30.8.12

अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर्स सम्मेलन में आकांक्षा-कृष्ण कुमार यादव को मिला 'दशक के श्रेष्ठ ब्लागर दंपत्ति' का ख़िताब

जीवन में कुछ करने की चाह हो तो रास्ते खुद-ब-खुद बन जाते हैं। हिन्दी-ब्लागिंग के क्षेत्र में ऐसा ही रास्ता अखि़्तयार किया कृष्ण कुमार यादव व आकांक्षा यादव ने। 2008 में अपना ब्लागिंग-सफर आरंभ करने वाले इस दम्पत्ति को परिकल्पना समूह द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ’’दशक के श्रेष्ठ दम्पत्ति ब्लागर’’ के रूप में सम्मानित किया गया है। इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं पद पर पदासीन कृष्ण कुमार यादव हिन्दी-साहित्य में एक सुपरिचित नाम हैं, जिनकी 6 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । उनके जीवन पर एक पुस्तक ’बढ़ते चरण शिखर की ओर’ भी प्रकाशित हो चुकी है। आकांक्षा यादव भी नारी-सशक्तीकरण को लेकर प्रखरता से लिखती हैं । साहित्य के साथ-साथ ब्लागिंग में भी हमजोली यादव दम्पत्ति को 27 अगस्त, 2012 को लखनऊ में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागर सम्मेलन में 'दशक के श्रेष्ठ ब्लागर दम्पत्ति’ का अवार्ड दिया गया। मुख्य अतिथि श्री श्री प्रकाश जायसवाल केन्द्रीय कोयला मंत्री की अनुपस्थिति में यह सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार उदभ्रांत, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक शैलेन्द्र सागर आदि ने संयुक्त रूप से दिया।

गौरतलब है कि हिंदी ब्लागिंग का आरंभ वर्ष 2003 में हुआ और इस पूरे एक दशक में तमाम ब्लागरों ने अपनी
अभिव्यक्तियों को विस्तार दिया। पर कृष्ण कुमार-आकांक्षा यादव ने वर्ष 2008 में ब्लाग जगत में कदम रखा और 5 साल के भीतर ही सपरिवार विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लाग का संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लागिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लागिंग को भी नये आयाम दिये। कृष्ण कुमार यादव जहाँ 'शब्द-सृजन की ओर' और 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग के माध्यम से सक्रिय हैं, वहीँ आकांक्षा यादव 'शब्द-शिखर' ब्लॉग के माध्यम से. इसके अलावा इस युगल-दंपत्ति द्वारा सप्तरंगी प्रेम, बाल-दुनिया और उत्सव के रंग ब्लॉगों का भी युगल सञ्चालन किया जाता है. उपरोक्त सम्मान की घोषणा करते हुए संयोजकों ने लिखा कि- ''कृष्ण कुमार यादव ने 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग के माध्यम से डाक विभाग की सुखद अनुभूतियों से पाठकों को रूबरू कराने का बीड़ा उठाया तो आकांक्षा यादव ने 'शब्द-शिखर' के माध्यम से साहित्य के विभिन्न आयामों से रूबरू कराने का। एक स्वर है तो दूसरी साधना। हिन्दी ब्लोगजगत में जूनून की हद तक सक्रिय इस ब्लॉगर दंपति ने हिंदी ब्लागिंग को कई नए आयाम दिए हैं.'' इन दम्पत्ति के ब्लागों को सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भरपूर सराहना मिली। कृष्ण कुमार यादव के ब्लाग ’डाकिया डाक लाया’ को 94 देशों, ’शब्द सृजन की ओर’ को 70 देशों, आकांक्षा यादव के ब्लाग ’शब्द शिखर’ को 66 देशों और इस ब्लागर दम्पत्ति की सुपुत्री एवं पिछले वर्ष ब्लागिंग हेतु भारत सरकार द्वारा ’’राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’’ से सम्मानित अक्षिता (पाखी) के ब्लाग ’पाखी की दुनिया’ को 94 देशों में देखा-पढ़ा जा चुका है।

गौरतलब है कि यादव दम्पति की सुपुत्री अक्षिता (पाखी) को पिछले साल हिंदी भवन, नई दिल्ली में 'श्रेष्ठ नन्हीं ब्लागर' सम्मान से सम्मानित किया गया था तो 14 नवम्बर, 2012 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में भारत सरकार द्वारा अक्षिता को आर्ट और ब्लागिंग के लिए 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' भी प्रदान किया गया. मात्र साढ़े चार साल की उम्र में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्राप्त कर अक्षिता ने जहाँ भारत की सबसे कम उम्र की बाल पुरस्कार विजेता होने का सौभाग्य प्राप्त किया, वहीँ पहली बार भारत सरकार द्वारा किसी ब्लागर को कोई राजकीय सम्मान दिया गया. फ़िलहाल अक्षिता गर्ल्स हाई स्कूल, इलाहाबाद में प्रेप में पढ़ती है.

उमानाथ बाली प्रेक्षागृह, कैसर बाग, लखनऊ में आयोजित इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में न्यू मीडिया की संभावना एवं चुनौतियों को लेकर तमाम सेमिनार हुये। ’न्यू मीडिया के सामाजिक सरोकार’ विषय आधारित सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में कृष्ण कुमार यादव ने ब्लागिंग को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की बात कही और एक माध्यम के बजाय इसके विधागत विकास पर जोर दिया।

इस दम्पत्ति को सम्मानित किये जाने के अवसर पर देश-विदेश के तमाम ब्लागर, साहित्यकार, पत्रकार व प्रशासक उपस्थित थे। प्रमुख लोगों में मुद्रा राक्षस, वीरेन्द्र यादव, पूर्णिमा वर्मन, रवि रतलामी, रवीन्द्र प्रभात , जाकिर अली ’रजनीश’, शिखा वार्ष्णेय, सुभाष राय इत्यादि प्रमुख थे।






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