दोस्तों, आज सुबह का अखबार खोलते ही देखा कि ए. राजा की हंसती हुई तस्वीर मुख्य पृष्ठ पर है।देख कर सोचा कि आखिर 'राजा' ने ऐसा कौन सा महान काम कर दिया कि हंसती हुई तस्वीर अखबार के मुख्य पृष्ठ पर छपी है।तभी ध्यान आया कि 15 मई 2012 को तो दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट से ए. राजा को जमानत मिल चुकी है।शायद इसलिए 'राजा' देश की कानून व्यवस्था पर हँस रहे होंगे कि देश का सबसे बड़ा घोटाला करने के बावजूद उन्हें जमानत मिल गई।सोच रहे होंगे कि इतनी आसानी से जमानत मिल जाती है, मैंने पहले क्यों नहीं याचिका दी?जनाब याचिका देते भी कैसे?जिसके आदेश पर देश को लूटा है, जब तक उसका आदेश न आए याचिका देते भी कैसे?
गौरतलब है कि 1 लाख 76 हजार करोड़ के 2g घोटाले के सभी 14 आरोपी(राजा को लेकर) जमानत पर रिहा हो चुके हैं।कनिमोझी, तत्कालीन टेलीकॉम सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के तत्कालीन निजी सचिव आर.के. चंदोलिया, यूनिटेक वायरलेस के एमडी संजय चंद्रा, रिलायंस के ग्रूप एमडी गौतम दोषी, रिलायंस के सीनियर वाइस प्रेजीडेंट हरी नायर और सुरेंद्र पिपारा, डीबी रियलीटी और स्वान टेलीकॉम के प्रोमोटर और एमडी विनोद गोयनका, डीबी रियलीटी और स्वान टेलीकॉम के प्रोमोटर शाहिद बलवा और उनके भाई आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, कलैगनार टीवी के एमडी शरत कुमार, करीम मोरानी, और अब तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए. राजा भी जमानत पर रिहा हो चुके हैं।ए. राजा ने पहली बार 9 मई को जमानत की गुहार लगाई थी और 15 मई 2012 को उन्हें जमानत मिल भी गई।जैसा की श्री सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि आश्चर्य इस बात पर नहीं है कि राजा रिहा हो गए बल्कि आश्चर्य तो इस बात का है कि आखिर 15 महीने वो जेल में रह कैसे गए।शायद आलाकमान ने उन्हें याचिका दाखिल करने की इजाजत इसलिए नहीं दी होगी कि जब भी 2जी का मामला उठे तो सरकार दिखा सके कि उसने राजा के रूप में आरोपी को सजा दिलाई है।और जब एक-एक कर सारे भ्रष्टाचारी बाहर हो गए तो अंत में आलाकमान ने राजा को भी याचिका देने की इजाजत दे दी।आखिर जब सभी भ्रष्टाचारी बाहर आ गए तो भला राजा को कैसे बर्दाश्त होता।जिस तरह से पटियाला हाउस कोर्ट से भ्रष्टाचारियों और देशद्रोहियों को न्याय मिलता जा रहा है, लगता है आने वाले दिनों में वह भ्रष्टाचारियों के लिए 'पवित्र' और राष्ट्र के लिए 'अपवित्र' स्थल बन जाएगा।
