मेडिकल कालेज को लेकर प्रदेश सरकार के जिम्मेदार लोगों के अलग अलग बयानों से राजनीति गर्मायी
सिवनी के विधायक दिनेश मुनमुन राय ने एक प्रश्न पूछा था। इस तारांकित प्रश्न क्र. 515 का सदन में जवाब 12 दिसम्बर 2014 को प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिया था। अपना पूरक प्रश्न पूछने के पहले मुनमुन राय ने कहा कि,“ माननीय अध्यक्ष महोदय आपकी मार्फत मैं माननीय मंत्री जी से इस प्रश्न का जवाब मांगने से पूर्व माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी को बधाई दूंगा कि हमारे जिले में पहली बार एक बड़ा काम मेडिकल कालेज का आपके माध्यम से सरकार के माध्यम से होने जा रहा है।”छिंदवाड़ा जिले के विधायक सोहनलाल बाल्मीक ने कहा कि छंदवाड़ा जिले में मेडिकल कालेज पहले स्वीकृत हुआ था और सरकार की गलत नीतियों के कारण मेडिकल कालेज सिवनी में परिवर्तित किया जा रहा है।”जब 2013 में छिंदवाड़ा और शिवपुरी में केन्द्र द्वारा पोषित मेडिकल कालेज खुलने खोले जाने की घोषणा हुयी थी तब प्रदेश सरकार ने इस बात का खुलासा क्यों नहीं किया था कि प्रदेश सरकार ने प्रस्ताव में सिवनी और सतना प्रस्तावित किया था जिसे तत्कालीन केन्द्र सरकार ने बदल कर छिंदवाड़ा और शिवपुरी कर दिया जहां से केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद थे। जिले में हुये पहले जिला पंचायत चुनाव में भाजपा की गोमती ठाकुर वार्ड क्रं 8 से चुनाव जीती थी। तब से लेकर पिछले चुनाव तक वे लगातार इसी वार्ड से निर्वाचित होते आयीं है। एक बार पार्टी ने उन्हें अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़वाया था लेकिन वे हार गयीं थीं।
केन्द्र सरकार द्वारा पोषित मेडिकल कालेज से कब छटेगी धुंध?ः-शीतकालीन सत्र में विधानसभा में जिला चिकित्सालय की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सिवनी के विधायक दिनेश मुनमुन राय ने एक प्रश्न पूछा था। इस तारांकित प्रश्न क्र. 515 का सदन में जवाब 12 दिसम्बर 2014 को प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिया था। अपना पूरक प्रश्न पूछने के पहले मुनमुन राय ने कहा कि,“ माननीय अध्यक्ष महोदय आपकी मार्फत मैं माननीय मंत्री जी से इस प्रश्न का जवाब मांगने से पूर्व माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी को बधाई दूंगा कि हमारे जिले में पहली बार एक बड़ा काम मेडिकल कालेज का आपके माध्यम से सरकार के माध्यम से होने जा रहा है।” मुनमुन राय के इतना कहते ही छिंदवाड़ा जिले के विधायक सोहनलाल बाल्मीक ने कहा कि,“अध्यक्ष महोदय यह विषय के बाहर की बात है। मुझे बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है जो बात हमको कहनी चाहिये। मेडीकल कालेज की बात मैंने उठाई हैं। छिंदवाड़ा जिले में मेडिकल कालेज पहले स्वीकृत हुआ था और सरकार की गलत नीतियों के कारण मेडिकल कालेज सिवनी में परिवर्तित किया जा रहा है।” इस पर व्यवधान हुआ। अध्यक्ष महोदय ने कहा कि,“ आप प्रश्न कर दें। यह उनका प्रश्न है। यह आपका प्रश्न नहीं था। आपका प्रश्न था क्या?” इस पर सोहन लाल बाल्मीक ने कहा कि,“ उनकी बधायी का हम विरोध करेंगें। मुनमुन भाई यह छिंदवाड़ा में सेंक्शन था माननीय कमलनाथ के मार्फत ” इस पर फिर व्यवधान हुआ। और चर्चा फिर मूल प्रश्न पर चालू हो गयी। विधानसभा की इस कार्यवाही विवरण में यह स्पष्ट हो गया है कि विधायक मुनमुन राय ने सदन में मेडिकल कालेज के लिये सिर्फ मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को बधायी भर दी थी। उनकी इस बधायी से ही सदन में विवाद हुआ और छिंदवाड़ा और सिवनी को लेकर एक सवाल खड़ा हो गया। लेकिन एक बात यह भी स्पष्ट हो गयी कि सदन में मौजूद मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने इस मामले में चुप्पी साधे रहे । जबकि छिंदवाड़ा की सभा में मुख्यमंत्री ने यह दहाड़ लगायी कि मेडिकल कालेज छिंदवाड़ा में ही खुलेगा और उनके रहते कोई भी माई का लाल छिंदवाड़ा से उसका हक नहीं छीन सकता। उन्होंने यह तक कह डाला कि यह अफवाह ना जाने कौन फैला रहा है । जबकि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करते समय प्रेस को यह बताया था कि प्रदेश सरकार का मूल प्रस्ताव सिवनी और सतना में केन्द्रीय सरकार द्वारा पोषित मेडिकल कालेज खोले जायेंगें जिसे तत्कालीन यू.