श्रीगंगानगर-ईमानदार
आदमी। ख्यातिप्राप्त अर्थशास्त्री।सज्जन
पुरुष। बेदाग इंसान। चरित्रवान नेता। ये सभी गुण प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह में हैं। इसमें किसी को कोई शंका नहीं हो सकती। इसके बावजूद यह भी सच है कि जितना अपमान, बेइज्जती, आलोचना और निंदा मनमोहन सिंह की हुई है या हो रही है आज तक राजनीति के इतिहास में
किसी की नहीं हुई होगी,वह भी
राष्ट्रीय स्तर से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक। एक से एक आलोचनात्मक आलेख। मनमोहन की मनमोहिनी छवि
का मज़ाक उड़ाते कार्टून। भद्दे मज़ाक
वाले चित्र। कभी मुंह पर कीचड़ तो
कभी कालिख। ऐसा तो किसी छोटे मोटे नेता, भ्रष्ट से भ्रष्ट मंत्री, चरित्रहीन इंसान के
साथ भी नहीं हुआ जितना प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ हो रहा है। वर्तमान में सबसे बुरा किसी
के बारे में कहा जा रहा है तो वह है भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह। महान भारत
के अद्भुत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह। अभूतपूर्व हिंदुस्तान के अभूतपूर्व प्रधान मंत्री
मनमोहन सिंह । अद्भुत और अभूतपूर्व इसलिए कि पूरा देश उनको जो कुछ कह सकता था कह
रहा है इसके बावजूद उन पर कोई असर नहीं। मान-अपमान से बिलकुल दूर स्थितप्रज्ञ। ऐसे
महापुरुष जिसे सुख-दुख,आलोचना-प्रशंसा,निंदा से कोई मतलब नहीं। जिस स्थिति में पहुँचने के लिए
ऋषि-मुनियों को सालों ताप करना पड़ता है। दशकों तक अपने आप को तपस्या में तपाना पड़ता है। वनों की खाक छाननी पड़ती है। कन्दराओं में निराहार रहना पड़ता है।
तब कहीं सैंकड़ों में कोई एक इस स्थिति तक पहुंचता है। मनमोहन सिंह कुछ साल राजनीति
में रहकर वहां पहुँच गए। हिंदुस्तान की जनता तो धन्य हो गई ऐसी महान आत्मा
को पाकर। ऐसे युग पुरुष को
प्रधानमंत्री बनाकर। चरण रज माथे पर लगानी चाहिए
ऐसे दिव्य पुरुष की। क्योंकि ऐसी आत्मा हजारों सालों में भारत की भूमि पर ही जन्म
लेती हैं। पूजा करनी चाहिए ऐसे अलौकिक आत्मा की जिसने इस भारत की इस धरती को अपने
कर्मों से पुष्पित और पल्लवित किया। मनमोहन सिंह जैसे देवता पुरुष को मोटी चमड़ी का
कहना तो शब्दों को विकृत करना है। भला वे कैसे ऐसे हो सकते हैं। वे तो साधु हैं।
संत हैं। महात्मा हैं। दिव्य आत्मा हैं। जो एक देवी के आशीर्वाद से इस मुकाम पर
पहुंचे हैं। यह सब देवी का चमत्कार है। जिसने एक इंसान को ऐसा ज्ञान दिया कि वह मान
–अपमान से ऊपर उठ गया। ऐसा मंत्र दिया कि उन पर
आलोचना-प्रशंसा भी प्रभावहीन हो जाती हैं। मौन को साधने में कितनी साधना करनी पड़ती
है। लेकिन देखों मनमोहनसिंह का कमाल,देवी के दर्शन मात्र से मौन
उनका गुलाम बन गया। युगों युगों तक इस मौन की गाथा गई जाएगी।
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