सरकार और न्यायपालिका दोनों मिलकर जनता को किस हद तक बेवकूफ़ बनाते हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 2जी घोटाले ने मीडिया में तूल पकड़ा तो सरकार ने जनता को मूर्ख बनाने के लिए कुछ आरोपियों को जेल भिजवा दिया और जब मामला थोड़ा ठंडा पड़ा तो सभी भ्रष्टाचारी बाहर आ गए।ठीक यही हालत सीडब्ल्यूजी घोटाले की भी हुई।जनता को बेवकूफ़ बनाने के लिए कलमाड़ी को कुछ समय के लिए जेल भेज दिया गया और फिर वो भी हँसते-खिलखिलाते बाहर आ गए।ये सरकार और न्यायपालिका ने मिलकर एक नई प्रक्रिया बना दी है।पहले सरकार देश को लूटे, मामला सामने आने पर न्यायपालिका के मिलीभगत से देश को मूर्ख बनाने के लिए दो-चार आरोपियों को जेल भेजे और फिर मामला ठंडा होने पर न्यायपालिका के द्वारा सभी भ्रष्टाचारियों को जमानत दिलवाए।जमानत मिलते ही बड़े से बड़ा घोटाला समाप्त हो जाता है।यह शायद अब देश की कानूनी किताब का एकमात्र चैप्टर रह चुका है।ये न्यायपालिका के लिए शर्म की बात है कि देश का सबसे बड़ा घोटाला(2जी) के एक भी आरोपी इस वक्त जेल में नहीं हैं।सभी को जमानत दे दी है।और इसी के साथ सरकार और न्यायपालिका के मिलीभगत से 2जी घोटाले का मामला दफन हो गया।सीडब्ल्यूजी घोटाला तो कलमाड़ी के जमानत के साथ ही दफन हो चुका है।पता नहीं आगे सरकार और न्यायपालिका की ये दोस्ती राष्ट्र को और कितना शर्मशार करेगी!
भारत की कानून-व्यवस्था इतनी खोखली है कि यहाँ एक भ्रष्टाचारी के वकील द्वारा भी यह दलील दी जाती है कि उनके मुवक्किल ने बहुत समय जेल में बिता लिया, अब उन्हें छोड़ दिया जाए।और कोर्ट भी मात्र इस आधार पर बेल दे देती है कि जब इस मामले के सभी आरोपी रिहा हो चुके हैं तो राजा क्यों नहीं?आखिर ये कानून का खोखलापन नहीं तो और क्या है? सीबीआई के विशेष अदालत के जज ओ.पी. सैनी ने कहा कि जब 2जी मामले के सभी आरोपी रिहा हो चुके हैं तो राजा को भी जेल में रखने से कोई मकसद पूरा नहीं होता।सैनी जी यह बताएँ कि भ्रष्टाचारी को सजा दिलवाना न्यायपालिका का मकसद नहीं तो क्या है?क्या अब भ्रष्टाचारी को छुड़वाना ही न्यायपालिका का मकसद बन गया है?कोई न्यायाधीश इस बात पर चिंता प्रकट नहीं कर रहे हैं कि आखिर पहले सीडब्ल्यूजी और अब 2जी घोटाले के सभी आरोपी बाहर कैसे आ गए?बल्कि न्यायाधीश तो गर्व से यह फैसला सुनाकर कि जब सभी आरोपी जमानत पर रिहा हो गए तो राजा को भी जमानत मिलनी चाहिए, एक भ्रष्टाचारी की वकालत कर रहे हैं।आखिर राजा और कलमाड़ी जैसे भ्रष्टाचारियों और राष्ट्र के लूटेरों को जमानत देकर न्यायपालिका क्या साबित करना चाह रही है?कल तक जो जेल में बंद रहते हैं, उन देशद्रोहियों को जमानत देकर न्यायपालिका समाज को क्या संदेश देना चाह रही है?क्या यह कि अब देश सीडब्ल्यूजी और 2जी जैसे बड़े घोटालों को भूल जाए?आखिर क्यों न्यायपालिका भ्रष्टाचारियों को जमानत देकर उन्हें जेंटलमैन साबित करने पर तूली हुई है?
