता ने मुख्यअभियंता सिचायी को भेज दिया था। जिसपर मुख्य अभियंता ने यह जवाबदेदिया था इस कार्यालय से केन्द्र सरकार को ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया हैं। यहां यह विशेषरूप से उल्लेखनीय हैं किकेन्द्र सरकार को कोई भी प्रस्ताव प्रदेश सहकार से ही भेजा जाता हैं मुख्यअभियंता ऐसा कोई प्रस्ताव सीधे केन्द्र सरकार को भेज ही नहीं सकते हैं। यह सवाल उठनाभी स्वभाविक ही हैं कि यदि प्रदेश सरकार की इस योजना को बंद करने की कोई योजना नहीं थी तो फिर मुख्य अभियंता के कार्यालय से स्वीकृत राशि में 1 करोड़ 22 लाख रुपये सरेंडर करने का प्रस्ताव शासन को क्यों भेजा गया?यहां यह भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि अपनी रथ यात्राकेदौरान जब पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी छिंदवाड़ा आये थे और मंच से पेंच परियोजना बंद की बात उठी थी तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दहाड़ कर कहा था कि कोई भी माई का लाल इस परियोजना को बंद नहीं करा सकताऔर यह योजना 2013 तक पूरी कर ली जायेगी। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ पर अड़ंगे लाने का आरोप भी लगाया था। लेकिन जब विधानसभा में उनकी ही पार्टी की विधायक नीता पटेरियाने इस योजना के पूरे होने के बारे सवाल पूछा तो सदन के अंदर उनकी ही सरकार के मंत्री अवधि बताने को यह कह कर टाल गये कि भू अर्जन के मामलों में विलंब होने के कारण यह अवधि नहीं बतायी जा सकती। प्रदेश में भाजपा सरकार का यह आठवां साल हैं लेकिन सरकार के पास इय बात भी कोई जवाब नहीं हैं कि उनकी सरकार का प्रशासनिक अमला इन आठ सालों में भी भूअर्जन के मामले निपटाक्यों नहीं पाये? सदन के बाहर मुख्यमंत्री की घोषणा और सदन के अंदरसिचायी मंत्री के जवाब को लेकर तरह तरह की चर्चायें होने लगीं हैं।
हर हाल में केवलारी विधानसभा जीतने की बात कर गये मेनन -प्रदेश भाजपा के संगठन मंत्री अरविंद मैनन का दौरा सियायी हल्कों में चर्चित हैं। वैसे तो यह दौरा वोट फार नोट कांड़ में फंसे भाजपा नेता फग्गन सिंह कुलस्ते के लखनादौर और केवलारी प्रवास को लेकर था लेकिन बताते हैं कि मेनन ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि इस बार पार्टी को चारों सीटों पर विजय मिलनी चाहिये। वैसे भी जिले में तीन सीटें तो भाजपा के पास हैं ही सिर्फ केवलारी सीट से इंका के हरवंश सिंह विधायक है जो किविस उपाध्यक्ष हैं। मेनन ने केवलारी सीट जीतने के लिये कमर कसने का आव्हान किया। वैसे भाजपायी हल्कों में सन 1993 के चुनाव से ही यह चर्चा आम रही हैं कि केवलारी में हर चुनावमें भाजपा को भाजपा ही हराती हैं। यह बात अलग है कि हर बार चेहरे बदल जाते हैं। कुछ दिनोंपहले केवलारी का प्रभार पाने वाले सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन नेजरूर आक्रामक तेवर अपनाये थे लेकिन कुछ विवादों में फंसने के बाद अब वे खामोश हो गये लगते हैं। अब यह तो खोज का विषय है कि वे खुद खामोश हो गयें हैं या उन्हें खामोश करा दिया हैं? यदि ऐसा ही रहा तो मेनन जी की जीतने की बात एक बार फिर धरी की धरी रह जायेगी। हां ऐसा जरूर हो सकेता हैं जैसा कि पिछले चुनाव में हुआ था कि केवलारी विस से लोकसभा में तो भाजपा जीत जाये और विधानसभा में काग्रेस को एक बार फिर जीत मिल जाये। इंका और भाजपा के बीच सुविधा का संतुलन दसों सालों से चलते आ रहा हैं जो कि अगली बार रुकेगा इसकी संभावना कम ही दिख रही हैं।
बंद को लेकर भाजपा की भूमिका चर्चित-एफ.डी.आई.याने खुरदा व्यापार में विदेशी निवेश को लेकर बंद में भाजपा की दोहरी भूमिका चर्चित है। व्यापारियों द्वारा आहूत बंद को जिला भाजपा अध्यक्ष सुजीत जैन जैन ने भाजपा का समर्थन घोषित किया था। लेकिन सिवनी में ना तो बंद सफल रहा और ना ही समर्थन देने के बाद कोई भी भाजपायी बंद कराने निकला।और तो और भाजपायियों के व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी पूरी तरह ऐसे खुले रहे मानो वे केन्द्र सरकार की इसनीति के समर्थन में हों और मजबूरी में उन्होंने बंद का कागजी समर्थन दिया हो। भाजपा के व्यापारिक प्रकोष्ठ ने जरूर बंद के दूसरे दिन कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री जरूर कर ली थी। अब ऐसा क्यों हुआ? इसे लेकर तरह तरह की चर्चायें जरूर राजनैतिक हल्कों में चर्चित हैं।
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