17.5.12

सेनापति


सेनापति
कांग्रेस में सेनापति यानि मुख्यमंत्री की लड़ाई में तो बाजी विजय बहुगुणा ने मारी...लेकिन भाजपा को सेनापति यानि नेता प्रतिपक्ष चुनने में पसीना आ गया है। सरकार बने दो माह से ज्यादा का वक्त हो गया है...लेकिन लगता है भाजपा अभी भी सत्ता में लौटने का ख़्वाब संजोए बैठी है। भाजपा को उम्मीद है कि बहुगुणा विधायकी का चुनाव आसानी से नहीं जीत पाएंगे...और ऐसे में अगर वे उपचुनाव में बहुगुणा को पटखनी देने में कामयाब हो जाती है तो एक बार फिर से सत्ता में लौटने का रास्ता खुल सकता है। शायद यही वजह है कि भाजपा ने अभी तक नेता प्रतिपक्ष पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं...जाहिर है कि अगर ऐसी परिस्थिति बनती है तो भाजपा में भी कांग्रेस की तरह मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए दावेदारों की फेरहिस्त लंबी हो जाएगी...और उसमें एक नाम नेता प्रतिपक्ष का भी जुड़ जाएगा। उपचुनाव को लेकर बहुगुणा ने अभी तक भले ही अपनी चुप्पी न तोड़ी हो...लेकिन सदन में सामने वाली खाली कुर्सी पर बहुगुणा भी चुटकी लेने से नहीं चूक रहे हैं। 28 मई से विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है...जो 8 जून तक चलेगा...ऐसे में बिना सेनापति की भाजपा सेना कैसे फ्रंटफुट पर आकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेगी वो भी ऐसे समय में जब इस बार अधिकतर भाजपा विधायक पहली बार चुन कर आए है। बहरहाल बजट सत्र में अभी करीब डेढ़ सप्ताह से ज्यादा का वक्त है...बहगुणा भी सार्वजनिक मंचों से उपचुनाव पर जल्द चुप्पी तोड़ने की बात कह चुके हैं...लेकिन भाजपा सदन में सेनापति को लेकर अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं हैं...यानि भाजपा का पूरा ध्यान आगामी सत्र की बजाए उस उपचुनाव पर है...जो बैकफुट पर खड़ी भाजपा को सत्ता की लड़ाई में फ्रंटफुट पर ला सकता है।









  



दीपक तिवारी
deepaktiwari555@gmail.com

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