शंकर जालान
बीते सप्ताह पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक कार्टून न केवल चर्चा का विषय बना, बल्कि इस कार्टून पर काफी बवाल भी मचा। यहां तक कि इंटरनेट पर कार्टून जारी करने वाले यादवपुर विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले रसायन के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्र और उनके पड़ोसी सुब्रत सेनगुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि अदालत से दोनों को जमानत मिल गई, लेकिन इस घटनाक्रम ने जहां लोगों को यह बता दिया कि सत्तासीन पार्टी तृणमूल कांग्रेस कुछ भी बोलने या लिखने वालों के ऐसा ही किया जाएगा। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सहयोगी पार्टी कांग्रेस के साथ-साथ मुख्य विपक्षी दल माकपा के आलावा भाजपा ने कार्टून मसले पर प्रोफेसर व उनके पड़ोसी की गिरफ्तार का सत्ता का गलत उपयोग बताया।
आपको बताते चले की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, रेल मंत्री मुकुल राय और पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी पर केंद्रित कार्टून इंटरनेट पर जारी किया गया था, जिसे तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेता अपमानजनक कार्टून की संज्ञा दे रहे हैं। सूत्रों की माने तो तृणमूल कांग्रेस की सह पर ही पुलिस ने प्रोफेसर और उनके पड़ोसी को गिरफ्तार किया। हालांकि कोलकाता पुलिस के उपायुक्त (दक्षिण) सुजय चंदा ने कहना है कि प्रोफेसर को कार्टून के लिए नहीं बल्कि कुछ प्रतिष्ठित व्यक्तियों के बारे में अपमानजनक बातें इंटरनेट पर डालने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। है। शुक्रवार ने जब उनसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों का नाम जानना चाहा, तो उन्होंने नामों का खुलासा करने से इंकार कर दिया।
इस बारे में जानकारों लोगों का कहना है कि कार्टून में इस तरह का कुछ नहीं था, जिससे तृणमूल कांग्रेस को अपमान बोध हो और प्रोफेसर को गिरफ्तार करना पड़े। इन लोगों ने कहा कि तमाम अखबारों में कार्टून छपते हैं, कुछ अखबारों में तो कार्टून के एक विशेष स्थान तय होता है। कार्टून बनाने वाले कई बार यह दिखाने की कोशिश करते हैं, कि इनदिनों देश, दुनिया, समाज, फिल्म या फिर राजनीति में क्या हो रहा है। इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता है कार्टून जिस पर बना हो उसे नागवार लगता हो, लेकिन इसे भी झुठलाया नहीं जा सकता कि कार्टून देखने व पढ़ने वाले कार्टूस्टि की सोच की तारीफ जरूर करते हैं। ध्यान नहीं आता कि कार्टून को लेकर किसी देश, समाज, पार्टी, नेता या फिर व्यक्ति ने इतना बवाल मचाया हो और कार्टून बनाने या जारी करते वाले को इसकी कीमत गिरफ्तार होकर चुकानी पड़ी हो।
पुलिस का कहना है कि प्रोफेसर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और सूचना तकनीक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्हें साइबर क्राइम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था। तृणमूल कांग्रेस के समर्थक भले ही पुलिस कार्रवाई को जायज ठहरा रहे हो और यह कहते फिर रहे हो कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और पार्टी के अन्य नेताओं से संबंधित अपमानजनक कार्टून बनाने तृणमूल सरकार की नीतियों का मखौल उड़ाने वाले का भविष्य में भी यही हश्र होगा। लेकिन उसकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने ममता के इस कदम की निंदा की है। कांग्रेस सांसद मौसम बेनजीर नूर का कहना है कि यह लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सचिव राहुल सिन्हा ने सरकार की इस कार्रवाई को सत्ता का दुरुपयोग करार दिया है। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता और राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सूर्यकांत मिश्र इस वाकिए को अत्यंत हास्यास्पद बताया। उन्होंने कहा कि इस घटना से साफ हो जाता है कि सहनशीलता का अभाव है। भापका के राज्य सचिन मंजू कुमार मजुमदार ने कहा कि राज्य सरकार लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार का हनन कर रही है।
