अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
15.3.12
प्यार
तुम कहते हो,
तुम्हें मुझसे प्यार नहीं रहा।
तब इक बार,
क्यूं नहीं कह देते हो,
तुम, मुझसे,
‘मुझे तुमसे नफरत है’।
मैंनें तुम्हारे प्यार पर,
किया है विश्वास।
तुम्हारे नफरत पर भी,
यकीन कर लूंगा।
pyar ka naheen hona nafarat hona nahee hai kyonki nafarat bhee pyar ka hee ek roopantaran hai .
ReplyDeleteachcha likhe.....
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