देश को अब सीबीआई से भी कोई उम्मीद नहीं है।सीबीआई का तो बस एक ही काम रह गया है कि भ्रष्टाचारियों के जमानत के वक्त उसका विरोध करना।अगर सीबीआई सचमुच निष्पक्ष होकर काम करती तो आज ये लूटेरे जेल से बाहर नहीं होते।रिहाई तो उनकी होती है जो गलती से पकड़े जाते हैं।2जी घोटाले में शामिल कई ऐसे औद्योगिक घराने हैं जिन तक सीबीआई पहुँच भी नहीं पाई है।पटियाला हाउस कोर्ट का राजा को जमानत देने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिल्कुल मेल नहीं खाता।जब सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में नियमों को तोड़ा गया और देश की बहुमूल्य संपत्ति औने-पौने दामों में दे दी गई तो आखिर पटियाला हाउस कोर्ट 2जी घोटाले के मुख्य आरोपी को जमानत कैसे दे सकती है?सुप्रीम कोर्ट को देश को यह बताना चाहिए कि जब तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए.राजा आरोपी नहीं हैं तो आखिर 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में हुई भारी गड़बड़ी का जिम्मेदार कौन है?सुप्रीम कोर्ट को 2जी घोटाले में रिहा हुए सभी आरोपियों की जमानत पर रोक लगानी चाहिए थी।जब सुप्रीम कोर्ट यह मान चुकी है कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में गड़बड़ी हुई थी तो आखिर उसके आरोपियों को जमानत किस आधार पर दी जा रही है?राष्ट्रभक्त जनता जवाब चाहती है।ए. राजा और कलमाड़ी जैसे भ्रष्टाचारियों को जमानत देकर न्यायपालिका ने साबित कर दिया कि आजकल कोई भी संस्था देशहित में काम नहीं कर रही।देश की नैया डूबाने में सभी का हाथ है।भ्रष्टाचारियों को लगातार जमानत देकर ये न्यायपालिका भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढ़ा रही है।ये न्यायपालिका ही इन्हें खुली छूट दे रही है कि खुलकर देश को लूटो, बचाने के लिए हम तो हैं ही।
हमारे पास केवल एक या दो उदाहरण ही नहीं हैं जिससे हम देश के कानून के खोखलेपन का अंदाजा लगा सकें बल्कि और भी कई उदाहरण हैं।पूर्व टेलीकॉम मंत्री सूखराम, जिनके घर से इतने सबूत बरामद हुए जो किसी भी व्यक्ति को भ्रष्टाचारी साबित करने के लिए काफी है।उन्हें भी कोर्ट ने यह कह कर जमानत दे दी कि अब इनकी उम्र हो चली है।कोर्ट अपने ही फैसलों से बड़ा ही हास्यास्पद दृश्य पैदा कर रही है जो कि सोचने पर मजबूर कर देती है कि अपने देश में कानून नाम की कोई चीज है या नहीं?कोई व्यक्ति खुलेआम अपनी महँगी गाड़ी से किसी को मौत के घाट उतार देता है और हमारा कानून उसका भी कुछ नहीं बिगाड़ पाता।उसे भी जमानत मिल जाती है।आखिर किस आधार पर न्यायपालिका उन्हें जमानत दे देती है?जिस रफ्तार से न्यायपालिका मुजरिमों को जमानत दिए जा रही है, लगता ही नहीं है कि जमानत कोर्ट में मिलती है।लगता है मानो जमानत बाजार में मिलती है और जिसे मन होता है खरीद लेता है।अगर हम राजनीतिक गलियारे में झांकें तो जिन्हें जेलों में होना था वो संसद में बैठे हैं।लालू यादव, जिन्हें जेल में होना चाहिए वो संसद में बैठकर हँसी-ठीठोली कर रहे हैं।कनिमोझी, जो देश के सबसे बड़े घोटाले में आरोपी थी, एक-दो बार पिताजी ने दिल्ली-दरबार में हाजिरी लगाई और 188 दिनों बाद रिहा होकर वो भी अब संसद में बैठी हैं।और अब राजा भी जेल से छूटकर नाचते हुए संसद में पहुँच ही चुके हैं।और भी कई ऐसे नाम हैं।सभी के नाम लिखने लगूं तो शायद सुबह से शाम एक ब्लॉग पोस्ट करने में ही लग जाए।
