2.4.13


क्या हरवंश शिवराज नूरा कुश्ती के चलते ही  घोषणायें पूरी ना होने के बाद भी सी.एम.को जिले में नहीं घेरा कांग्रेस ने?
होली के त्यौहार का जिला भाजपा ने भरपूर उपयोग किया और जिले से लेकर मंड़ल स्तर तक होली मिलन समारोह आयोजित किये गये।  आशय यही था कि प्रदेश में अपनी ही सरकार रहने के बाद भी सालों से उपेक्षित पड़ा भाजपा का कार्यकर्त्ता अपने मन की पूरी भड़ास निकाल ले और आने वाले मिशन 2013 और 2014 के लिये एक बार फिर कमर कस ले। होली मिलन के जिला स्तरीय कार्यक्रम में जिले के पूर्व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। प्रहलाद पटेल जबलपुर या बालाघाट क्षेत्र से दिल्ली पहुचने की कोशिश कर रहें हैं। भाजपायी हल्कों में यह भी चर्चा है कि दोनों ही क्षेत्रों के सांसद राकेश सिंह और के.डी.देशमुख अब विधायक का चुनाव लड़ने के उत्सुक हैं। कांग्रेस की बैठक में  चुनावी साल में घोषणावीर मुख्यमंत्री की जिले की अधूरी पड़ी घोषणाओं को लेकर उन्हें घेरने की कोई रणनीति नहीं बनायी गयी। जबकि जिले में उन घोषणाओं के पूरा ना होने से भारी जन असंतोष हैं। विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की उपस्थिति में हुयी इस बैठक में शिवराज सिंह को कठघरे में कांग्रेस द्वारा खड़ा ना किये जाने को लेकर सियासी हल्कों में तरह तरह की चर्चायें हैं। वैसे भी हरवंश शिवराज नूरा कुश्ती के आरोप जिले से लेकर प्रदेश तक में समय समय पर लगते रहें हैं।  
होली मिलन से भड़ास निकालने की कोशिश की भाजपा ने-होली का त्यौहार वैसे भी साल भर की मन की भड़ास निकाल कर आगे के मधुर संबंधों को मनाने के त्यौहार के रूप में देखा जाता है। इस त्यौहार का जिला भाजपा ने भरपूर उपयोग किया और जिले से लेकर मंड़ल स्तर तक होली मिलन समारोह आयोजित किये गये। मंड़लों में जिला स्तर के नेता भी प्रभारी बनाकर भेजे गये। आशय यही था कि प्रदेश में अपनी ही सरकार रहने के बाद भी सालों से उपेक्षित पड़ा भाजपा का कार्यकर्त्ता अपने मन की पूरी भड़ास निकाल ले और आने वाले मिशन 2013 और 2014 के लिये एक बार फिर कमर कस ले। सियासी हल्कों में जारी चर्चाओं के अनुसार भाजपा का जमीनी स्तर कार्यक र्त्ता जितना अपनी उपेक्षा से दुखी है उतना ही अपने जिला स्तर के उन नेताओं से भी दुखी है जिनकी प्रशासनिक स्तर पर चल तो खूब रही हैं लेकिन वे उनसे यह कह कर पल्ला झाड़ लेते है कि क्या करें उनकी अधिकारी सुन ही नहीं रहें हैं। अब यह तो अभी कहा नहीं जा सकता कि होली मिलन के कार्यक्रम से कितनी भड़ास अभी निकली होगी और कितनी चुनाव में निकलेगी?
प्रहलाद की सक्रियता से क्या बदलेंगें समीकरण? -होली मिलन के जिला स्तरीय कार्यक्रम में जिले के पूर्व सांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। हालांकि कुछ दिन पहले ही भाजपा नेता संजय जोशी केे एक कार्यक्रम में केवलारी भी आये थे। बालाघाट जिले में उनका आना जाना भी बना रहता हैं। जबलपुर में वे रह रहें हैं। जिला भाजपा अध्यक्ष नरेश दिवाकर के निर्देश पर यह कार्यक्रम आयोजित हुआ था। हालांकि लोग अभी इस बात को भूले नहीं हैं कि जब राष्ट्रीय मजदूर महासंघ के के अध्यक्ष बनने के बाद प्रहलाद पटेल का सिवनी में स्वागत किया गया था तो नरेश समर्थक सुजीत जैन के जिला भाजपा अध्यक्ष रहते हुये उनके सहित अधिकांश पदाधिकारियों ने इस कार्यक्रम से परहेज रखा था और उसमें शामिल तक नहीं हुये थे। भाजपा के मिशन 2014 को ध्यान में रखते हुये प्रहलाद पटेल की सक्रियता को राजनैतिक विश्लेषक लोक सभा चुनाव से जोड़कर देख रहें हैं। प्रहलाद पटेल जबलपुर या बालाघाट क्षेत्र से दिल्ली पहुचने की कोशिश कर रहें हैं। भाजपायी हल्कों में यह भी चर्चा है कि दोनों ही क्षेत्रों के सांसद राकेश सिंह और के.डी.देशमुख अब विधायक का चुनाव लड़ने के उत्सुक हैं। दोनों ही लोकसभा क्षेत्रों से भाजपा चुनाव जीतते आ रही हैं। सिवनी और बालाघाट क्षेत्र से वे भाजपा के सांसद भी रह चुकें हैं। जिले की सिवनी और बरघाट विस सीटें अब बालाघाट संसदीय क्षेत्र में हैं। इस परिप्रक्ष्य में यदि उनकी सक्रियता जिले में बढ़ती है तो जिले के भाजपायी समीकरणों में भारी बदलाव की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता हैं।
