पेट्रोल की साढ़े साती...
22 मई को यूपीए
सरकार ने तीन साल पूरे किए...दिल्ली में भव्य भोज का भी आयोजन किया...अक्सर खामोश
रहने वाले हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी यूपीए 2 के तीन साल पूरे होने पर
कहा कि अब कड़े फैसले लेने का वक्त आ गया है...और हैरत की बात तो ये है कि अक्सर अपने वादों को पूरा न करने वाली सरकार के
मुखिया ने अगले ही दिन अपनी कही बात पर मुहर लगा दी। पेट्रोल के दाम में साढ़े सात
रुपये का ईजाफा हो गया। अब भले ही सरकार इसके पीछे तेल कंपनियों के घाटे के साथ ही
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का तर्क दे लेकिन सच्चाई किसी से छुपी नहीं है। लोगों
को उम्मीद थी की सरकार के तीन साल पूरे होने पर शायद सरकार आम लोगो को महंगाई से
निजात दिलाने के लिए कारगर कदम उठाएगी...सरकार ने त्वरित कदम भी उठाए लेकिन ये
महंगाई की मार से पहले से ही जूझ रहे लोगों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था। यूपीए
सरकार के तीन साल पूरे होने पर हमारे रिमोट संचालित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
सरकार की तारीफों के पुल बांधते नजर आ रहे थे...औऱ विश्व के खराब आर्थिक हालातों
के बाद भी भारत की तेज आर्थिक रफ्तार का श्रेय लेने से भी नहीं चूके। लेकिन
प्रधानमंत्री ये भूल गए कि ये उनकी सरकार की गलत नीतियों का नतीजा है कि भारत में
महंगाई अपने चरम पर है...और उसके लिए वे और उनकी सरकार के वे लोग भी कम जिम्मेदार
नहीं है। कड़े फैसले लेने के मनमोहन सिंह के बयान के बाद लगा था कि शायद अब उनकी
सरकार के भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ और देश के बाहर जमा काले धन को लेकर उनकी
सरकार कड़े फैसले लेगी...लेकिन 24 घंटे के अंदर ही पैट्रोल के दाम बढ़ने की खबर
के साथ ही साफ हो गया कि उनकी बातों में कितना दम था...औऱ उनका ईशारा कौन से कड़े
फैसले लेने की ओर था। पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी की अगर बात करें तो फरवरी 2010
से 15 बार पैट्रोल के दामों में बढ़ोतरी हुई है। साढ़े सात रुपये की ताजा बढ़ोतरी
के बाद भी तेल कंपनियां डेढ़ रूपए प्रति लीटर नुकसान की बात कह रही है...यानि की
आने वाले दिनों में भी पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी होने की बात से इंकार नहीं
किया जा सकता है। पेट्रोल की कीमतों में ईजाफे की खबर के बाद से ही आम लोगों में
जबरदस्त गुस्सा है। । वहीं मुख्य विपक्षी दल भाजपा के साथ ही यूपीए के सहयोगियों
ने भी पेट्रेल के दामों में इतनी बढ़ी बढ़ोतरी का विरोध करते हुए सरकार से रोल बैक
की मांग की है। पैट्रोल के दामों में लगी आग जैसे जैसे आम लोगों तक फैल रही
है...वैसे वैसे लोगों के गुस्से का ज्वालामुखी धधक रहा है...ऐसे में सरकार ने इस
ज्वालामुखी को ठंडा करने के लिए कारगर कदम नहीं उठाए तो ये 2014 में यूपीए 2 की
हैट्रिक के सपने पर पानी जरूर फेर देगा। बहरहाल पैट्रोल के दामों में बढ़ोतरी के
बाद से इस पर बवाल मचना तय है...और देशभर से आ रही खबरें भी कुछ इसी ओर ईशारा कर
रही हैं...ऐसे में सरकार पैट्रोल की इन बढ़ी हुई कीमतों पर आम जनता के हित में कोई
फैसला लेती है या फिर तेल कंपनियों के दबाव के आगे घुटने टेक देती है ये आने वाले
कुछ दिनों में साफ हो जाएगा। वहीं
उत्तराखंड सरकार ने पैट्रोल की बढ़ी हुई कीमतों पर 25 प्रतिशत वैट न लेने का फैसला
लेकर प्रदेशवासियों को राहत देने की कोशिश की है...इससे प्रदेश में पैट्रोल की
कीमतों में एक रुपये 87 पैसे की कमी तो आएगी...लेकिन ये राहत पहले से ही महंगाई की
मार झेल रहे लोगों के लिए ऊंट के मुंह में जीरे के समान लगती है।
दीपक
तिवारी
deepaktiwari555@gmail.com
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