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खल नेताजी की कमाई । (व्यंग)
चले न चले संसद पर, कमाई रहती भारी है ।
संसद से सड़क तक देख, लड़ाई होती भारी है ।
१.
इटली कि किटली जब, चूल्हे पे चढ़ जाती है..!
अच्छे अच्छों को उनकी, नानी याद दिलाती है ।
चले न चले संसद पर, कमाई रहती भारी है ।
२.
चमचें हाज़िर है कई, पुरखों की लाज रखने ।
हंगामा मचाने बस, एक इशारा ही काफ़ी है ।
चले न चले संसद पर, कमाई रहती भारी है ।
३.
नेताजी की देख सारी, हमदर्दी भी जाली है ।
बुरी नज़रवाले तेरी, जुबान कितनी काली है..!
चले न चले संसद पर, कमाई रहती भारी है ।
४.
सब्र कर, सपनों में तेरे नानी, तेरी भी आयेगी ।
बाप के बाद अब, बेटे ने भी बाँह चढाई है ।
चले न चले संसद पर, कमाई रहती जारी है ।
५.
वोट का मोल है क्या, अबोध जनता कब जानेगी?
पर तब तक, खल नेता की जेबें रहनी भारी है ।
चले न चले संसद पर, कमाई रहती जारी है ।
मार्कण्ड दवे । दिनांकः ३०-०८-२०१२.
MARKAND DAVE
http://mktvfilms.blogspot.com (Hindi Articles)
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