हाजीपुर,ब्रजकिशोर सिंह। प्रदेश और विशेष रूप से बीआरए बिहार विवि में
कार्यरत और अवकाशप्राप्त विश्वविद्यालय शिक्षकों की हालत भिखारियों जैसी हो
गई है और वे भुखमरी के कगार पर पहुँच गए हैं। विदित हो कि राज्य के
विश्वविद्यालय शिक्षकों को फरवरी तक का ही वेतन-पेंशन दिया गया है। बीच में
मार्च महीने में उनलोगों को बीमों की किश्तें और आयकर देना पड़ा जिससे
फरवरी का वेतन-पेंशन इन कामों में ही हवा हो गया।
विदित हो कि गत 11 अप्रैल को राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के सचिव एचआर श्रीनिवास ने घोषणा की थी कि अगले एक सप्ताह में प्रदेश के कार्यरत और अवकाशप्राप्त विवि शिक्षकों नए वेतनमान के बकाये की पहली किस्त दे दी जाएगी परंतु जबकि अब यह महीना समाप्त होने को है किस्त का कहीं अता-पता नहीं है। पिछले दो महीने से वेतन-पेंशन नहीं मिलने से इन हजारों शिक्षकों की आर्थित हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उनके परिवार को शाक-सब्जी जैसे छोटे-मोटे खर्चों में भी कटौती करनी पड़ रही है और परिचितों से कर्ज लेना पड़ रहा है।
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
विदित हो कि गत 11 अप्रैल को राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के सचिव एचआर श्रीनिवास ने घोषणा की थी कि अगले एक सप्ताह में प्रदेश के कार्यरत और अवकाशप्राप्त विवि शिक्षकों नए वेतनमान के बकाये की पहली किस्त दे दी जाएगी परंतु जबकि अब यह महीना समाप्त होने को है किस्त का कहीं अता-पता नहीं है। पिछले दो महीने से वेतन-पेंशन नहीं मिलने से इन हजारों शिक्षकों की आर्थित हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उनके परिवार को शाक-सब्जी जैसे छोटे-मोटे खर्चों में भी कटौती करनी पड़ रही है और परिचितों से कर्ज लेना पड़ रहा है।
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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