मैंने ऊपर जो भी उदाहरण दिए, वो ये साबित करने के लिए काफी हैं कि अपने देश की कानून-व्यवस्था किस हद तक भ्रष्टाचारियों के आगे झुकी हुई है।धन और बाहुबल के आगे नतमस्तक हैं कानून के रखवाले।मैं सर्वोच्च न्यायालय से यह विनती करता हूँ कि आप जमानत की व्याख्या और उसका अर्थ देशवासियों को बताएँ।हर भ्रष्टाचारी को जमानत किस आधार पर दी जा रही है?राष्ट्र को ये बताएँ।अगर नहीं बता सकते तो इन जमानतों पर रोक लगाएँ।क्या न्यायपालिका अपने मन से किसी को भी जमानत दे सकती है?क्या अपने कानून में इतनी छूट मिली हुई है कि देशद्रोहियों को भी जमानत मिल जाती है?न्यायपालिका ये भूले न कि जिसे वो जमानत दे रही है वो उनके मुजरिम नहीं बल्कि राष्ट्र के मुजरिम हैं।सुप्रीम कोर्ट को राष्ट्रहित में आगे आकर इन भ्रष्टाचारियों की जमानत पर रोक लगानी चाहिए।आखिर जब भ्रष्टाचारियों को इस रफ्तार से जमानत मिलते रहेगी तो जनता का न्यायपालिका पर से भरोसा उठ जाएगा।आखिर कहाँ जाएगी देश की आम जनता?किससे न्याय की उम्मीद करेगी?ये ऐसे सवाल हैं जिनपर सर्वोच्च न्यायालय को गंभीरता से सोचना चाहिए।आज कानून पर से जनता का विश्वास डगमगा रहा है जिसकी दोषी सिर्फ और सिर्फ न्यायपालिका है।बड़े से बड़े अपराधी को भी कुछ नहीं हो रहा है जिसके जिम्मेदार न्यायपालिका है।2जी और सीडब्ल्यूजी जैसे देश के दो नामचीन घोटाले भी राजा और कलमाड़ी के जमानत के साथ ही दफन हो गए जिसकी जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ न्यायपालिका है।आज राजा सीना तान कर अपने समर्थकों के साथ संसद पहुँच चुके हैं जैसे कोई महान काम करके आ रहे हो।ये हमारे देश की कानून व्यवस्था पर जोरदार तमाचा है।किसी भी भ्रष्टाचारी को कुछ नहीं होता।सभी भ्रष्टाचारी सीना तान कर पहले राष्ट्र को लूटते हैं, फिर सीना तान कर जेल जाते हैं और फिर कानून के खोखलेपन का फायदा उठाकर सीना तान कर जेल से छूटकर संसद में बैठ जाते हैं।ये न्यायपालिका ही है जिसकी वजह से इस देश में 'राजा' और 'कलमाड़ी' जैसे लोग राजा बने हुए हैं।अगर न्यायपालिका राष्ट्रहित में निष्पक्ष होकर फैसले सुनाए तो इन भ्रष्टाचारियों की हँसी आँसू में बदल सकते हैं।अगर न्यायपालिका देश के बारे में सोचे तो इन भ्रष्टाचारियों को हम सबक सिखा सकते हैं।लेकिन जब न्यायपालिका ही राजा और कलमाड़ी को जमानत देकर राष्ट्रविरोधी फैसले दे रही है तो जनता आखिर ये उम्मीद कैसे कर सकती है कि भ्रष्टाचारियों को सजा मिलेगी।
मैं अंत में जनता से यह कहना चाहता हूँ कि चूँकि अब भ्रष्टाचारी बाहर आ चुके हैं इसलिए अगला आम चुनाव लड़ने से तो इन्हें कोई रोक नहीं सकता।कानून के अदालत ने तो भ्रष्टाचारियों को न्याय देकर देश के साथ अन्याय कर दिया लेकिन तुम ऐसा मत करना।आखिर जब राजा जैसे लोग संसद में रहेंगे तो हम ये कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि जिस कानून के खोखलेपन का ये फायदा उठाते हैं उस कानून को ये मजबूत बनाएँगे।इन भ्रष्टाचारियों को संसद से उखाड़ फेंकने की जिम्मेदारी जनता की है।अगर ये भ्रष्टाचारी चुनाव लड़ेंगे तो यही जनता की परीक्षा होगी कि जनता किसका साथ देती है?राष्ट्र का या इन राष्ट्रद्रोहियों का?
