21.10.15

जनलोकपाल- स्वराज की टोपी पहनकर 49 दिन बाद इस्तीफा देना क्या एक ड्रामा था?

आदरणीय केजरीवाल जी,

यदि वर्तमान कानून से ही लोकायुक्त नियुक्त करना था तो पिछली बार इस्तीफ़ा देकर, जनता पर चुनाव थोपकर, जनता के पैसे की बर्बादी करने की क्या जरुरत थी? जनलोकपाल-स्वराज को मैनिफेस्टो में टॉप प्रायोरिटी पर रखना और 2014 में मंत्रिमंडल से पास करना क्या एक पाखंड और दिखावा था? जनलोकपाल- स्वराज की टोपी पहनकर 49 दिन बाद इस्तीफा देना क्या एक ड्रामा था?



यदि जस्टिस संतोष हेगड़े, शांति भूषण और प्रशांत भूषण द्वारा बनाये गए “जनलोकपाल बिल” को भाजपा के खंडूरी जी उत्तराखंड में लागू कर सकते हैं तो आप दिल्ली में लागू करने से क्यों डर रहे हैं?
यदि शरतचन्द्र बहर द्वारा बनाये गए "स्वराज बिल" को भाजपा के शिवराज चौहान जी मध्य प्रदेश में लागू कर सकते है तो आप दिल्ली में लागू करने से क्यों डर रहे हैं?

आपको दिल्ली में ऐतिहासिक बहुमत मिला, 70 में 67 सीटें मिली, दिल्ली विधान सभा में 95% बहुमत है, 8 महीने बीत गए हैं लेकिन “जनलोकपाल बिल” और “स्वराज बिल” अभी तक विधान सभा में पेश नहीं किया गया? अब तो आपने "मुझे चाहिए जनलोकपाल" और "मुझे चाहिए स्वराज" लिखी हुयी टोपी भी पहनना छोड़ दिया? क्या यह चीटिंग, फ्रॉड और भ्रष्टाचार नहीं है? आआपा के संविधान और आआपा के विजन डाक्यूमेंट में “जनलोकपाल बिल” और “स्वराज बिल” टॉप प्रायोरिटी पर है ! आआपा की टोपी के एक तरफ लिखा है "मुझे चाहिए जनलोकपाल" और दूसरी तरफ लिखा है "मुझे चाहिए स्वराज" !

आपने कई बार कहा कि शीला जी और उनके भ्रष्ट मंत्रियों की जाँच इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि दिल्ली का लोकायुक्त कानून सड़ा-गला, लूला लंगड़ा और बिना दांत वाला है ! आआपा के 2013 के मैनिफेस्टो में “जनलोकपाल बिल” प्रथम स्थान पर और “स्वराज बिल” दूसरे स्थान पर था और आपने कसम खाई थी कि आआपा सरकार बनने के 15 दिन के अंदर जस्टिस संतोष हेगड़े, शांति भूषण और प्रशांत भूषण द्वारा बनाया गया “जनलोकपाल बिल” दिल्ली में लागू होगा !

दिनांक 4 जनवरी 2014 को आपकी अध्यक्षता में दिल्ली कैबिनेट ने “जनलोकपाल बिल” पास किया और दिनांक 13 फरवरी 2014 को “स्वराज बिल” पास किया और “जनलोकपाल बिल” पास न होने के कारण ही आपने 14 फरवरी 2014 को यह कहते हुए स्तीफा दिया कि “जनलोकपाल बिल” और ”स्वराज बिल” के लिए आप हजार बार मुख्यमंत्री पद छोड़ सकते हैं ! 2015 के मैनिफेस्टो में भी “जनलोकपाल बिल” प्रथम स्थान पर और “स्वराज बिल” दूसरे स्थान पर था और आपने बार-बार कहा कि यदि स्पस्ट बहुमत मिला तो आआपा सरकार बनने के 15 दिन के अंदर “जनलोकपाल बिल” और “स्वराज बिल” दिल्ली में लागू होगा !

अब यह स्पस्ट हो गया कि आआपा के भ्रष्ट नेताओं के साथ-2 शीलाजी और कांग्रेस के भ्रष्ट नेताओं को बचाने के लिए ही आपने “जनलोकपाल बिल” और “स्वराज बिल” को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया ! आपकी पाखंडी राजनीति के कारण ईमानदार नेताओं को जनता अब शक की नजरों से देखती है और इससे भ्रष्टाचारियों को फायदा हो रहा है !

Ashwini Upadhyay
aku.adv@gmail.com

No comments:

Post a Comment