कांग्रेस, भाजपा, माकपा और भाकपा के नेताओं के बयान को गैर जरूरी बताते हुए राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हाकिम कहते हैं कि इस तरह की किसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। परिवहन मंत्री मदन मित्र कहते हैं कि प्रोफेसर ने जो किया वह शिक्षक की गरिमा के खिलाफ है। श्रम मंत्री पूर्णेंदु बसु कहना है कि यह ममता बनर्जी का अपमान कर उनकी छवि पर धूमिल करने का प्रयास किया गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि माकपा मेरी छवि खराब करने के लिए तरह-तरह के मुद्दे उछाल रही है। माकपा के नेता इसी कोशिश में लगे रहते हैं कि कैसे मुझे फंसाया जा सके और बदनाम किया जा सके।
वहीं, तृणमूल के बागी सांसद कबीर सुमन ने कहा कि उन्होंने कार्टून देखा है, लेकिन वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि यह किस प्रकार साइबर अपराध है। यह हास्य व्यंग्य के रूप में बनाया गया है। अगर आज प्रोफेसर को गिरफ्तार किया गया है तो कौन जानता है कल हमें भी गिरफ्तार किया जा सकता है। सुमन कहते हैं कि मुझे भी वह कार्टून ई-मेल से मिला है। लेकिन उसमें वैसी कोई अपमानजनक बात नजर नहीं आती। ममता के करीबी समझे जाने वाले जाने-माने शिक्षाविद् सुनंद सान्याल ने भी इस घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों ने इस बदलाव की उम्मीद नहीं की थी। अभिनेता कौशिक सेन ने सवाल किया कि कार्टून बनाने वाले को गिरफ्तार करना कहां का कानून है? यह प्रवृत्ति खतरनाक है। यही सिलसिला जारी रहा तो बाद में हमारे नाटकों पर भी पाबंदी लगा दी जाएगी और घरों पर हमले किए जाएंगे।
दूसरी ओर, प्रोफेसर की गिरफ्तारी के खिलाफ में यादवपुर व प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय में छात्रों व शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन किया और जुलूस निकाला। विश्वविद्यालय के दूसरे प्रोफेसरों का मानना है कि अपनी भावनाओं को व्यक्त करना कोई जुर्म नहीं हैं और इसके लिए किसी को गिरफ्तार करना अनुचित है। यादवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन के अध्यक्ष पार्थ प्रतीम विश्वास ने बताया कि आए दिन अकसर पत्र-पत्रिकाओं में सरकार व मंत्रियों के खिलाफ व्यंगात्मक कोलॉज व लेख प्रकाशित किए जाते हैं पर उनपर कोई कार्रवाई नहीं होती तो फिर इस मामले में प्रोफेसर को किस वजह से गिरफ्तार किया गया। इस घटना कि निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि देश में हर व्यक्ति को अपनी बातों को समाज के समक्ष रखने की आजादी है। उन्होंने कहा कि एक तरह लोगों का वाहवाही लूटने के लिए ममता बनर्जी बीमार काटूनिस्ट को देखने अस्पताल जाती हैं और दूसरे ओर कार्टून बनाने वाले की गिरफ्तारी को जायज बता रही हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे पर राज्यपाल एमके नारायणन से मिलेगा।
मालूम हो कि प्रोफेसर का इंटरनेट पर जारी कार्टून सत्यजीत रे की फिल्म सोनार केल्ला पर आधारित है। उसमेंं कथित तौर पर पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को हटाने के लिए ममता बनर्जी और मुकुल राय को आपस में बातचीत करते हुए दिखाया गया है। ध्यान रहे कि रेल बजट में किराया बढ़ाने के बाद ममता और पार्टी के दबाव में त्रिवेदी को रेल मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
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