जय हिंद! जय भारत!
गौरतलब है कि 1 लाख 76 हजार करोड़ के 2g घोटाले के सभी 14 आरोपी(राजा को लेकर) जमानत पर रिहा हो चुके हैं।कनिमोझी, तत्कालीन टेलीकॉम सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, राजा के तत्कालीन निजी सचिव आर.के. चंदोलिया, यूनिटेक वायरलेस के एमडी संजय चंद्रा, रिलायंस के ग्रूप एमडी गौतम दोषी, रिलायंस के सीनियर वाइस प्रेजीडेंट हरी नायर और सुरेंद्र पिपारा, डीबी रियलीटी और स्वान टेलीकॉम के प्रोमोटर और एमडी विनोद गोयनका, डीबी रियलीटी और स्वान टेलीकॉम के प्रोमोटर शाहिद बलवा और उनके भाई आसिफ बलवा, राजीव अग्रवाल, कलैगनार टीवी के एमडी शरत कुमार, करीम मोरानी, और अब तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए. राजा भी जमानत पर रिहा हो चुके हैं।ए. राजा ने पहली बार 9 मई को जमानत की गुहार लगाई थी और 15 मई 2012 को उन्हें जमानत मिल भी गई।जैसा की श्री सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि आश्चर्य इस बात पर नहीं है कि राजा रिहा हो गए बल्कि आश्चर्य तो इस बात का है कि आखिर 15 महीने वो जेल में रह कैसे गए।शायद आलाकमान ने उन्हें याचिका दाखिल करने की इजाजत इसलिए नहीं दी होगी कि जब भी 2जी का मामला उठे तो सरकार दिखा सके कि उसने राजा के रूप में आरोपी को सजा दिलाई है।और जब एक-एक कर सारे भ्रष्टाचारी बाहर हो गए तो अंत में आलाकमान ने राजा को भी याचिका देने की इजाजत दे दी।आखिर जब सभी भ्रष्टाचारी बाहर आ गए तो भला राजा को कैसे बर्दाश्त होता।जिस तरह से पटियाला हाउस कोर्ट से भ्रष्टाचारियों और देशद्रोहियों को न्याय मिलता जा रहा है, लगता है आने वाले दिनों में वह भ्रष्टाचारियों के लिए 'पवित्र' और राष्ट्र के लिए 'अपवित्र' स्थल बन जाएगा।
सरकार और न्यायपालिका दोनों मिलकर जनता को किस हद तक बेवकूफ़ बनाते हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब 2जी घोटाले ने मीडिया में तूल पकड़ा तो सरकार ने जनता को मूर्ख बनाने के लिए कुछ आरोपियों को जेल भिजवा दिया और जब मामला थोड़ा ठंडा पड़ा तो सभी भ्रष्टाचारी बाहर आ गए।ठीक यही हालत सीडब्ल्यूजी घोटाले की भी हुई।जनता को बेवकूफ़ बनाने के लिए कलमाड़ी को कुछ समय के लिए जेल भेज दिया गया और फिर वो भी हँसते-खिलखिलाते बाहर आ गए।ये सरकार और न्यायपालिका ने मिलकर एक नई प्रक्रिया बना दी है।पहले सरकार देश को लूटे, मामला सामने आने पर न्यायपालिका के मिलीभगत से देश को मूर्ख बनाने के लिए दो-चार आरोपियों को जेल भेजे और फिर मामला ठंडा होने पर न्यायपालिका के द्वारा सभी भ्रष्टाचारियों को जमानत दिलवाए।जमानत मिलते ही बड़े से बड़ा घोटाला समाप्त हो जाता है।यह शायद अब देश की कानूनी किताब का एकमात्र चैप्टर रह चुका है।ये न्यायपालिका के लिए शर्म की बात है कि देश का सबसे बड़ा घोटाला(2जी) के एक भी आरोपी इस वक्त जेल में नहीं हैं।सभी को जमानत दे दी है।और इसी के साथ सरकार और न्यायपालिका के मिलीभगत से 2जी घोटाले का मामला दफन हो गया।सीडब्ल्यूजी घोटाला तो कलमाड़ी के जमानत के साथ ही दफन हो चुका है।पता नहीं आगे सरकार और न्यायपालिका की ये दोस्ती राष्ट्र को और कितना शर्मशार करेगी!
