16.2.13

अखिलेश यादव- तकदीर पर ग्रहण !


2012 में पूर्ण बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी को पटखनी देकर जब समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम लहराया तो जनता के इस फैसले से साफ हो गया था कि मायावती जनता की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पाई और जनता ने एक बार फिर से समाजवादी पार्टी पर भरोसा जताया है। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जब मुलायम सिंह यादव ने खुद बैठने की बजाए अखिलेश यादव को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी तो लगा था कि एक युवा नेता युवा सोच के साथ उत्तर प्रदेश में कुछ अलग करेगा।
युवा कंधों पर देश के सबसे बड़े प्रदेश की बागडोर संभालने वाले अखिलेश यादव से प्रदेशवासियों को खासकर युवाओं को बड़ी उम्मीद थी। अपराध, भ्रष्टाचार, घोटालों, गरीबी और बेरोजगारी के मकड़जाल में घिरे उत्तर प्रदेश को इस सब से निजात दिलाने की जिम्मेदारी अखिलेश के कंधों पर थी। प्रदेशवासियों को उम्मीद थी कि इस बार कुछ ऐसा होगा जिसका उत्तर प्रदेश को लंबे समय से इंतजार था लेकिन अफसोस अखिलेश लोगों का भरोसा कायम नहीं रख पाए और लोगों का ये भ्रम बहुत जल्द ही टूट गया जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाल ही में मंत्रिमंडल विस्तार में अपनी टीम में दागियों को जगह दी।
गोंडा के तत्कालीन सीएमओ को जबरन घर से उठाकर उनकी पिटाई करने वाले...अपराधियों को शरण देने और मारपीट के आरोपों में लिप्त विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह हों या जान से मारने की धमकी और मारपीट के मामलों में लिप्त गायत्री प्रसाद प्रजापति..!
दबंगई दिखाने के साथ मारपीट और हत्या जैसे तमाम मामलों में लिप्त राममूर्ति सिंह वर्मा हों या फिर हत्या, दंगे भड़काने, मारपीट और जान से मारने की धमकी के आरोपों में घिरे तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेयइन सब को मंत्रिमंडल में शामिल करने के बाद अखिलेश यादव अब उसी जमात में शामिल होने वाले नेता बनते दिखाई दे रहे हैं जो दबंगों के बलबूते सत्ता चलाने में विश्वास रखते हैं..!
उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ रहा अपराध का ग्राफ और सपाइयों की दबंगई पहले ही अखिलेश सरकार पर सवालिया निशान लगा रहा था ऐसे में मंत्रिमंडल में दागियों को शामिल करना उन तमाम अपेक्षाओं को व्यर्थ साबित करता दिखाई दे रहा है जो मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के साथ ही प्रदेशवासी अखिलेश से करने लगे थे।
अखिलेश यादव और उनकी पार्टी भले ही इसके पीछे क्षेत्रिय और जातीय संतुलन स्थापित करने का कदम करार दे रही हो लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या क्षेत्रिय और जातीय संतुलन स्थापित करने के लिए अखिलेश यादव को उन क्षेत्रों से स्वच्छ छवि को कोई सपा नेता ही नहीं मिला..? या फिर इन क्षेत्रों में सभी सपा नेता किसी न किसी आपराधिक मामले में फंसे हुए हैं..! और अगर ऐसा है फिर तो ये सबसे बड़ा सवाल है कि जब सपा के अधिकतर नेता आपराधिक मामलों में घिरे हैं तो प्रदेश में लगातार बढ़ रहा अपराधों का ग्राफ कैसे नीचे आएगा..?
अखिलेश यादव के ये फैसले कहीं न कहीं ये जाहिर करते हैं कि इन फैसलों के पीछे उनकी स्वतंत्रता नहीं है और पिता जी के आदेशों का पालन करना कहीं न कहीं अखिलेश की मजबूरी भी है क्योंकि मुलायम सिंह शायद अपने विश्वासपात्र लोगों को अखिलेश यादव के इर्द गिर्द रखना चाहते हैं फिर चाहे वे दागी ही क्यों न हों..? लेकिन पिता के आदेशों का पालन करना अखिलेश को भविष्य में भारी पड़ सकता है।
उत्तर प्रदेश की तकदीर बदलने के सपने को लेकर आगे बढ़ रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव न सिर्फ दागियों के सहारे प्रदेश की तकदीर पर अपराध और भ्रष्टाचार का बदनुमा दाग लगा रहे हैं बल्कि खुद की तकदीर पर भी ग्रहण लगा रहे हैं..!
बहरहाल उम्मीद पर दुनिया कायम हैं ऐसे में हम तो यही उम्मीद करते हैं कि उत्तर प्रदेश का सबसे युवा मुख्यमंत्री अपनी जोश और ऊर्जा का सही इस्तेमाल करते हुए सकारात्मक सोच के साथ उत्तर प्रदेश की तकदीर बदलेगा।

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