जिले में भाजपा में ब्राम्हणों और जैनियों को मिल रही प्राथमिकता अन्य लोगों में नाराजगी का करण बन रही है
विगत 14 मई को जिले के केवलारी क्षेत्र के विधायक और विस उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह का आकस्मिक दुखद निधन हो गया। उनके अंतिम संस्कार और त्रयोदशी संस्कार में कांग्रेस और भाजपा के कई राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेताओं ने शोक संवेदना व्यक्त कर परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की। पक्ष एवं विपक्ष के नेताओं की उपस्थिति उनके राजनैतिक कद की परिचायक हैं। चुनावी साल में भाजपा की गुटबंदी जिले थमने के बजाय और बढ़ती जा रही हैं। जिला भाजपा अध्यक्ष नरेश दिवाकर,विधायक नीता पटेरिया और पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी का त्रिकोण इन दिनों सियासी हल्कों में चर्चित हैं। हाल ही में हुये प्रदेश कांगेस के फेर बदल में सिवनी जिले के किसी भी नेता कों शामिल नहीं किया गया। और तो और प्रदेश कांग्रेस की महामंत्री गीता सिंह को भी निकाल दिया गया। भाजपा में पंड़ितों और जैनियों को जिले में सालों से मिल रही प्राथमिता के कारण पिछड़ा वर्ग,मुस्लिमों, आदिवासी और हरिजनो के मन में यह भावना घर करते जा रही है कि भाजपा में उनका अपना कोई भविष्य नहीं है। अगले चुनाव के लिये यह शिवराज सिंह चौहान और नरेन्द्र तोमर के लिये एक चिंता का विषय बन सकता है।
स्व. हरवंश सिंह को मुसाफिर की श्रृद्धांजलीे- विगत 14 मई को जिले के केवलारी क्षेत्र के विधायक और विस उपाध्यक्ष ठा. हरवंश सिंह का आकस्मिक दुखद निधन हो गया। उनके अंतिम संस्कार और त्रयोदशी संस्कार में कांग्रेस और भाजपा के कई राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेताओं ने शोक संवेदना व्यक्त कर परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की। पक्ष एवं विपक्ष के नेताओं की उपस्थिति उनके राजनैतिक कद की परिचायक हैं। जिले की राजनीति में वे लंबे समय से एक मात्र केन्द्र बिन्दु बने हुये थे। चौपाल से भोपाल तक का उनका सफर कई उतार चढ़ाव से भरा हुआ था। ऐसे कद्दावर इंका नेता के चुनावी साल में एका एक निधन से एक रिक्तता आ गयी है जो कैसे भरी जायेगी? इसे लेकर राजनैतिक क्षेत्रों में उत्सुकता बनी हुयी हैं। मुसाफिर स्व. ठा. हरवंश सिंह को अपनी विनम्र श्रृद्धांजली अर्पित करता है तथा परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करता है कि वो उन्हें विर शांति प्रदान करे और उनके परिजनो तथा शुभचिंतकों को यह गहन दुख वहन करने की शक्ति प्रदान करें।
अविश्वास प्रस्ताव बनाम भाजपायी गुटबंदीे-चुनावी साल में भाजपा की गुटबंदी जिले थमने के बजाय और बढ़ती जा रही हैं। जिला भाजपा अध्यक्ष नरेश दिवाकर,विधायक नीता पटेरिया और पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी का त्रिकोण इन दिनों सियासी हल्कों में चर्चित हैं। नीता पटेरिया सिवनी की विधायक हैं। नरेश सिवनी के पूर्व विधायक है और फिर टिकिट की जुगत में हैं। राजेश पालिका अध्यक्ष है और सिवनी से युवा और नये चेहरे के रूप में टिकिट पाना चाह रहें हैं। फिलहाल तो सिवनी सीट भाजपा में खाली नहीं है लेकिन ना जाने क्यों इसे खाली मानकर ही टिकिट की जुगाड़ और इसके लिये राजनैतिक दांव पेंच चालू हो चुके हैं। पिछले दिनों जिला भाजपा कार्यालय में पालिका के भाजपा पार्षदों की बैठक हुयी जिसमें पालिका के कांग्रेस के उपाध्यक्ष राजिक अकील के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय लेकर कलेक्टर के यहां पेश कर दिया गया। भाजपायी हल्कों में चर्चा है कि इस निर्णय में भाजपा के ही पालिका अध्यक्ष को विश्वास में नहीं लिया गया। इसमें रणनीति यह बतायी जा रही है कि यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया तो यश जिला भाजपा अध्यक्ष नरेश दिवाकर को मिलेगा और यदि प्रस्ताव गिर गया तो ठीकरा पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी के सिर पर फोड़ दिया जायेगा। