प्रकाश सिंह, छतरी और गोदाम
पवन कुमार बंसल
हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक स्वदेश कुमार सेठी ने एक बार पुलिस अकादमी में पुलिस अफसरों को संबोधित करते हुए कहा था कि अच्छे पुलिस अफसर छतरी की तरह होते हैं. जब तेज बारिश हो रही होती है और ओले पड़ रहे होते हैं तो छतरी की तरह उनका इस्तेमाल किया जाता है और बाद में बारिश खत्म होने पर छतरी की तरह उन्हें बंद करके गोदाम में रख दिया जाता है. उनकी पुरानी बात आज के माहौल में उत्त्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह पर सही साबित हो रही है. जब हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार जाट आंदोलन में हुई हिंसा को रोकने में असफल रहने को लेकर विपक्ष और मीडिया की आलोचना का शिकार हो रही थी तब सरकार ने प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में जाँच दल बनाकर मामले को शांत किया.
गौरतलब है कि हिंसा में तीस के करीब जान गयी. करोड़ों की सरकारी और प्राइवेट प्रॉपर्टी पुलिस तथा सेना की मौजूदगी में जला दी गयी. दिल्ली को पीने के पानी की आपूर्ति ठप कर दी गयी थी. यहाँ तक कि मुरथल में महिलाओं से सामूहिक बलात्कार के आरोप भी लगे थे. प्रकाश सिंह ने हरयाणा के पुलिस महानिदेशक के .पी. सिंह के साथ दंगा प्रभावित इलाकों को दौरा किया और पीडितों से बात कर थोड़े समय में जाँच रिपोर्ट सोंप दी.
अपनी रिपोर्ट में उन्होंने सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर दिया. आला पुलिस और प्रशाशनिक अधिकारियों की भूमिका पर तीखी टिप्पणी भी की. शुरू में तो सरकार ने कुछ अफसरों के खिलाफ करवाई की. पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव का तबादला किया गया और कुछ अफसर मुअत्तल भी किये. लेकिन जल्द ही सरकार को लगने लगा की रिपोर्ट से तो उसकी भी किरकरी हो रही है. इसके बाद सोची समझी रणनीति के तहत प्रकाश सिंह की रिपोर्ट पर सवाल उठाने शुरू कर दिए.
कुछ अफसरों ने रिपोर्ट को गलत बतया तो स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने तो यहाँ तक कह दिया कि प्रकाश सिंह की रिपोर्ट कोई भगवत गीता नहीं है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यह कहकर कि प्रकाश सिंह पुलिस सुधार के लिए रिपोर्ट तैयार करने के बहाने नौकरी मांग रहे थे, आग में घी डालने का काम किया. मनोहर लाल को चुनौती देते हुई इन आरोपों से आहत प्रकाश सिंह ने कहा कि उन्होंने तो जनहित में रिपोर्ट दे दी थी. वे पैसे के लिए कोई काम नहीं करते. पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने भी इस बारे सरकार से पूछा है.
शुरू में प्रकाश सिंह को पुलिस में सुधार के लिए रिपोर्ट तैयार करने को भी कहा गया था. लेकिन बाद में सरकार ने इससे हाथ खींच लिए. हरियाणा में पुलिस सुधारों की बहुत जरूरत है. मैं पिछले करीब तीन दशक से हरियाणा पुलिस के बारे रिपोर्टिंग कर रहा हूं. इनसाइड स्टोरी ऑफ़ हरियाणा पुलिस नामक किताब भी लिख रहा हूँ. अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि पुलिस सुधार की बहुत जरूरत है. पुलिस का पूरी तरह से राजनितकरण और अपराधीकरण हो गया है. पुलिस जातिगत आधार पर बटी है. यह अलग बात है कि कुछ अच्छे अफसर भी हैं.
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