ऐसे में जिन कर्मचारियों ने मजीठिया को लेकर केस नहीं किए थे वह भी केस दायर करने और एडिशनल एफिडिफिट दायर करने का मन बना चुके हैं जो जागरण प्रबंधन के लिए मुसीबत सिद्ध होगी. इतना ही नहीं, वर्षों से जी-जान से यूनिट को सींचने वाले कुछ रिपोर्टरों को हटाने की भी धमकी दी जा रही है. एनई की न रिपोर्टिंग टीम से समन्वय बन पा रही है और न ही डेस्क से. कई बार टकराव की स्थिति बन चुकी है.
पहले से जम्मू में स्टाफ की संख्या काफी कम है. ऐसे में दुराग्रहपूर्ण कार्रवाई से स्थिति विस्फोटक होना तय है. यह भी बताया जाता है कि एनई ने पद संभालते ही अपने दो लोगों की भर्ती करा दी जिन्हें कुछ नहीं आता लेकिन कहावत है जब सैंय्या भयो कोतवाल तो डर काहें का. एनई के लोग गलतियां खूब करते हैं पर उनको सब माफ है. जब चाहें जहां चाहें वह मनमाफिक डेस्क हासिल कर लेते हैं और उनको कोई गलती से भी कुछ कह दिया तो आप पर कार्रवाई तय है, चाहे अखबार का नुकसान ही क्यों न हो.
Prashant Pankaj
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