बैठक को संबोधित करते हुए सर्व सेवा संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमरनाथ भाई ने कहा कि महात्मा गांधी 30 जनवरी 1948 को शहीद हुए थे वह असहिष्णुता आज समाज को कुण्ठित कर रही है और निर्दोषों को उनकी वैचारिक मान्यताओं तथा व्यवहार के रूपों के लिये जान से तक मारा जा रहा है। नरेन्द्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे, मल्लेशप्पा कलबुर्गी और मोहम्मद अख़लाक की हत्याओं और उन पर शासन के रुख ने जनमानस को झकझोर कर रख दिया है। कलाकार और वैज्ञानिक बड़े पैमाने पर अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं, ऐसे में उनकी भवनाओं को सांझे बिना उन पर व्यंगात्मक और उपहासात्मक टिप्पणियाँ करना दुर्भाग्य पूर्ण है.
बैठक में वरिष्ठ गाँधीवादी विचारक श्री सुनील सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता होने के चलते हमारा यह कर्तव्य है कि हम इस विषय पर अपनी दृष्टि सार्वजनिक करें और दखल के लिए तैयार रहें, लोगों को तथ्यों के साथ बातो को समझाएं, उन्होंने कहा कि गांधी के बताये मार्ग पर चलने से समाज में एकता, प्रेम सौहार्द्र और भाईचारे का माहौल स्थापित हो सकता है. बैठक के दौरान निर्णय लिया गया कि 'साझा संस्कृति मंच' लोगों के बीच दूरियां बढाने और समाज को बांटने की साजिश का पुरजोर प्रतिकार करेगा और पर्चे पोस्टर आदि के माध्यम से आम जनता को ऐसी कोशिशों के प्रति आगाह करेगा. बैठक को प्रो महेश विक्रम सिंह, दिलीप दिली, डा मुनीजा रफीक, धनंजय त्रिपाठी, वल्लभाचार्य पाण्डेय, डा लेनिन रघुवंशी, रविशेखर, एकता सिंह, लक्ष्मण प्रसाद, चित्रा सहस्त्रबुद्धे आदि ने भी संबोधित किया, संचालन जागृति राही ने किया.
भवदीय
साझा संस्कृति मंच
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