1.8.15

मार्कण्डेय महादेब धाम कैथी में रुकेगी सभी रोडवेज की बसें

वाराणसी : चौबेपुर क्षेत्र के कैथी चौराहे पर अब रोडवेज के सभी मार्ग की बसें रुकेंगी, गाजीपुर गोरखपुर मार्ग की रोडवेज की बसों का ठहराव और कैथी से किराया निर्धारण की स्थानीय ग्रामीणों की वर्षों पुरानी  मांग के मद्देनजर उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक श्री पी के तिवारी के निर्देश पर आज से कैथी बस स्टैंड का विधिवत शुभारम्भ हुआ. एक दो दिन के अंदर ही सभी परिचालको की टिकट मशीन में भी किराये की फीडिंग कर दी जायेगी. इस तरफ से गुजरने वाली सभी रूट की बसों का अब कैथी चौराहे पर ठहराव होगा.सावन माह में दर्शनार्थी इस सेवा का लाभ उठाएंगे.  



आज बस स्टैंड का उद्घाटन क्षेत्रीय विधायक श्री त्रिभवन राम ने फीता काट कर किया, विधायक ने गोरखपुर जाने वाली रोडवेज बस को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कैथी मार्कंडेय धाम में दूर दराज से आने वाले हजारों दर्शनार्थियों को इस सुविधा से अत्यंत राहत मिलेगी. ज्ञातव्य है की सावन माह में माह पर्यंत चलने वाले मेले में लाखो की संख्या में दर्शनार्थी यहाँ पहुचते हैं.

कैथी में रोडवेज बस स्टैंड के शुभारम्भ से स्थानीय लोगों में हर्ष व्याप्त है, लोगों ने मिठाई बाँट कर ख़ुशी का इजहार किया, इन लोगो का कहना है कि कई वर्ष बाद हमारी मांग पूरी हुयी है अब देर रात को भी कहीं आने जाने में समस्या नही होगी , उन्होंने विधायक महदी से कैथी चौराहे पर दोनों ओर यात्री शेड बनाने की मांग की. उदघाटन कार्यक्रम में प्रमुख रूप से इंद्रसेन सिंह, कन्हैया लाल यादव, दिनेश सिंह, हंसू यादव, चन्द्रमोहन पाण्डेय,  वल्लभाचार्य पाण्डेय, दीन दयाल सिंह, सूरज पाण्डेय, रमेश सिंह, जीतेन्द्र राजभर, संजय यादव, लाल जी यादव, जोखन राम, छांगुर राम आदि सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे.

मिटटी का कुल्हड़ न बिकने देने के प्रशासन के फरमान से कुम्हार समाज व्यथित

आज सावन माह के पहले दिन कैथी स्थित प्रसिद्द शिवालय मार्कंडेय महादेव धाम में दर्शनार्थियों और कांवरियों की भीड़ उमड़ पड़ी. इस शिवालय को द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समक्ष मान्यता है और यहाँ सावन महीने में मासपर्यंत विशेष दर्शन पूजन की परम्परा है. पूर्वांचल के सभी जिलों से भरी संख्या में कांवरिया आज यहाँ पहुचे. पावन गंगा घाट पर स्नान कर और जल लेकर धाम में दर्शन के बाद कांवर यात्रा की शुरूआत होती है. पूरा क्षेत्र कांवरियों से भरा हुआ है और कावर यात्रा से सम्बन्धी विभिन्न सामग्रियों से बाजार सज गया है.मेले की व्यवस्था में प्रशासन मुस्तैद है, सारी व्यवस्था चाक चौबंद है, भीड को नियंत्रित करने के लिए मजबूत बैरिकेटिंग की गयी है. लेकिन अब भी कुछ कमियां रह गयी हैं जिन पर स्थानीय लोगों ने अधिकारियों का ध्यान  आकृष्ट कराया है , गंगा तट पर गहरे पानी में जाने से रोकने के लिए की गयी व्यवस्था, महिलाओं के कपड़ा बदलने के स्थान की व्यवस्था भीड़ की दृष्टि से समुचित नही है. मंदिर परिसर में रखी चौकियां भी दर्शन पूजन में अवरोध का कारण बन सकती हैं, चौकी के कारण रास्ता संकरा हो जाता है भीड़ होने पर इससे असुविधा होनी स्वाभाविक है.

वहीं दूसरी ओर प्रशासन द्वारा जल और दूध चढ़ाने के लिए मिटटी के कुल्हड़  के प्रयोग पर पूर्ण पाबन्दी और केवल प्लास्टिक के बर्तन का प्रयोग करने के आदेश से स्थानीय कुम्हार समाज में असंतोष व्याप्त है. उनका कहना है कि हम लोग सावन माह की साल भर प्रतीक्षा  करते हैं , मिटटी के कुल्हड़ पर प्रतिबन्ध से आस पास के कई गावों के लगभग 50 कुम्हार परिवारों की आजीविका प्रभावित हो रही है . हम लोग कई महीने से लाखों कुल्हड़ बना कर सावन का इन्तजार कर रहे थे लेकिन प्रशासन द्वारा लागाये गए पर्तिबंध से हम बर्बाद हो रहे हैं. पर्यावरण के प्रति जागरूकता अभियान से जुड़े हुए स्थानीय सामाजिक कार्यकर्त्ता वल्लभाचार्य पाण्डेय ने मिटटी के कुल्हड़ पर प्रतिबंध और प्लास्टिक को बढ़ावा देने को अविवेकपूर्ण बताते हुए इसका विरोध करते हुए कहा कि  प्रशासन को इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए, मिटटी के कुल्ल्ड से जहाँ हजारों ग्रामीण परिवारों की आजीविका प्रभावित होगी वहीँ आस पास प्लास्टिक के बर्तन बिखरेंगे जिसका कोई दूसरा उपयोग नही होगा  और पर्यवरण को भारी क्षति पहुचेगी. मिटटी के कुल्हड़ से पैर में चोट लगने का प्रशासन का तर्क अव्यावहारिक है , इसके प्रतिबन्ध की बजाय इसे व्यवस्थित ढंग से एक स्थान पर डालने की व्यवस्था की जानी चाहिए थी. सस्ते प्लास्टिक के बर्तन किसी दुसरे उपयोग में न आकर केवल पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा इसके विपरीत मिटटी के कुल्हड़ कुछ दिन बाद पुनः मिटटी में परिवर्तित हो जाता है और जल जमाव वाले इलाके में मिटटी भरने के उपयोग में आ जाता है.उन्होंने इस सम्बन्ध में प्रशासन व उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है.

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