15.5.12

मेरी बात मानो


मेरी बात मानो 
[कविता ] 
किसी की बात मानो न मानो 
मेरी बात मानो ,
माँ -बाप का कहा न मानो ,
गुरू का आदेश न मानो ,
किसी किताब में लिखी बात  न मानो
कोई धर्म न मानो ,
किसी परंपरा का पालन न करो ,
और ऐसा बार -बार कहने वाले 
जागृत- प्रबुद्ध गौतम बुद्ध 
की भी बात न मानो |
किसी की बात न मानो , लेकिन 
मेरी बात ज़रूर मानो ||  

No comments:

Post a Comment