24.5.12

मनदुख का अ(न)रथ- शास्त्र उधारीकरण ! उधारीकरण !! उधारीकरण !!!


 मनदुख  का अ(न)रथ- शास्त्र उधारीकरण ! उधारीकरण !! उधारीकरण  !!!


मेने मनदुख से पूछा -मनदुख ,देश कैसे चलता है ?
मनदुख बोला- उधारीकरण से .
मेने पूछा -उदारीकरण की बात तो सुनी थी मगर ये उधारीकरण कहाँ से आ गया .
मनदुख बोला -शुरू से हम उधारीकरण ही लाये थे मगर जनता इसे उदारीकरण समझ बैठी थी 
    जब आम आदमी ने इसे उदारीकरण के रूप में अपना लिया तो हम भी उदारीकरण कहने 
   लग गए .
मेने पूछा -मनदुख ,तुम तो पढ़े लिखे हो ,उधारीकरण को ज़रा विस्तार से समझायेंगे .
मनदुख बोला -उधारीकरण दुसरो पर रुआब डालने की कला है .अगर जेब में पैसे नहीं है तो 
    फिक्र क्यों करे .दोस्त से एक की जगह पाँच उधार ले लो और उसमे से तुरंत दौ रूपये उस 
   दोस्त पर उड़ा दो,शेष बचे तीन रूपये दुसरे दोस्त पर खर्च कर डालो और अगले दिन उससे 
   दस रूपये उधार मांग लो .इस तरह दोस्त भी बढ़ाते रहो और उधारीकरण भी चलने दो।
मेने कहा -मनदुख ,इससे तो कर्ज का अम्बार लग जायेगा .कर्ज चुकाया कैसे जायेगा ?
मनदुख बोला-बेटा रामभरोसे ,तुम बुद्धू है रे .अरे पैसा चुकाने की बात सोचता ही क्यों है ,
   सब कुछ राम आसरे चलने दे .पैसे उधार ले ,पैसे खर्च कर और सम्पर्क बढ़ा ,रूतबा बढ़ा ,
   कर्ज लेकर बंगला खरीद और चुपचाप बंगले को गिरवी रख बेंक में .बेंक से मिले पैसों से 
   जलसा कर .तेरा भभका देखकर लोग हैरान रह जाए ,फिर कर्ज ले उस बंगले के सहारे 
   मेलजोल वाले से .
मेने कहा -मनदुख ,मगर यह चक्र कब तक चलेगा ,आखिर तो मेरे से सब पैसे वापिस लेंगे 
   जब वो कर्ज चुकाने की बात करेंगे तब क्या होगा ?
मनदुख  बोला- अरे भले आदमी ,तू इस चक्कर को तब तक चला जब तक तू जिन्दा है और 
   तेरे मरने के बाद कोई तेरे पीछे उगरानी करने के लिये आने वाला नहीं .
   मगर लेनदार मेरे बच्चो से कर्ज अदा करने को कहेंगे तब क्या होगा ?
मनदुख बोला-तेरे मरने पर कुछ लेनदार तो रो कर रह जायेंगे और कुछ लेनदार जो ढिड होंगे 
   उनको बंगले का डिस इन्वेस्टमेंट करके तेरे बच्चे मूल रकम चुका देंगे और  समाज में अपना 
  ईमानदारी का रूतबा कायम करेंगे और फिर उधारीकरण की नीति पर आगे बढ़ जायेंगे .
"......मगर आखिर में किसी ना किसी को तो यह कर्ज चुकाना ही पडेगा ना मनदुख " मेने 
  डरते हुये पूछा .
मनदुख  बोला-यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहेगा और तेरे पोते के पोते यानी हजारो लोगों में 
    बँट जाएगा.
मेने कहा -मनदुख ,इसका मतलब मेरी सात पुस्ते  मुझे कोसती  रहेगी.
मनदुख  बोला -रामभरोसे ,एक बात याद रखना ,खुद मरने पर जग प्रलय . अपनी कट गयी 
   ना ,फिर सबकी चिंता मत कर .जैसे देश चलता है वैसे तू भी चल ..........        

No comments:

Post a Comment