पड़ोसी पाकिस्तान और भारत की नीति ?
देश आजाद हुआ और भारतवर्ष खंडित हो गया और उसका ही अँग उसका शत्रु
बन गया जो आज तक सामने के हाथ में फूल और पीछे के हाथ में छुरा रखता
है। क्या इसके पीछे का मूल कारण प्राकृतिक सम्पदा से सम्पन्न कश्मीर है या
पाकिस्तान की काल्पनिक शंका से युक्त मनोदशा ?
पाकिस्तान मामले में भारत का रुख हमेशा से नरम रहा है या ढुलमुल रहा ,इसके
पीछे का कारण अदूरदृष्टा राजनीतिज्ञ रहे या भारतीय लोकतन्त्र की वोटबैंक साधने
की कुटिल नीति ,कारण चाहे दोनों ही रहे हो या एक लेकिन नतीजा यह रहा कि
हमारी सरहद अकारण सुलगती रही और अन्य विदेशी ताकतें जो भारत के बढ़ते
प्रभुत्व को सह नहीं पा रही थी वे अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए पाकिस्तान का
बेजा और भारत का साधारण इस्तेमाल अपना आर्थिक और सामरिक हित साधने
में करती रही।
स्वतंत्र भारत अब अपना नया युग शुरू कर रहा है और ऐसे में सारा विश्व अपनी
निगाहें गड़ाये हर हलचल का अपने -अपने स्वार्थ के अनुसार नफा नुकसान का
गणित पढ़ रहा है। भारत की नीति इस बात को केंद्र में रख कर होनी चाहिए कि
हमारा बिलकुल भी अहित ना हो और दुश्मन का भी जहाँ तक बन सके वहाँ तक
भला हो। क्षमा वीरस्य भूषणम यह नीति है कोई आध्यात्मिक चिन्तन नही है।
भारत ने आज तक इस नीति का दुरूपयोग किया है और आज तक इसका
दुष्परिणाम भोगा है। जब शत्रु का अपराध प्रमाणित हो जाता है और वह उचित
दण्ड से बचा रहता है इसे क्षमा का दुरूपयोग माना जाता है। प्रमाणित अपराध
पर शत्रु को उचित दण्ड देना ही क्षमा नीति का उपयोग होता है।
पडोसी देश छोटा है या बड़ा यह बाद की बात है हमारी सीमायें उसकी सीमाओं
से सटी है इसलिए हमारे लिए सबका महत्व है। भारत के विकास के लिए
आवश्यक है पडोसी देशों में सुख समृद्धि और विकास का होना। यदि हमारे
पडोसी देशों में गरीबी ,भुखमरी ,बीमारी और अशिक्षा है तो इसका असर हमारे
पर पड़ना ही है। भारत अपने पडोसी देशों के साथ मिलकर इन मुद्दों पर सार्थक
बात करे यदि ये रुग्णता मिटेंगी तो सरहद पर काफी समस्याएँ खत्म हो जाएगी।
गरीबी और अशिक्षा आतँकवाद को प्रश्रय देते हैं ,हमें खड़ा होना है तो पहले इन
रुग्णताओं को नेस्तनाबूद करना है, अपने देश से भी और पडोसी देशो से भी।
जब पेट भरा होगा तो आवाम जीना चाहेगा और जीने के लिए सहयोग और
सहकार के मन्त्र सीखेगा।
हमें अपने पडोसी देशों को स्पष्ट और कड़ा सन्देश देना पड़ेगा कि भारत में अस्थिरता
फैलाने के सपने देखने वाले पडोसी पर कठोर कार्यवाही की जायेगी जो शाब्दिक
नहीं होगी तथा जो पडोसी अपने देश के विकास के लिए भारत से हर स्तर पर
अच्छे सम्बन्ध रखना चाहता है भारत सदैव उसके साथ सहकार और सहयोग रखेगा।
अगर हमारे पडोसी एक फूल भेँट करेंगे तो हम दस करेंगे और वो एक गोली मारेगा
तो हमारी दस बंदूकें गरजेगी।
देश आजाद हुआ और भारतवर्ष खंडित हो गया और उसका ही अँग उसका शत्रु
बन गया जो आज तक सामने के हाथ में फूल और पीछे के हाथ में छुरा रखता
है। क्या इसके पीछे का मूल कारण प्राकृतिक सम्पदा से सम्पन्न कश्मीर है या
पाकिस्तान की काल्पनिक शंका से युक्त मनोदशा ?
