अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
21.9.15
सच्ची बातें जरूरी नहीं अच्छी भी लगें
मैंनें अपनी भड़ास निकालने के लिये "मुहावरों"/पारंपरिक कहावतों और सूक्तियों की पुनर्व्याख्या का माध्यम चुना है . इस क्रम में सर्व-प्रथम दो मान्यताओं को पुन: प्रस्तुत कर रहा हूं . आगे भी ये क्रम जारी रहेगा .
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