भारत की कानून-व्यवस्था इतनी खोखली है कि यहाँ एक भ्रष्टाचारी के वकील द्वारा भी यह दलील दी जाती है कि उनके मुवक्किल ने बहुत समय जेल में बिता लिया, अब उन्हें छोड़ दिया जाए।और कोर्ट भी मात्र इस आधार पर बेल दे देती है कि जब इस मामले के सभी आरोपी रिहा हो चुके हैं तो राजा क्यों नहीं?आखिर ये कानून का खोखलापन नहीं तो और क्या है? सीबीआई के विशेष अदालत के जज ओ.पी. सैनी ने कहा कि जब 2जी मामले के सभी आरोपी रिहा हो चुके हैं तो राजा को भी जेल में रखने से कोई मकसद पूरा नहीं होता।सैनी जी यह बताएँ कि भ्रष्टाचारी को सजा दिलवाना न्यायपालिका का मकसद नहीं तो क्या है?क्या अब भ्रष्टाचारी को छुड़वाना ही न्यायपालिका का मकसद बन गया है?कोई न्यायाधीश इस बात पर चिंता प्रकट नहीं कर रहे हैं कि आखिर पहले सीडब्ल्यूजी और अब 2जी घोटाले के सभी आरोपी बाहर कैसे आ गए?बल्कि न्यायाधीश तो गर्व से यह फैसला सुनाकर कि जब सभी आरोपी जमानत पर रिहा हो गए तो राजा को भी जमानत मिलनी चाहिए, एक भ्रष्टाचारी की वकालत कर रहे हैं।आखिर राजा और कलमाड़ी जैसे भ्रष्टाचारियों और राष्ट्र के लूटेरों को जमानत देकर न्यायपालिका क्या साबित करना चाह रही है?कल तक जो जेल में बंद रहते हैं, उन देशद्रोहियों को जमानत देकर न्यायपालिका समाज को क्या संदेश देना चाह रही है?क्या यह कि अब देश सीडब्ल्यूजी और 2जी जैसे बड़े घोटालों को भूल जाए?आखिर क्यों न्यायपालिका भ्रष्टाचारियों को जमानत देकर उन्हें जेंटलमैन साबित करने पर तूली हुई है?
