तुमको मेरे शहर जाना था, सो मैंने तय किया कि रास्ते में ही, मैं तुम्हारे साथ हो लूंगा। तुम मुझे ट्रेन में मिल गयी थीं। बीते दिनों की मेरी यादों की तरह ही ट्रेन ने भी रफ्तार पकड़ ली थी। तभी सामान बेचता हुआ फेरी वाला आ गया। हम लोगों के पास आकर रुकते हुये, उसने सभी यात्रियों से पेपर वेट के अन्दर झांकते ताजमहल को खरीदने की गुजारिश की थी। लेकिन वह पल भर भी नहीं रुका था, जब मैंने कह दिया था कि तुम्हारे ताजमहल को खरीद कर क्या करुंगा? मैं अपने साथ जीता-जागता ताजमहल लेकर जा रहा हूं। यह सुनकर तुम्हारा चेहरा सुर्ख गुलाबी हो गया था और मेरी तरह ही सभी सहयात्रियों ने पहली बार संगमरमरी ताज को गुलाबी होते हुये देखा था।
- रवि कुमार बाबुल
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