13.6.12

यह समय एक दूसरे की अस्तित्व हीनता को चिन्हित करने का नहीं----

दोस्तों अमरशहीद रोशनसिंह के वंशजों के उत्पीडन के समाचार को लेकर अपने तमाम मित्रों को मैने तमाम तरह से कोंचा है।इस क्रम में कुछ अपनों पर अनजाने में ही आघात हो गये उन सबसे मुझे सिर्फ इतना कहना है कि विषय ना तो व्यक्तिगत अहं का है और ना नीचा दिखाने का।स्वयं को देशभक्तों का प्रवक्ता बताने का तो बिलकुल भी नहीं।हम सबको सिर्फ इसलिये कोशिश करनी है कि कहीं कल को हम स्वयं को ज़बाव देने से लाचार ना हो जायें।
  मेरे अभिन्न नागेश पांडे ने आज अजय गुप्त और जगेंद्र सिंह से मिलकर कुछ रणनीति बनायी है शाहजहांपुर के ज़मीर को जगाने की जो कोशिश सिराज़ फैसल खान और जगेंद्र सिंह ने शुरू की थी उसमें कल से श्रीकांत सिंह और अजय गुप्त अन्य लोगों को भी जोडने में सफल होंगे ऐसा मेरा विश्वास है।
मित्रों कानूनी कार्यवाही अपनी ज़गह है पर पीडित परिवार जिसके बच्चों पर पहनने को कपडे तक नहीं है की मदद करने के लिये मैने अपनी तरफ से एक छोटी सी राशि देने का अधिकार भाई नागेश पांडे को दे दिया है । मैने नागेश से अपने स्तर पर भी कुछ सहयोग जुटाने का अनुरोध किया है और वे कर रहे हैं ।
कई मित्र जो ईमानदारी से कुछ करना चाहते हैं पर परिस्थितियों के चलते विवश है उनसे अनुरोध है कि वे बिस्मिल जी की आत्म कथा पढ लें ।उसमें तमाम उदाहरण हैं कि अपना पेट काटकर भी किस तरह ज़रूरतमंदों की मदद की जाती है।हम बेशक गणेश शंकर विद्यार्थी और पं० बनारसी दास चतुर्वेदी नहीं हो पर मालवीय जी के वंशज तो है जो समाज के लिये भीख मांगकर विश्वविद्यालय बना देते हैं।
यह समय एक दूसरे की अस्तित्व हीनता को चिन्हित करने का नहीं कि अरविंद पथिक कुंठित है या नागेश पांडे अकेले,सिराज बच्चा है तो जगेंद्र सिंह पागल।

एस पी को यदि यह कहना पड रहा है कि प्रशासन कार्रवाई कर रहा है और आप लोग यह बात एस एम एस करिये तो इसका मतलब है हमारी बात पहुंच रही है।महिला आयोग की साधना श्रीवास्तव का पीडिता की बात को सुनना और पं० सुरेश नीरव जैसे वरिष्ठ और विद्वान कवि पत्रकारों का निरंतर सोशल मीडिया के माध्यम से इस मद्दे पर समर्थन व्यक्त करना ,इस बात का परिचायक है कि सपा के गुंडों से मुकाबला करने का हौसला अभी समाप्त नहीं हुआ है।किसी एक का नाम न लेकर मैं उन सभी मित्रों का आभार व्यक्त  करता हूं जो  तमाम विपरीत परिस्थितियों में इस लडाई को जारी रखे हुये हैं।

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