दोस्त लोग,अपने शहर हाजीपुर में मुख्यमंत्री आए रहे। उड़नखटोला से नहीं रथ
से। बड़ा भारी भाषण दिए रहे। प्रशासन के साथ खूब उठक-बैठक की। योजनाओं की
समीक्षा की। वैशाली जिला के लिए 25 मेगावाट बिजली की व्यवस्था करने का आदेश
भी दिया। हम तो जब यहै समाचार अखबार में पढ़े रहे तो बहुते खुश हुए। अब तो
बिजली आवेगी तो जाने का नाम ही नहीं लेगी। चौबीसों घंटे भकाभक अंजोर।
लेकिन ई का उधर मुख्यमंत्री ने पीठ फेरी और इधर बिजली भी गदहे की सींग की
तरह गायब। दिन में तो आती ही नहीं और रात में भी सोए में ही आती है और हमें
सोया हुआ छोड़कर ही चली भी जाती है। शायद उ बहुते लज्जालु हो गई है। हमरी
आँखों के आगे पड़ना ही नहीं चाहती। भैया, ई तो श्यामनंदन बाबू की चायवाला
हाल हो गया। अब आप कहिएगा कि ई श्यामनंदन बाबू कौन महापुरुष हैं?
दोस्तलोग, ई श्यामनंदन बाबू यानि श्यामनंद सहाय महापुरुष हैं नहीं थे। बड़का जींमदार; बाघी स्टेट कहलाते थे। विधानसभा चुनाव भी लड़े रहे आजादी से पहले ही दीपनारायण बाबू के खिलाफ और दारू-पैसा बाँटै खातिर बदनाम भी भए रहे। अब तो ब्रेक लगावे के पड़ी काहे कि हमारी गाड़ी गलत ट्रैक पर जा रही है। तो हम कहत रहे कि जब कोई श्यामनंदन बाबू के ईहाँ जाए तो उ अपना नौकर के कहत रहे कि चाय लेई आओ। लेकिन साथ में हाथ भी हिलाबत रहे माने कि नहीं लाना। लोग सब जब बईठल-बईठल परेशान होई जात रहे तब अपने उठके चल देत रहे।
दोस्तलोग, मुख्यमंत्री जब प्रशासन के साथ समीक्षा बैठक किए रहे तब हम तो ऊहाँ थे नहीं। फिर हमको क्या पता कि 25 मेगावाट बिजली देबे का ऑर्डर देत समय ऊ सिर या हाथ नहीं-नहीं की मुद्रा में हिलाये रहे कि न। बाकिर एतना को निश्चित है कि मुख्यमंत्री अगर अधिकार-यात्रा पर हाजीपुर नहीं आते तबे हाजीपुर के लिए अच्छा रहता। जितनी भी बिजली 14-15 घंटा रहती थी उ तो रहती,साफे गायब त नहीं हो जाती। अब ऊ बाँकी योजना सबका क्या हाल होबेवाला है जेक्कर मुख्यमंत्री समीक्षा किये रहे इहो हम समझ गए हैं और आप तो समझिए गए होंगे। अब बताईये कि ई नेता-कथा से आपने क्या शिक्षा ग्रहण की? इहे न कि नेता के बात आ घोड़ी के पाद। माने कि जब नेता कुछ आश्वासन दे तो समझिए कि किसी घोड़ी ने वायु-विसर्जन किया है और भूल जाईये। काहे कि जब नेताजी ही भूल जानेवाले हैं तो आप यादे रखके क्या करिएगा?
दोस्तलोग, ई श्यामनंदन बाबू यानि श्यामनंद सहाय महापुरुष हैं नहीं थे। बड़का जींमदार; बाघी स्टेट कहलाते थे। विधानसभा चुनाव भी लड़े रहे आजादी से पहले ही दीपनारायण बाबू के खिलाफ और दारू-पैसा बाँटै खातिर बदनाम भी भए रहे। अब तो ब्रेक लगावे के पड़ी काहे कि हमारी गाड़ी गलत ट्रैक पर जा रही है। तो हम कहत रहे कि जब कोई श्यामनंदन बाबू के ईहाँ जाए तो उ अपना नौकर के कहत रहे कि चाय लेई आओ। लेकिन साथ में हाथ भी हिलाबत रहे माने कि नहीं लाना। लोग सब जब बईठल-बईठल परेशान होई जात रहे तब अपने उठके चल देत रहे।
दोस्तलोग, मुख्यमंत्री जब प्रशासन के साथ समीक्षा बैठक किए रहे तब हम तो ऊहाँ थे नहीं। फिर हमको क्या पता कि 25 मेगावाट बिजली देबे का ऑर्डर देत समय ऊ सिर या हाथ नहीं-नहीं की मुद्रा में हिलाये रहे कि न। बाकिर एतना को निश्चित है कि मुख्यमंत्री अगर अधिकार-यात्रा पर हाजीपुर नहीं आते तबे हाजीपुर के लिए अच्छा रहता। जितनी भी बिजली 14-15 घंटा रहती थी उ तो रहती,साफे गायब त नहीं हो जाती। अब ऊ बाँकी योजना सबका क्या हाल होबेवाला है जेक्कर मुख्यमंत्री समीक्षा किये रहे इहो हम समझ गए हैं और आप तो समझिए गए होंगे। अब बताईये कि ई नेता-कथा से आपने क्या शिक्षा ग्रहण की? इहे न कि नेता के बात आ घोड़ी के पाद। माने कि जब नेता कुछ आश्वासन दे तो समझिए कि किसी घोड़ी ने वायु-विसर्जन किया है और भूल जाईये। काहे कि जब नेताजी ही भूल जानेवाले हैं तो आप यादे रखके क्या करिएगा?
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