क्या हीरा भी हुये हरवंश की कूटनीति का शिकार? -मुख्यमंत्री यिावराज सिंह चौहान के आगमन के एक दिन पूव जिला कांग्रेस कमेटी की विस्तारित कार्यकारिणी की बैठक जिला इंकाध्यक्ष हीरा आसवानी के निवास पर आयोजित हुयी। इस बैठक में ओला,कर्फ्यू सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा हुयी लेकिन चुनावी साल में घोषणावीर मुख्यमंत्री की जिले की अधूरी पड़ी घोषणाओं को लेकर उन्हें घेरने की कोई रणनीति नहीं बनायी गयी। जबकि जिले में उन घोषणाओं के पूरा ना होने से भारी जन असंतोष हैं। विस उपाध्यक्ष हरवंश सिंह की उपस्थिति में हुयी इस बैठक में शिवराज सिंह को कठघरे में कांग्रेस द्वारा खड़ा ना किये जाने को लेकर सियासी हल्कों में तरह तरह की चर्चायें हैं। वैसे भी हरवंश शिवराज नूरा कुश्ती के आरोप जिले से लेकर प्रदेश तक में समय समय पर लगते रहें हैं। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हरवंश सिंह को शिवराज सिंह के खिलाफ बहुचर्चित डंपर कांड़ की जांच समिति का अध्यक्ष बनाया था। इसके तत्काल बाद ही हरवंश सिंह तत्कालीन सांयसद नीता पटेरिया के साथ हुये एक विवाद के बाद दर्ज करायी गयर एफ.आई.आर. के बाद धारा 307 के जान से मारने के प्रयास के अभियुक्त बन गये थे। इन दोनों के संयोग ने ही हरवंश शिवराज नूरा कुश्ती की नींव रखी थी। ना तो आज तक डंपर कांड़ की जांच रिपोर्ट का कोई अता पता है और ना ही पुलिस आज तक हरवंश सिंह के विरुद्ध धारा 307 का अदालत में कोई चालान ही पेश कर पायी हैं। लेकिन यदि कोई कहे कि कांग्रेस की इस बैठक में किसी को घेरने का काम नहीं किया गया तो यह भी गलत हैं। कांग्रेस की इस बैठक में अपने ही जिला अध्यक्ष हीरा आसवानी को घेंरने की योजना पर अमल किया गया। वैसे इस बात के चर्चे जिले के इंकाई हल्कों में कई महीने से थे कि जिला कांग्रेस अध्यक्ष हीरा आसवानी से हरवंश सिंह खफा हैं और जल्दी ही उपाध्यक्ष नरेश मरावी को कार्यकारी अध्यक्ष बना कर हरवंश सिंह एक तीर से दो शिकार करने वाले हैं। कुछ इंका नेताओं का तो यहां तक दावा है कि विगत सितम्बर माह में जब प्रभारी बी.के.हरप्रिसाद के सामने इंका नेता राजकुमार खुराना ने कांग्रेस की जिले में दुर्गति के लिये हरवंश सिंह को खुलेआम कठघरे में खड़ा किया था तब हरवंश सिंह यह चाहते थे कि खुराना के आरोपों का जवाब दूसरे दिन जिला इंकाध्यक्ष हीरा आसवानी दें लेकिन जब जिला इंकाध्यक्ष ने ऐसा नहीं किया तो उसी वक्त हरवंश सिंह ने भोपाल में ही मौजूद उपाध्यक्ष नरेश मरावी को कार्यकारी अध्यक्ष बनने के लिये तैयार रहने को कह दिया था। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि नरेश मरावी प्रदेश इंकाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के भी नजदीकी हैं।  इस नाते वे इस बार आश्वस्त हैं कि उन्हें बरघाट सीट से विधानसभा की टिकिट मिल जायेगी। केवलारी विस क्षेत्र के आदिवासी नेता नरेश मरावी का विस चुनाव लड़ना चूंकि हरवंश सिंह के लिये असुविधा का कारण बनता इसीलिये इस योजना पर अमल किया गया। अब कार्यकारी अध्यक्ष रहते नरेश मरावी टिकिट से भी वंचित हो जायेंगें और उनकी हरवंश सिंह से नाराजी का कोई सीधा कारण भी नहीं रहेगा।जब हीरा आसवानी सभी जगह जांच करवा कर आ गये और उन्हें कोई विशेष आपरेशन कराने की जरूरत डाक्टरों ने नहीं बतायी उसके बाद उनकी ही मर्जी बताकर इस बैठक में एक प्रस्ताव पास कर नरेश मरावी को कार्यप्रभारी उपाध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पास कर लिया गया।समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार के अनुसार तो इस बैठक में नरेश मरावी को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया हैं और उम्मीद की जा रही हैं कि शीघ्र ही इस संबंध में हरवंश सिंह प्रदेश कांग्रेस से आदेश जारी करा देंगें। किसी ने सच ही कहा है कि हरवंश सिंह के लिये राजनीति के आगे पारिवारिक संबंधाों की कोई कीमत नहीं हैं। “मुसाफिर”  
सा. दर्पण झूठ ना बोले
2 अप्रेल 2013 से साभार

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