कसाब की मौत से खुश सच्चे हिन्दुस्तानी
आज सुबह पाकिस्तान की हांडी के सड़े चावल अजमल कसाब की मौत की खबर मिली तो मन सच्चे हिन्दुस्तानी की तरह खुश हो गया कि आखिर देश का दुश्मन 166 लोगों की मौत का जिम्मेदार मर ही गया। उसके शव को जेल में ही दफना दिया गया। कहा जा रहा है कि कब्रिस्तान वालों ने उसके लिये जगह नहीं दी। ठीक ही किया जो नापाक जिस्म को जगह नहीं दी। हालांकि उसे बहुत पहले मर जाना चाहिए था, लेकिन कानूनी अड़चनों के बीच उसे जिंदा रखा गया। अफसोस यह भी कि उसे जिंदा रखने में करोड़ों रूपये खर्च हो गए। उसकी हाई सिक्योरिटी में बहुत खर्चा हो रहा था। यह पैसा जनता था। जेल में रहने के दौरान कसाब में इतना गुस्सा था कि सीसीटीवी कैमरों पर थूकता था। मनचाहा खाना चाहता था। गालियां देता था। नापाक जिस्म को नापाक पाकिस्तान ने लेने से इंकार कर दिया क्योंकि दोगले चरित्र से दुनिया को वह यह नहीं बताना चाहता था कि आतंक का पक्षधर है जबकि दुनिया हकीकत जानती है। वैसे पाकिस्तान खुद भी अब आस्तीन के सांपों आतंकवाद की आग में झुलस रहा है। सवाल उठाये जा रहे हैं कि कसाब की मौत डेंगू से हुई है और सरकार श्रेय ले रही है। अब कसाब डेंगू से मरा हो या फांसी से इससे फर्क भी क्या पड़ता है, उसने मरने से हर हिन्दुस्तानी खुश है क्योंकि उसने कभी ने भरने वाले जख्म दिये हैं। यह संदेश भी जाना चाहिए कि आतंकी हरकतें करने वालों का अंजाम ऐसा ही होगा। अभी ओर भी आतंकी हैं जिन्हें फांसी दी जानी है। दुआ करे जल्द उनका नंबर आये। अफसोस यह भी कि ऐसे गद्दार भी होंगे जो उसकी मौत पर गुपचुप मातम मना रहे होंगे।
ऐसा सुनने में आया है, कसाब को मारा नहीं गया , उसे गुप्त कर दिया है ,
ReplyDeleteयदि देश में विद्रोह ज्यादा हो गया , या आंतकवाद का ख़तरा बढ़ा , सरकार गिरने कि पोजीशान हुई , तो उसे फिर जिन्दा कर देंगे .