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि परिषद में कांग्रेस के 13 और भाजपा के अध्यक्ष और 11 पार्षद हैं जबकि अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के लिये कुल संख्या के दो तिहायी वोट प्रस्ताव के पक्ष में पड़ना चाहिये। एक तरह से यह निश्चित माना जा रहा है कि इस खेल में भाजपा को मुंह की खानी पड़ सकती हैं। यह सब जानते हुये भी अविश्वास प्रस्ताव लाना भाजपा की गुटबंदी का ही परिणाम हैं। जिला भाजपा में एक दूसरे को नीचा दिखाने के चक्कर में वो नगर विकास अवरुद्ध हो रहा है जिसका वायदा चुनाव के समय रोड़ शो करके प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था।
गीता की छुट्टी प्रदेश कांग्रेस में प्रतिनिधित्व समाप्त-हाल ही में हुये प्रदेश कांगेस के फेर बदल में सिवनी जिले के किसी भी नेता कों शामिल नहीं किया गया। और तो और प्रदेश कांग्रेस की महामंत्री गीता सिंह को भी निकाल दिया गया। उल्लेखनीय है कि गीता सिंह कांग्रेस के विधायक स्व. रणधीर सिंह की पत्नी हैं। आपके आजा ससुर दीप सिंह और ससुर सत्येन्द्र सिंह भी विधायक थे। युवा रणधीर की अकाल मृत्यु के बाद हुये उप चुनाव में गीता को कांग्रेस की टिकिट नहीं मिली थी। उसके बाद से वे कांग्रेस की राजनीति में हासिये थीं। लेकिन जब दिग्गी समर्थक कांतिलाल भूरिया प्रदेश अध्यक्ष बने तो उन्हें एकदम से प्रदेश में महामंत्री जैसे पद की जवाबदारी मिल गयी। लेकिन ना जाने क्यों इसके बाद भी वे अपने पद के अनुसार सक्रिय नहीं हो पायीं और अपने प्रभार के जिले में भी एक बार भी नहीं गयीं। इन्हीं सब कारणों से शायद उनकी छुट्टी हो गयी। इसके साथ ही प्रदेश कांग्रेस में जिले का प्रतिनिधित्व ही समाप्त हो गया। एक समय था जब 1977 की जनता लहर में जिले की पांचों सीटें कांग्रेस ने जीत कर समूचे उत्तर भारत में एक रिकार्ड बनाया था। लेकिन आज जिले की चार में से तीन सीटें भाजपा के पास है जिसमें से दो बरघाट और सिवनी में भाजपा पांच बार से चुनाव जीत रही हैं।ऐसे हालात में जिले में कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिये नेतृत्व को ध्यान देना होगा अन्यथा मिशन 2013 और 2014 को फतह करना एक कठिन काम होगा।
भाजपा में पंड़ितों और जैनियों के वर्चस्व से अन्य निराश- भाजपा में पंड़ितों और जैनियों को जिले में सालों से मिल रही प्राथमिता के कारण पिछड़ा वर्ग,मुस्लिमों, आदिवासी और हरिजनो के मन में यह भावना घर करते जा रही है कि भाजपा में उनका अपना कोई भविष्य नहीं है। ऐसा मानने वाले यह तर्क देते है कि चाहे जिला भाजपा अध्यक्ष पा पद हो या सिवनी विस की टिकिट सालों से इन पर ब्राम्हणों और जैनियों का ही कब्जा रहा है। स्व. महेश शुक्ल,प्रमोद कुमार जैन कंवर साहब, चक्रेश जैन, सुदर्शन बाझल, सुजीत जैन और अभी नरेश दिवाकर भाजपा के जिलाध्यक्ष हैं। बीच में वेद सिंह ठाकुर,डॉ ढ़ालसिंह बिसेन और कीरत सिंह बघेल जरूर अध्यक्ष रहें हैं। इसी तरह सिवनी विस की टिकिट भी 1985 से इन्हीं के कोटे में जा रही हैं। 85 में प्रमोद कुमार जैन,90 और 93 में स्व. पं. महेश शुक्ला,09 और 2003 में नरेश दिवाकर और 2008 में नीता पटेरिया को भाजपा ने टिकिट दी थी। सन 1990 से यहां से भाजपा का विधाय ही जीत रहा है इसीलिये इस रणनीति को बदलने के बारें में भाजपा में कभी विचार भी नहीं हुआ। अगले विस चुनाव में भी टिकिट इन्हीं के बीच मिलना तय माना जा रहा है। इसी कारण पिछड़ा वर्ग,अल्प संख्यक,आदिवासी और हरजिन वर्ग के कार्यकर्त्ताओं में धीरे धीरे यह भावना बैठती जा रही है कि भाजपा में हमारा कोई भविष्य नहीं है? भाजपा नेतृत्व यान शिवराज सिंह और नरेन्द्र तोमर के लिये यह मिशन 2013 और 2014 के लिये यह एक चिंता का विषय होे सकता है।“मुसाफिर”
सा. दर्पण झूठ ना बोले सिवनी
04 जून 2013 से साभार
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