देश को अब सीबीआई से भी कोई उम्मीद नहीं है।सीबीआई का तो बस एक ही काम रह गया है कि भ्रष्टाचारियों के जमानत के वक्त उसका विरोध करना।अगर सीबीआई सचमुच निष्पक्ष होकर काम करती तो आज ये लूटेरे जेल से बाहर नहीं होते।रिहाई तो उनकी होती है जो गलती से पकड़े जाते हैं।2जी घोटाले में शामिल कई ऐसे औद्योगिक घराने हैं जिन तक सीबीआई पहुँच भी नहीं पाई है।पटियाला हाउस कोर्ट का राजा को जमानत देने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिल्कुल मेल नहीं खाता।जब सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में नियमों को तोड़ा गया और देश की बहुमूल्य संपत्ति औने-पौने दामों में दे दी गई तो आखिर पटियाला हाउस कोर्ट 2जी घोटाले के मुख्य आरोपी को जमानत कैसे दे सकती है?सुप्रीम कोर्ट को देश को यह बताना चाहिए कि जब तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए.राजा आरोपी नहीं हैं तो आखिर 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में हुई भारी गड़बड़ी का जिम्मेदार कौन है?सुप्रीम कोर्ट को 2जी घोटाले में रिहा हुए सभी आरोपियों की जमानत पर रोक लगानी चाहिए थी।जब सुप्रीम कोर्ट यह मान चुकी है कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में गड़बड़ी हुई थी तो आखिर उसके आरोपियों को जमानत किस आधार पर दी जा रही है?राष्ट्रभक्त जनता जवाब चाहती है।ए. राजा और कलमाड़ी जैसे भ्रष्टाचारियों को जमानत देकर न्यायपालिका ने साबित कर दिया कि आजकल कोई भी संस्था देशहित में काम नहीं कर रही।देश की नैया डूबाने में सभी का हाथ है।भ्रष्टाचारियों को लगातार जमानत देकर ये न्यायपालिका भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढ़ा रही है।ये न्यायपालिका ही इन्हें खुली छूट दे रही है कि खुलकर देश को लूटो, बचाने के लिए हम तो हैं ही।
हमारे पास केवल एक या दो उदाहरण ही नहीं हैं जिससे हम देश के कानून के खोखलेपन का अंदाजा लगा सकें बल्कि और भी कई उदाहरण हैं।पूर्व टेलीकॉम मंत्री सूखराम, जिनके घर से इतने सबूत बरामद हुए जो किसी भी व्यक्ति को भ्रष्टाचारी साबित करने के लिए काफी है।उन्हें भी कोर्ट ने यह कह कर जमानत दे दी कि अब इनकी उम्र हो चली है।कोर्ट अपने ही फैसलों से बड़ा ही हास्यास्पद दृश्य पैदा कर रही है जो कि सोचने पर मजबूर कर देती है कि अपने देश में कानून नाम की कोई चीज है या नहीं?कोई व्यक्ति खुलेआम अपनी महँगी गाड़ी से किसी को मौत के घाट उतार देता है और हमारा कानून उसका भी कुछ नहीं बिगाड़ पाता।उसे भी जमानत मिल जाती है।आखिर किस आधार पर न्यायपालिका उन्हें जमानत दे देती है?जिस रफ्तार से न्यायपालिका मुजरिमों को जमानत दिए जा रही है, लगता ही नहीं है कि जमानत कोर्ट में मिलती है।लगता है मानो जमानत बाजार में मिलती है और जिसे मन होता है खरीद लेता है।अगर हम राजनीतिक गलियारे में झांकें तो जिन्हें जेलों में होना था वो संसद में बैठे हैं।लालू यादव, जिन्हें जेल में होना चाहिए वो संसद में बैठकर हँसी-ठीठोली कर रहे हैं।कनिमोझी, जो देश के सबसे बड़े घोटाले में आरोपी थी, एक-दो बार पिताजी ने दिल्ली-दरबार में हाजिरी लगाई और 188 दिनों बाद रिहा होकर वो भी अब संसद में बैठी हैं।और अब राजा भी जेल से छूटकर नाचते हुए संसद में पहुँच ही चुके हैं।और भी कई ऐसे नाम हैं।सभी के नाम लिखने लगूं तो शायद सुबह से शाम एक ब्लॉग पोस्ट करने में ही लग जाए।
