दो दिन पहले यानि ३ अगस्त को बिलासपुर जिला कांग्रेस कमेटी {ग्रामीण} के अध्यक्ष अरुण तिवारी का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा हुआ ! कार्यकाल के एक वर्ष पूर्ण होने की ख़ुशी में एक बैठक जिला कांग्रेस कार्यालय में रखी गई ! कई एजेंडों के बीच एक साल के कार्य-काल का लेखा जोखा भी शेयर किया जाता रहा ! संगठन को मजबूत करने की आपसी राय के बीच मसाले में चिकन और मीट भी पक रहा था ! तिवारी जी ने एक साल पूरा होने की ख़ुशी में पार्टी दी थी ! कांग्रेस भवन में देश के वीर सपूतों और आदर्श महापुरुषों की फोटो के नीचे मांस-मटन के पकने की खुशबु एक ओर जहां कई कांग्रेसियों की भूख बढ़ा रही थी वहीँ कई कांग्रेसी नानवेज कहूँ या काकटेल पार्टी देख हतप्रभ रह गए ! नानवेज के पकते ही औपचारिक बैठक ख़त्म हो गई ! इसके बाद कांग्रेस भवन किसी बार से कम नजर नही आ रहा था ! बकायदा शराब-बीयर की व्यवस्था के साथ हाशिये पे जा चूका कांग्रेस संगठन मजबूत हो रहा था ! कुछ ने शराब-कबाब के साथ शबाब मिल जाने तक की बात कह डाली ! हालाकि दबी जुबान से कुछ कांग्रेसियों ने अगले बरस की पार्टी में उसकी {शबाब}भी व्यवस्था करवाने का भरोसा दिलाया है ! इस ख़ास मौके पर मिडिया भी आमंत्रित था ! कुछ ने शराब-कबाब का मजा लेकर आत्मा को संतुष्ट कर लिया मगर कुछ की आत्मा जिन्दा थी सो सुबह {४ अगस्त} अखबार में कांग्रेस संगठन की मजबूती की खबर को तीन कालम की जगह मिल गई ! जो नही जानता था वो भी जिला कांग्रेस कमेटी के नए अध्यक्ष की ख़ुशी से वाकिफ हो गया ! दूसरे दिन खबर तो ये भी आती रही कि कुछ पुश्तेनी कोंग्रेसी कांग्रेस भवन को गंगा जल से शुद्ध करने वाले है !
वैसे जो इस बार हुआ वो यक़ीनन बिलासपुर जिला कांग्रेस कमेटी के कार्यकाल का पहला सुअवसर था ! कोंग्रेसियों ने पहली बार कांग्रेस भवन में पके चिकन-मटन का लुत्फ उठाया ! जिनको बुरा लगा या जिनको तिवारी जी की ख़ुशी का काकटेल अंदाज पसंद नही आया उनका पेट दूसरे दिन मरोड़ता रहा ! यहाँ वहां जाकर कभी संगठन से इस्तीफ़ा तो कभी आलाकमान से शिकायत का जिक्र करते रहे ! कुछ ने कहा जैसा नंदू भैया {नंदकुमार पटेल} चाह रहे थे वैसा हो रहा है ! मै आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की अरुण तिवारी प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार पटेल की खोज है ! उनको पूरे जिले में एक भी ऐसा कांग्रेसी नजर नही आया जिसके कंधे पर कांग्रेस को एकजुट करने का बोझ डाला जा सके ! तभी तो एक भगोड़े को जिले की जिम्मेदारी दे दी गई जिसकी घर वापसी को भी ज्यादा दिन नही हुआ है ! ये वो तिवारी जी है जिन्होंने सन १९९८ यानि अविभाजित मध्यप्रदेश के जमाने में सीपत से टिकट ना मिलने पर कांग्रेस की खूब फजीहत की और निर्दलीय चुनाव लड़े ! इन्होने कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रप्रकाश बाजपेयी के खिलाफ चुनाव लड़कर उन दिगज्ज नेताओं को बुरा-भला कहा जिनकी प्रतिमाओं के नीचे तीन दिन पहले ही मटन-चिकन बनवाया गया ! इन्होने १९९९ में सुषमा स्वराज के समक्ष भाजपा में प्रवेश किया ! सुषमा जी १९९९ में एक चुनावी सभा को संबोधित करने कोरबा आई हुईं थी !लगता है तिवारी जी उसी खीज को इस अंदाज में मिटा रहे है ! जिले में हाशिये पर आ चुकी कांग्रेस की जड़ो में मठा डालने की कोशिश मुझे अब तक तो सफल नजर आती है,पता नही कोंग्रेसी कितना गुड फील कर रहे है ? अब देखना ये होगा की अगले बरस की पार्टी में शराब-कबाब ही रहता है या फिर शबाब की व्यवस्था होगी ! फिलहाल तो आलोचना के भंवर जाल से निकलने के लिए तिवारी जी ये कहते फिर रहे है मांस-मटन कौन नही खाता ? क्या अटल बिहारी बाजपेई नानवेज नही खाते ? ऐसे तमाम तर्क है तिवारी जी की जुबान पर लेकिन वो ये भूल रहे है की बाजपेई जी ने कभी भी भाजपा के दफ्तर में बैथ्कत चिकन-मटन नही खाया होगा ना ही आदर्श मानने वालों की प्रतिमाओं के नीचे नानवेज पकवाया होगा ....! खैर हाशिये पर गई कांग्रेस को मजबूत करने शराब-कबाब की सख्त जरूरत उन कांग्रेसियों को ज्यादा है जिनको गाहे-बगाहे लोग दल-बदलू भी कह देते है !
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