पाकिस्तान मामले में भारत का रुख हमेशा से नरम रहा है या ढुलमुल रहा ,इसके
पीछे का कारण अदूरदृष्टा राजनीतिज्ञ रहे या भारतीय लोकतन्त्र की वोटबैंक साधने
की कुटिल नीति ,कारण चाहे दोनों ही रहे हो या एक लेकिन नतीजा यह रहा कि
हमारी सरहद अकारण सुलगती रही और अन्य विदेशी ताकतें जो भारत के बढ़ते
प्रभुत्व को सह नहीं पा रही थी वे अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए पाकिस्तान का
बेजा और भारत का साधारण इस्तेमाल अपना आर्थिक और सामरिक हित साधने
में करती रही।
स्वतंत्र भारत अब अपना नया युग शुरू कर रहा है और ऐसे में सारा विश्व अपनी
निगाहें गड़ाये हर हलचल का अपने -अपने स्वार्थ के अनुसार नफा नुकसान का
गणित पढ़ रहा है। भारत की नीति इस बात को केंद्र में रख कर होनी चाहिए कि
हमारा बिलकुल भी अहित ना हो और दुश्मन का भी जहाँ तक बन सके वहाँ तक
भला हो। क्षमा वीरस्य भूषणम यह नीति है कोई आध्यात्मिक चिन्तन नही है।
भारत ने आज तक इस नीति का दुरूपयोग किया है और आज तक इसका
दुष्परिणाम भोगा है। जब शत्रु का अपराध प्रमाणित हो जाता है और वह उचित
दण्ड से बचा रहता है इसे क्षमा का दुरूपयोग माना जाता है। प्रमाणित अपराध
पर शत्रु को उचित दण्ड देना ही क्षमा नीति का उपयोग होता है।
पडोसी देश छोटा है या बड़ा यह बाद की बात है हमारी सीमायें उसकी सीमाओं
से सटी है इसलिए हमारे लिए सबका महत्व है। भारत के विकास के लिए
आवश्यक है पडोसी देशों में सुख समृद्धि और विकास का होना। यदि हमारे
पडोसी देशों में गरीबी ,भुखमरी ,बीमारी और अशिक्षा है तो इसका असर हमारे
पर पड़ना ही है। भारत अपने पडोसी देशों के साथ मिलकर इन मुद्दों पर सार्थक
बात करे यदि ये रुग्णता मिटेंगी तो सरहद पर काफी समस्याएँ खत्म हो जाएगी।
गरीबी और अशिक्षा आतँकवाद को प्रश्रय देते हैं ,हमें खड़ा होना है तो पहले इन
रुग्णताओं को नेस्तनाबूद करना है, अपने देश से भी और पडोसी देशो से भी।
जब पेट भरा होगा तो आवाम जीना चाहेगा और जीने के लिए सहयोग और
सहकार के मन्त्र सीखेगा।
हमें अपने पडोसी देशों को स्पष्ट और कड़ा सन्देश देना पड़ेगा कि भारत में अस्थिरता
फैलाने के सपने देखने वाले पडोसी पर कठोर कार्यवाही की जायेगी जो शाब्दिक
नहीं होगी तथा जो पडोसी अपने देश के विकास के लिए भारत से हर स्तर पर
अच्छे सम्बन्ध रखना चाहता है भारत सदैव उसके साथ सहकार और सहयोग रखेगा।
अगर हमारे पडोसी एक फूल भेँट करेंगे तो हम दस करेंगे और वो एक गोली मारेगा
तो हमारी दस बंदूकें गरजेगी।
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