19.10.15

घूसखोरी प्रकरण: पत्रकार ने एसपी से आरटीआई के तहत माँगा जबाव

अमन पठान
कासगंज। पुलिस के घूसखोरी प्रकरण में एसपी ने पत्रकार को फंसाने की जो चाल चली थी। उस चाल में वह खुद फंसते नजर आ रहे हैं। एसपी ने जारी किये प्रेस नोट में पत्रकार अमन पठान का आपराधिक चरित्र बताया था और प्रेस नोट में कई ऐसे लीक पॉइंट थे। जिस कारण अमन पठान ने एसपी हिमांशु कुमार से आरटीआई के तहत कई बिन्दुओं पर जबाव माँगा है। कुल मिलाकर कासगंज एसपी का अपने ही बिछाये जाल में फंसना लगभग तय हो चुका है।

एसपी ऑफिस के पीआरओ सेल से विगत दिवस एक प्रेस नोट जारी किया गया था। प्रेस नोट के अनुसार घूसखोरी के मामले की जाँच कराये जाने की बात कही गयी है, लेकिन हैरत की बात तो ये है कि इस घूसखोरी के मामले से 13/07/2013 में पत्रकार ज्ञान त्रिवेदी के द्वारा अमन पठान और रितेश द्विवेदी के विरुद्ध दर्ज कराये गए फर्जी मुकद्दमे का कोई सम्बन्ध नही है। उसके बाबजूद एसपी ने प्रेस नोट में फर्जी मुकद्दमे का हवाला दिया है और अमन पठान के चरित्र को आपराधिक चरित्र बता दिया है। जबकि ज्ञान त्रिवेदी ने बदले की भावना के अमन पठान और रितेश द्विवेदी के विरुद्ध साइबर क्राइम का झूठा मुकद्दमा अपने रुसूख के चलते दर्ज कराया था। पुलिस सत्यता के आधार पर फर्जी मुकद्दमे में एफआर लगा चुकी है। एसपी ने मामले को न्यायालय में विचाराधीन बताया है और झूठे मुकद्दमें के  आरोपी रितेश द्विवेदी का कहीं जिक्र नही किया। प्रेस नोट में कहा गया है कि अमन पठान ने ज्ञान त्रिवेदी को जान से मारने की धमकी भी दी थी, लेकिन प्रेस नोट में जान से मारने की धमकी देने की धारा का जिक्र नही किया गया है। इसी को लेकर अमन पठान ने एसपी हिमांशु कुमार से आरटीआई के तहत जबाव मांगा है कि मेरे विरुद्ध किस किस थाने में कौन कौन से मुकद्दमे दर्ज है। जिस कारण मेरा चरित्र आपराधिक चरित्र है? वो फर्जी मुकद्दमा किस न्यायालय में विचाराधीन है? जब मैंने ज्ञान त्रिवेदी को जान से मारने की धमकी दी है तो उक्त धारा मुकद्दमे में क्यों नही लगाई गई? उस फर्जी मुकद्दमे में मैं अकेला दोषी नही था। दूसरे आरोपी का जिक्र क्यों नही किया गया?। इसके अलावा अमन पठान ने कई ऐसे सवालों का जबाव माँगा है। जिनका जबाव आते ही सेवा निवृत तत्कालीन यातायात प्रभारी मिलाप सिंह यादव सहित कई पुलिसकर्मियों पर आला अधिकारियों की गाज गिरेगी।
एसपी ने पत्रकार को फंसाने का जो जाल बुना था। अब वो उसी जाल में खुद फंसते नजर आ रहे हैं। ये सभी जानते हैं कि पुलिसकर्मी कितने दूध के धुले होते हैं। एसपी साहब प्रेस नोट जारी करने से पहले ये भूल गए कि वो जिसे फंसाना चाहते हैं वो पत्रकार से पहले ईमानदार व्यक्ति हैं और ईमानदार व्यक्ति कभी किसी से डरता नही है। जीत हमेशा सच्चाई की होती है और हाँ एसपी साहब दशहरा आने वाला है। आपने अंहकारी रावण की कहानी तो सुनी होगी कि बुराई का किस तरह अंत होता है। न मैं राम की तरह बन सकता हूँ और आप रावण बनने की कोशिश मत करो। बस सच्चाई का साथ दो। आपके पास जो पद है। वह न्याय करने के लिए है, अन्याय करने के लिए नही है। अगर मैं जरा भी दोषी हूँ तो आप मेरे खिलाफ शौक से कार्यवाई करें और बदले की भावना के चलते ऐसी कार्यवाई न करें जो आपके लिए मुसीबत बन जाये। क्योंकि आप अगर झूठे मुकद्दमे दर्ज कर भी देंगे तो उसका दंड सजा-ए-मौत नही होगा।

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