जब किसान उसी धान को लेकर आढ़तियों या धान मिलों के पास गए तो उन्होंने वही धान बहुत सस्ते में खरीद लिया और उसी को सरकारी खरीद दिखा दिया जिस का दावा सरकार कर रही है. एक ओर जहाँ सरकार ने धान का खरीद मूल्य 1410-1450 रुपए घोषित किया था वहीँ आढतियों/धान मिलों द्वारा उक्त धान 800 से लेकर 1000 रुपये तक ख़रीदा गया है. इस से किसानों को बहुत नुक्सान उठाना पड़ा है क्योंकि एक तो बारिश न होने से धान की उपज कम हुयी और डीजल पम्प से सिंचाई करने से लागत बढ़ गयी वहीँ दूसरी तरफ सरकार द्वारा खरीद न करने से किसानों को उसे बहुत कम कीमत पर बेचने के लिए बाध्य होना पड़ा. इस प्रकार किसानों के साथ एक सुनियोजित धोखाधड़ी की गयी है. इस धोखाधड़ी के पीछे सरकार, सरकारी अधिकारियों, आढ़तियों और धान मिल मालिकों की साजिश रही है जिन्होंने किसान की मजबूरी का फायदा उठाकर उसे लूटा है.
अतः आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट मांग करता है कि सरकार के 2.60 लाख टन धान खरीदने के दावे की स्वतंत्र जांच करायी जाये ताकि किसानों के साथ सरकारी खरीद के नाम पर किये गए धोखे की सच्चाई सामने आ सके.
एस.आर.दारापुरी,
राष्ट्रीय प्रवक्ता,
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट
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