शंकर जालान
कोलकाता। भेजा गया खत गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंचा या फिर मनी आर्डर से लगाया गया रुपया उनके घरवालों को नहीं मिला। लोग शिकायत करते रहते हैं कि भारतीय डाक के मार्फत पोस्ट किया गया पत्र या तो पहुंचा ही नहीं और अगर पहुंचा तो काफी विलंब से, जब उसका कोई मतलब नहीं रह गया। ठीक इसी तरह मनीआर्डर भी जरूरत के वक्त नहीं पहुंचता। इसे डाक विभाग की लापरवाही कहे या फिर पत्र और मनीआर्डर पाने वाले का दुर्भाग्य कोई फर्क नहीं पड़ता। कुल मिलाकर यहीं कहा जा सकता है कि डाक विभाग के गैर जिम्मेदाराना रवैए के कारण ही निजी कुरियर कंपनियां फल-फूल रही हंै। लेकिन इससे भारतीय डाक विभाग के अधिकारियों व कमर्चारियों को कई फर्क नहीं पड़ता। पत्र, मनीआर्डर और पार्सल के बारे में पूछने पर वे टाल-मटोल सा उत्तर देते हैं। इन दिनों शॉटिंग मशीन की गड़बड़ी के कारण महानगर के मुख्य डाकघर (जीपीओ) में शहर से बाहर जाने वाली और बाहर से आईं खतों का अंबार लगा है, लेकिन अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं।
खत हो, मनीआर्डर हो या फिर पार्सल नहीं मिलने पर लोग डाकिए के खिलाफ शिकायत करते हैं। लोगों का मानना रहता है कि डाकिए ने उन्हें पत्र, मनीआर्डर या पार्सल देने में गफलत की है। लोगों की शिकायत लाजिमी भी है और स्वभाविक भी। लेकिन अगर डाकिए को आपका पत्र, मनीआर्डर या पार्सल मिले ही नहीं तो वह आपतक उसे कैसे पहुंचाएगा। इस बारे में उनका कहना है कि हमें डाकघर से जितने खत, मनीआर्डर और पार्सल मिलते हैं वे उसे समय पर सही लोगों के हाथों में पहुंचा देते हैं, बावजूद इसके कई बार उन्हें लोगों के कोप-भाजन का शिकार होना पड़ता है।
एक डाकिए न नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ज्यादातर मामलों में डाकघर की गड़बड़ी के कारण खत गुम होते हैं, या फिर देर से पहुंचते हैं। इसके कारण का खुलासा करते हुए उन्हें कहा कि शॉटिंग मशीन की गड़बड़ी इसकी मुख्य वजह है। उन्होंने कहा कि बीते तीन-चार सप्ताह से जीपीओ में खतों का अंबार लगा है, क्योंकि वहां की स्पीड शॉटिंग मशीन ठीक से काम नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं खतों को पोस्ट करने और उसे गंतव्य स्थान तक पहुंचाने में शॉटिंग मशीन की अहम भूमिका होती है। हमारा (डाकिए) काम तो बस स्थानीय डाकघर से मिले खतों को घर-घर पहुंचाना है। उनके मुताबिक जीपीओ में लाखों खतों का ढेर लगा है और इसी अनुपात में मनीआर्डर और पार्सल लंबित पड़े हैं।
इस बारे में जीपीओ के संबंधित विभाग के अधिकारियों का कहना है कि करीब दो महीने पहले खतों को इलाका (स्थानीय डाकघर) स्तर पर छांटने के लिए विदेश से स्पीड शॉटिंग नामक मशीन मंगवाई गई थी और लगभग एक महीने से वह काम नहीं कर रही है, लिहाजा यहां खतों का पहाड़ लग गया है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के अभाव में हम यह काम मेन्यूवल भी नहीं करा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मशीन आने से पहले यहां खतों को छांटने का काम कर्मचारी ही करते थे, लेकिन मशीन आने के बाद मेन्यूवल छंटाई का काम बिल्कुल बंद हो गया और अब मशीन काम नहीं कर रही है, इसलिए यह समस्या खड़ी हो गई है। हालांकि इस बारे में जीपीओ के पोस्ट मास्टर ने कुछ भी बोलने से इंकार किया।
मालूम हो कि एक सौ करोड़ की लागत वाली इस विदेशी स्पीड शॉटिंग मशीन को जीपीओ में करीब दो महीने पहले लगाया गया था और बताया गया था कि इस मशीन के व्यवहार में आते ही खतों की छंटनी बहुत कम समय में हो जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, अलबत्ता जीपीओ में खतों का अंबार लग गया।
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