6.8.15

पोर्न फिल्मों पर लगाये गये प्रतिबंध पर विदेशी षडयंत्र का विरोध करें

नागदा जं.। मोदी सरकार को पानी पी पीकर कोसने वालों ने अब हद ही कर दी जबकि सरकार कि तरफ से इंटरनेट सर्विस प्रोवाईडरों को 851 वेबसाईटों को ब्लॉक करने के लिये किये गये जारी निर्देश का इस आधार पर विरोध करना शुरू कर दिया कि आखिर इन वेेबसाईटों का चुनने का पैमान क्या है ? हजारों लाखों वेबसाईटें में से मात्र 857 क्यों चुनी गई ? वेबसाईटों को रोकने के पीछे सरकार कि क्या मंशा है ? कानूनी निर्देश कि अस्पष्ट भाषा पर प्रश्न चिन्ह लगाया गया ? आय.टी. एक्ट कि धारा 79 के अन्तर्गत सुझाव दिया, लेकिन धारा 69 किसी संज्ञेय अपराधों को उकसाने कि रोकथाम पर कार्यवाही करने का निर्देश देता है और पोर्न साईट से कोई संज्ञेय अपराध नहीं होता है ?



एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिवकुमार शर्मा के हवाले से बतलाया गया कि सूचना एवं तकनिक कानून और अनुच्छेद 19 की उपधारा 2 के तहत सिर्फ चाईल्ड पोनोग्राफी पर ही रोक लगायी जा सकती है। व्यस्कों को बंद कमरे में पोर्न साईट देखने का अधिकार है। ब्लॉक किये जाने के निर्देशों में पोनोग्राफी व चाईल्ड शब्दों का उपयोग नहीं किया गया है। इस आदेश को तालिबान एवं इस्लामिक जैसे संगठन से तुलना कर दी। इसे व्यक्तिगत आजादी से जोडा गया। भारत जैसे सांस्कृतिक विरासत, गरिमा व विश्व कि श्रेष्ठ पारिवारिक परम्परा निर्वहन किये जाने वाले देश की संस्कृति को नष्ट कर शासन व सत्ता से सांठगांठ कर षडयंत्रपूर्वक पिछले कई वर्षो से भारतीय समाज कि मांग को ठुकराकर पोर्न के नाम से अश्लीलता परोसने पर प्रतिबंध लगाये जाने कि मांग को नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा बहादुरीपूर्वक सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम 2008 के सेक्शन 79 (3) बी तथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के अन्तर्गत इंटरनेट सर्विस प्रोवाईडरों को तत्काल प्रभाव से 857 साईटों को ब्लॉक करने का जो निर्देश दिया, उसका स्वागत भारतीय समाज आकर करे इसके पूर्व तथाकथित सामाजिक नेतृत्वकर्ताओं ने विरोध कर गुुमराह करने का जो प्रयास किया है, वह भारतीय संस्कृति पर सीधा-सीधा हमला है।

बुुद्धि कि जुगाली कराते हुए कई बुद्धिजीवी अपने तर्को को कुतर्को में बदलकर देश के जनमत को गुमराह करते हैं, इसमें कई लेखकों ने अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवादियों को मदद कि है, कुछ चित्रकारों ने भी अपनी प्रतिभा का दुरूपयोग किया है, लेकिन पोर्न साईटों के पक्ष में इस तरह से लिखने का दुस्साहस करना उनके पारिवारिक व्यवस्थाओं के लचीलेपन एवं आपसी विश्वास कि पराकाष्ठा है। जिस प्रकार सरकार के द्वारा लगाये गये प्रतिबंधों का विरोध किया है, वह अवैधानिक होकर भारतीय जनमानस को गुमराह करने वाला है।

चाईल्ड पोनोग्राफी कि आड को लेकर जो विरोध किया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि यह पोनोग्राफी इन्टरनेट के माध्यम से चाईल्ड तक पहुॅंच चुकी है। अतः चाईल्ड पोनोग्राफी का यह दूसरा आयाम है और सरकार को सूचना तकनीक कानून के आधार पर इस पर प्रतिबंध लगाये जाने का वैधानिक अधिकार है। व्यस्क को कमरे में बैठकर पोर्न साईटें देखने के अधिकार को सम्पूर्ण इंटरनेट पर कौन से कानून के अंतर्गत थोपा जा सकता है ? तालिबान व इस्लामिक आदेश का पोर्न साईट से किस तरह कि समानता है ? यह समझ से परे है। सर्वश्री चेतन भगत, रामगोपाल वर्मा व मिलिंद देवडा अपने तर्क में देश के प्रचलित कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं। भारत में पोर्न साईट का अर्न्तराष्ट्रीय बडा कारोबार है एवं पोर्न साईट पर प्रतिबंध का विरोध करने के इन अश्लील कारोबारियों को मदद किल रही है। इस आदेश से सरकार को कोई डील नहीं मिली, जिसका कि इस तरह से विरोध किया जाय। इन पोर्न साईटों को तो हमारे देश में पिछले कई वर्षो पूर्व ही ब्लॉक कर दिया जाना चाहिये था। इन साईटों को हमारे देश में इतने वर्षो तक चलाने के षडयंत्र व सांठगांठ कि उच्च स्तरीय जांच कि जाकर दोषी सत्ताधीशों व प्रशासनिक अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने के आदेश दिये जाने चाहिये।  सामाजिक कार्यकर्ता अभय चौपडा ने मांग की है कि शासन द्वारा ऐसे तत्वों के दबाव में पुनः चाईल्ड प्रोर्न को छोडकर बाकी पर प्रतिबंध वापस हटाये जाने का प्रस्ताव लाया है, उसका समस्त सामाजिक संगठनों द्वारा पुरजोर ताकत से विरोध किया जावेगा।

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