पी.ए. सरकार ने बदल कर छिंदवाड़ा और शिवपुरी कर दिया था। लेकिन ये कालेज सतना और सिवनी में ही खुलेंगें। छिंदवाड़ा के कलेक्टर ने मुख्यमंत्री के छिंदवाड़ा प्रवास के पूर्व प्रेस कांफ्रेंस लेकर यह कहा कि मेडिकल कालेज छिंदवाड़ा में ही खुलेगा। इसमें कोई भ्रम नहीं हैं। प्रदेश सरकार के जिम्मेदार लोगों के द्वारा दिये गये अलग अलग बयानों से छिंदवाड़ा और सिवनी के राजनैतिक क्षेत्रों में हडकंप मच गया और आंदोलन तथा बयानबाजी होने लगी। इन सब बातों से एक सवाल यह सामने आता है कि जब 2013 में छिंदवाड़ा और शिवपुरी में केन्द्र द्वारा पोषित मेडिकल कालेज खुलने खोले जाने की घोषणा हुयी थी तब प्रदेश सरकार ने इस बात का खुलासा क्यों नहीं किया था कि प्रदेश सरकार ने प्रस्ताव में सिवनी और सतना प्रस्तावित किया था जिसे तत्कालीन केन्द्र सरकार ने बदल कर छिंदवाड़ा और शिवपुरी कर दिया जहां से केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद थे। ऐसे में यह उठना स्वभाविक है कि क्या इस स्थान परिवर्तन में प्रदेश की भाजपा सरकार और उसके मुखिया की भी सहमति थी? विधानसभा में सिवनी के लिये बधायी स्वीकार करने वाले शिवराज सिंह की छिंदवाड़ा की सभा में लगायी गयी दहाड़ क्या नगर निगम के होने वाले चुनाव के संबंध में थी? इन तमाम बातों से ऐसा लगता है कि हमेशा सिवनी के साथ छल करने वाली प्रदेश सरकार और उसके मुखिया शिवराज सिंह जिले की भोली भाली जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहें हैं। ऐसी ही थोथी घोषणाओं के चलते विस चुनाव में भाजपा का मात्र एक विधायक ही जीत पाया जबकि पिछली विस में भाजपा के तीन विधायक थे। यदि ऐसा ही चलते रहा तो जिले में भाजपा का सूपड़ा साफ होने से कोई नहीं रोक पायेगा।
गामती ठाकुर की उपेक्षा सियासी हल्कों हुयी चर्चित:-मध्यप्रदेश में 1994 से तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पंचायती राज लागू किया था। देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा संविधान में संशोधन के बाद प्रदेश में पंचायती राज लागू करने वाला पहला प्रदेश मध्यप्रदेश था। जिले में हुये पहले जिला पंचायत चुनाव में भाजपा की गोमती ठाकुर वार्ड क्रं 8 से चुनाव जीती थी। तब से लेकर पिछले चुनाव तक वे लगातार इसी वार्ड से निर्वाचित होते आयीं है। एक बार पार्टी ने उन्हें अध्यक्ष पद का चुनाव भी लड़वाया था लेकिन वे हार गयीं थीं। इस बार भाजपा ने उनके वार्ड से उन्हें उम्मीदवार ना बना कर माया ठाकरे को अपना समर्थित उम्मीदवार बनाया है। लेकिन गोमती ठाकुर भी फिर से पांचवी बार इसी वार्ड से चुनाव लड़ रहीं है। इससे नाराज होकर भाजपा नेतृत्व ने उनसे जिला महिला मोर्चे के अध्यक्ष पद से स्तीफा ले लिया और आनन फानन में उसे मंजूर भी कर लिया। भाजपा की अंदरूनी राजनीति जानने वालों का कहना है कि चूंकि इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष का पद महिला अनारक्षित हुआ है इसलिये सालों से अध्यक्ष बनने की लालसा रखने वाली गोमती ठाकुर को दौड़ से बाहर करने के लिये स्थानीय भाजपायी गुटबंदी के चलते गोमती ठाकुर को भाजपा ने अपना प्रत्याशी नहीं बनाया है। यदि वे प्रत्याशी बन कर जीत कर आतीं तो ना केवल जिले में यह रिकार्ड बनता ब्लकि भाजपा में भी सबसे अनुभवी सदस्य वही होतीं और उनके दावे को दरकिनार करना आसान नहीं होता। इसी के चलतें ये सब सियासी चाले चलीं गयी है। यहां यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि श्रीमती गोमती ठाकुर भाजपा की ना केवल वरिष्ठ सक्रिय महिला नेत्री रहीं हैं वरन जिला भाजपा की महामंत्री सहित कई महत्वपूर्ण पदों की जवाबदारी भी निभा चुकीं हैं। ऐसे में उनकी उपेक्षा किया जाना सियासी हल्कों में चर्चित हैं। “मुसाफिर”
दर्पण झूठ ना बोले, सिवन
6 जनवरी 2015 से साभार
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