मैंने ऊपर जो भी उदाहरण दिए, वो ये साबित करने के लिए काफी हैं कि अपने देश की कानून-व्यवस्था किस हद तक भ्रष्टाचारियों के आगे झुकी हुई है।धन और बाहुबल के आगे नतमस्तक हैं कानून के रखवाले।मैं सर्वोच्च न्यायालय से यह विनती करता हूँ कि आप जमानत की व्याख्या और उसका अर्थ देशवासियों को बताएँ।हर भ्रष्टाचारी को जमानत किस आधार पर दी जा रही है?राष्ट्र को ये बताएँ।अगर नहीं बता सकते तो इन जमानतों पर रोक लगाएँ।क्या न्यायपालिका अपने मन से किसी को भी जमानत दे सकती है?क्या अपने कानून में इतनी छूट मिली हुई है कि देशद्रोहियों को भी जमानत मिल जाती है?न्यायपालिका ये भूले न कि जिसे वो जमानत दे रही है वो उनके मुजरिम नहीं बल्कि राष्ट्र के मुजरिम हैं।सुप्रीम कोर्ट को राष्ट्रहित में आगे आकर इन भ्रष्टाचारियों की जमानत पर रोक लगानी चाहिए।आखिर जब भ्रष्टाचारियों को इस रफ्तार से जमानत मिलते रहेगी तो जनता का न्यायपालिका पर से भरोसा उठ जाएगा।आखिर कहाँ जाएगी देश की आम जनता?किससे न्याय की उम्मीद करेगी?ये ऐसे सवाल हैं जिनपर सर्वोच्च न्यायालय को गंभीरता से सोचना चाहिए।आज कानून पर से जनता का विश्वास डगमगा रहा है जिसकी दोषी सिर्फ और सिर्फ न्यायपालिका है।बड़े से बड़े अपराधी को भी कुछ नहीं हो रहा है जिसके जिम्मेदार न्यायपालिका है।2जी और सीडब्ल्यूजी जैसे देश के दो नामचीन घोटाले भी राजा और कलमाड़ी के जमानत के साथ ही दफन हो गए जिसकी जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ न्यायपालिका है।आज राजा सीना तान कर अपने समर्थकों के साथ संसद पहुँच चुके हैं जैसे कोई महान काम करके आ रहे हो।ये हमारे देश की कानून व्यवस्था पर जोरदार तमाचा है।किसी भी भ्रष्टाचारी को कुछ नहीं होता।सभी भ्रष्टाचारी सीना तान कर पहले राष्ट्र को लूटते हैं, फिर सीना तान कर जेल जाते हैं और फिर कानून के खोखलेपन का फायदा उठाकर सीना तान कर जेल से छूटकर संसद में बैठ जाते हैं।ये न्यायपालिका ही है जिसकी वजह से इस देश में 'राजा' और 'कलमाड़ी' जैसे लोग राजा बने हुए हैं।अगर न्यायपालिका राष्ट्रहित में निष्पक्ष होकर फैसले सुनाए तो इन भ्रष्टाचारियों की हँसी आँसू में बदल सकते हैं।अगर न्यायपालिका देश के बारे में सोचे तो इन भ्रष्टाचारियों को हम सबक सिखा सकते हैं।लेकिन जब न्यायपालिका ही राजा और कलमाड़ी को जमानत देकर राष्ट्रविरोधी फैसले दे रही है तो जनता आखिर ये उम्मीद कैसे कर सकती है कि भ्रष्टाचारियों को सजा मिलेगी।
मैं अंत में जनता से यह कहना चाहता हूँ कि चूँकि अब भ्रष्टाचारी बाहर आ चुके हैं इसलिए अगला आम चुनाव लड़ने से तो इन्हें कोई रोक नहीं सकता।कानून के अदालत ने तो भ्रष्टाचारियों को न्याय देकर देश के साथ अन्याय कर दिया लेकिन तुम ऐसा मत करना।आखिर जब राजा जैसे लोग संसद में रहेंगे तो हम ये कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि जिस कानून के खोखलेपन का ये फायदा उठाते हैं उस कानून को ये मजबूत बनाएँगे।इन भ्रष्टाचारियों को संसद से उखाड़ फेंकने की जिम्मेदारी जनता की है।अगर ये भ्रष्टाचारी चुनाव लड़ेंगे तो यही जनता की परीक्षा होगी कि जनता किसका साथ देती है?राष्ट्र का या इन राष्ट्रद्रोहियों का?
जय हिंद! जय भारत!
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