Micro short story-6
`अनपढ़-गँवार । `
सुबह-११.०० बजे ।
"बेटे, कामवाली बाई के लड़के, छोटू के साथ मत खेलना, देखा नहीं,
उसके बाप ने शराब पी कर, कामवाली बाई को कितना पीटा है..!
ये अनपढ़-गँवार लोग है, इन से दोस्ती रखना अच्छी बात नहीं है ।"
सिर्फ छह साल का मंथन, कुछ समझा-कुछ ना समझा पर ,
उसने मम्मी के सामने अपना सिर हिला दिया..!
रात - ११.०० बजे ।
" आज फिर से, आप शराब पी कर आए,
मंथन जाग जाएगा तो क्या सोचेगा ? क्या..!
हाँ, जाओ, आज फिर से मैंने, आप की गर्लफ्रेंड को,
फोन पर फटकार लगाई है, क्या कर लोगे ?
ओ..ह, नो..नो.. यु आर हर्टींग मी..
प्लिझ, मत मारो मुझे..सहन नहीं होता..!
ओह..अ..अ..अ..गो..ड़..!"
दूसरे दिन-सुबह- ९.०० बजे ।
" कल रात पापा ने शराब पी कर आप को बहुत पीटा था ना मम्मी?
अब तो हम भी अनपढ़-गँवार हो गए,
क्या अब मैं छोटू से साथ खेल सकता हूँ ?"
मार्कण्ड दवे । दिनांकः १८-०४-२०१४.
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