क्या मुसलमानों के साथ नाइंसाफी के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिम्मेदार है?
क्या मुसलमानों के साथ नाइंसाफी के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिम्मेदार है?
यह सवाल खड़ा किया है भविष्य में भारत का प्रधानमंत्री बनने का सपना (दिवास्वप्न ) देखने वाले
युवा ने .जो लोग इस बयान की तरफदारी करते हैं वो तथाकथित धर्म निरपेक्ष हो सकते हैं.
क्या हिन्दू हित की बात करना मुस्लिम विरोध करना है ?इस देश का हिन्दू यदि अपने देश में अपने
हित की बात नहीं सोचेगा तो क्या पाक में जाकर सोचेगा .
कश्मीरी हिन्दू शरणार्थियों की कोई बात नहीं करता है?क्यों? क्या कश्मीर में पैदा होना ही उनका
गुनाह है .१९९० से आज तक उन्हें अपने ही देश में शरणार्थी के रूप में दर-दर भटकना पड़ रहा है ?
क्या किया हमारी धर्म निरपेक्ष सरकार ने उनके लिए ?क्या मुस्लिम चाटुकारिता ही धर्म निरपेक्षता
है .ऐसी धर्मनिरपेक्षता से क्या भला होगा हमारे वतन का ?आज इस देश का नाम हिन्दुस्थान
यदि सुनना है तो पाक चेनल या रेडियो सुनना पडेगा ,हमारे यहाँ तो "हिन्दुस्थान "नाम लेना भी
सांप्रदायिक हो सकता है .
करोडो हिन्दुओ पर शासन करने का सपना है उनका,किसकी बदोलत ?हिन्दुओ का जाती आधारित
वर्गीकरण करके तथा अल्पसंख्यक वोट बैंक को मिला कर शासन करना क्या धर्म निरपेक्षता है?
इस देश में तथाकथित धर्म निरपेक्ष सरकारे रही है उन्होंने क्या किया अल्पसंख्यक समाज के लिए ?
सिर्फ सत्ता प्राप्ति के लिए किसी कौम को गुमराह करते रहना क्या धर्म निरपेक्षता है?क्या ऐसी धर्म
निरपेक्षता स्वीकार की जानी चाहिये जो विभिन्न धर्मो में वैमनस्य फैलाये,किसी धर्म विशेष के लोगो
में जातिगत भेदभाव फैलाये .
राष्ट्रिय स्वयसेवक संघ ने कब सत्ता के लिए चुनाव लड़ा ?संघ ने कब "फतवे" जारी किये ?संघ ने कब
मुस्लिम विरोध किया ?संघ ने राष्ट्र प्रेमी मुस्लिम को स्वीकार किया है ,मानवता प्रेमी इसाई को
स्वीकारकिया है .इस देश की प्रगति के साथ जुड़े हुए हर कौम के लोगो के साथ संघ हर समय खड़ा
रहता है .
जो लोग इस देश में रहकर भी इस देश के होना नहीं चाहते ,जो लोग इस देश में रहकर भी हिन्दुओ
का धर्म परिवर्तन करने की नापाक कोशिश करते हैं जो लोग धर्म और बहुसंख्यक समुदाय का खोटा
भय दिखाकर खुद का स्वार्थ साधना चाहते हैं वो लोग विकृत सोच के जीव हैं ऐसे लोग ना तो किसी
कौम का भला करते हैं ना ही हिन्दुस्थान का भला करने वाले हैं .
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