बटला हाउस प्रकरण में दिग्विजय सिंह का बयान तथा उसका विरोधी चिदंबरम का बयान तथा उन दोनों का कांग्रेस में बने रहना तथा कांग्रेस मुखिया की चुप्पी वस्तुतः इशारे भर से यह साबित करने के लिए पर्याप्त है की यह सब कांग्रेस मुखिया की ही शह पर हो रहा है | अन्यथा की स्थिति में कांग्रेस मुखिया की तरफ से कोई न कोई प्रतिक्रिया आनी ही चाहिए थी लेकिन आये कैसे ? जब कांग्रेस के युवराज भी इसी प्रकार का बयान देते फिर रहे हैं और उम्मीद लगाए बैठे हैं की इसी प्रकार की बयानबाजी उन्हें उ प्र के चुनावों में विजयश्री दिला सकती है क्योंकि इससे पिछले चौसठ साल से गुमराह किये गए मुसलामानों को एक बार फिर गुमराह किया जा सकता है तो क्यों न यही फार्मूला अपनाया जाय . आखिर दिग्विजय सिंह का यह बयान मुसलमानों को यह सोचने को तो मजबूर करेगा ही कि हो सकता है कि बटला हाउस का प्रकरण फर्जी हो. भले ही गृहमंत्री कुछ भी बयान देते रहें लेकिन राहुल गाँधी व उनको प्रधान मंत्री पद का सपना दिखा रहे या खुद राहुल के प्रधानमन्त्री बनने का सपना देखकर अपने अपने टिकटों के जुगाड़ को पक्का कर रहे दिग्विजय सिंह के बयान से कदाचित यह मुठभेड़ फर्जी ही साबित हो जाए . और फर्जी न भी हो तो कुछ दिन तो यह हवा बनायी ही जा सकती है और इससे यह लाभ उठाया ही जा सकता है . रही बात प्रधानमंत्री या गृहमंत्री के बयान की तो उनकी क्या बिसात जो राहुल जी के बयान का विरोध कर दें . आखिर राहुल तो युवराज हैं . और मन से ही मौन पी ऍम को कांग्रेस में पूछता ही कौन है ? संसद में उनके द्वारा टीम अन्ना व अन्ना को दिया गया वचन जिस हश्र को प्राप्त हुआ व जिस तरह की बातें अक्सर सुनने में आती हैं वे तो कम से कम यही साबित करती हैं कि पी एम या एच एम सभी राहुल के सामने बौने हैं . अब मुसलामानों को धोखे में रखने के लिए दिया गया यह बयान वास्तव में उन्हें इस विषय में भरमाये रखने के लिए दिया गया है ताकि वे इसी चक्कर में वोट दे दें . लेकिन कहीं हिन्दू नाराज न हो जाए तो पी एम और पी चिदंबरम का बयान भी जारी कर दिया गया ताकि हिन्दू मत भी सुरक्षित रहे . यानी एक मत सुरक्षित रखकर मुसलमानों का मत अपने पक्ष में करने की यह सारी कवायद वास्तव में कांग्रेस हाई कमान की नपी तुली सोच का हिस्सा है . एक सूक्ति है - वारान्गनेव नृपनीतिरनेकरूपा यानी जैसे वारांगना के लिए सिर्फ पैसा ही सब कुछ होता है वैसे ही राजनीति के लिए सत्ता के कारण सब कुछ नेता लोग करते हैं . इसी को कदाचित युद्ध और प्यार में सब कुछ जायज का नाम दिया गया है. आजकल इसी का रूप सब तरफ देखने को मिल रहा है.
इधर एक खबर है कि बाबा रामदेव के ऊपर कामरान नाम के एक व्यक्ति ने काली स्याही फेंक दी है . दिग्गी बाबू के पास उस व्यक्ति की उसके बारे में सारी जानकारी है . जिसे भी कुछ नया जानना हो तो वो दिग्गी बाबू से संपर्क कर सकता है. घटना के दिन ही दिग्गी बाबू उसके बारे में सब कुछ बताते फिर रहे थे उसके प्रवक्ता की तरह .मुझे हैरानी हुई . राजनाथ सिंह के साथ एक फोटो देखा गया है और शायद उस कामरान ने राजनाथ के लिए काम या प्रचार भी किया हो . खैर , जो भी हो . इस वक्त रामदेव सिर्फ कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का काम का रहे थे . अन्ना ने जहां सोच समझ कर कांग्रेस विरोध से हाथ पीछे खींच लिया है वहीँ रामदेव अभी भी कांग्रेस का विरोध कर रहे हैं तो कांग्रेस की चिंता तो स्वाभाविक है. लगता है के कांग्रेस ने बहुत से लोगों की सूची बना रखी है जिनका डाटा उसके पास है जो उसके लिए विरोधियों पर बाण का काम करेंगे . राजनीति का यह स्वरुप कितना भयानक है इसका अंदाजा इसी घटना से लगाया जा सकता है.
खैर , कौन जाने इसी तरह की बढती घटनाएं ही जनता को यह सोचने पर मजबूर कर दें तथा धीरे धीरे वो इतनी समझदार तो हो ही जाए के कोई उसे बेवकूफ ही न बना सके . पर क्या यह संभव होगा उस देश में जहां की आधी से अधिक आबादी अनपढ़ हो.
इश्वर खैर करे .
इधर एक खबर है कि बाबा रामदेव के ऊपर कामरान नाम के एक व्यक्ति ने काली स्याही फेंक दी है . दिग्गी बाबू के पास उस व्यक्ति की उसके बारे में सारी जानकारी है . जिसे भी कुछ नया जानना हो तो वो दिग्गी बाबू से संपर्क कर सकता है. घटना के दिन ही दिग्गी बाबू उसके बारे में सब कुछ बताते फिर रहे थे उसके प्रवक्ता की तरह .मुझे हैरानी हुई . राजनाथ सिंह के साथ एक फोटो देखा गया है और शायद उस कामरान ने राजनाथ के लिए काम या प्रचार भी किया हो . खैर , जो भी हो . इस वक्त रामदेव सिर्फ कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का काम का रहे थे . अन्ना ने जहां सोच समझ कर कांग्रेस विरोध से हाथ पीछे खींच लिया है वहीँ रामदेव अभी भी कांग्रेस का विरोध कर रहे हैं तो कांग्रेस की चिंता तो स्वाभाविक है. लगता है के कांग्रेस ने बहुत से लोगों की सूची बना रखी है जिनका डाटा उसके पास है जो उसके लिए विरोधियों पर बाण का काम करेंगे . राजनीति का यह स्वरुप कितना भयानक है इसका अंदाजा इसी घटना से लगाया जा सकता है.
खैर , कौन जाने इसी तरह की बढती घटनाएं ही जनता को यह सोचने पर मजबूर कर दें तथा धीरे धीरे वो इतनी समझदार तो हो ही जाए के कोई उसे बेवकूफ ही न बना सके . पर क्या यह संभव होगा उस देश में जहां की आधी से अधिक आबादी अनपढ़ हो.
इश्वर खैर करे .
No comments:
Post a Comment