28.4.16

IFWJ का रंगमंच : कब खुद सामने आयेंगे नायक-खलनायक

लखनऊ : IFWJ को श्रमजीवी पत्रकारों का संगठन कहा जाता है इसलिये हर श्रमजीवी पत्रकार इसकी कार्यशैली पर सवाल उठाने का अधिकार रखता है। चाहे वो IFWJ से जुड़ा हो या नही। चाहे यूनियन के  पदाधिकारियों का विवाद हो या बाहरी पत्रकार इसकी कार्यशैली पर आपत्ति दर्ज कराये अथवा सराहना करे।  यदि तमाम पत्रकारों के बीच ( सोशल मीडिया)  आरोप-प्रत्यारोप /तर्क- वितर्क का अखाड़ा खुदता है तो ये बुरा नही बल्कि अच्छी परम्परा है। पत्रकारों के संगठनों/यूनियनो के विवादो से जुड़े मसलो और तमाम पत्रकारो के बीच पारदर्शिता बेहद जरूरी है।


इन सब के बावजूद ये बात खटनके वाली है कि दूसरे को बेईमान और खुद को  ईमानदार साबित करने की इस जंग मे सिर्फ़ वो सामने नही आ रहे है जिनके बीच असली जंग है।  दूसरी ये बात बहुत ही शर्मनाक और सोची समझी रणनीति के तहत मुखरित हो रही है कि एक दूसरे पर जबरदस्त तरीके से निजी हमले किये जा रहे है। जिसकी साफ तौर से यही मंशा लगती है कि निजी हमले के पीछे संगठन/यूनियन के वो कारनामे ढके रहे जिसमे सब शरीक थे । जबकि अस्ल फसाद की जड़ समस्त पत्रकार बिरादरी तक पहुँचना बेहद जर्री है।

तीसरे सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात ये नजर आ रही है कि इस तरह के गंभीर और चिन्ताजनक विवादो पर एनेक्सी मीडिया सेन्टर या अन्य ठिकानो पर चटकारे लेकर मजा लेने वाले दर्जनो कथित जिम्मेदार/वरिष्ठ पत्रकारों मे हर कोई गूँगा बना हुआ है। न तो इस विवाद को गलत ठहरा रहा है न इसे खत्म करने की अपनी राय भर दे रहा है। मध्यस्थता कराने की कोशिश करना तो बहुत दूर की बात है। इसी वाट्सअप ग्रुप पर कुछ घंटे पहले जो पत्रकार बे सिर पैर के मजाक को लेकर घंटो चैटिग मे अपनी ऊर्जा लगा रहे थे इस तरह के निजी हमलो की किसी भी पोस्ट को देखकर वो अपनी निगाहे तो गढ़ाये रहते है, ऐसे मामलो पर उनके कान भी खड़े रहते है पर होठ सिल जाते है तब तक -

जब तक कि इस तरह के पत्रकारों के आपसी विवाद कोई बेहद गंभीर सूरत न अख्तियार कर ले। ये सिलसिला जारी रहा तो सात-आठ मुकदमे दर्ज होना, मारपीट की घटना या खून खराबे का वक्त जल्द ही आ जायैगा। जिसकी वजस से हम लखनऊ/यूपी के पत्रकारों पर देश-दुनिया मे थू-थू की जायेगी।

जिसके जिम्मेदार अपने निजी फायदे के लिये लड़ने वाले ही नही खामोशी अख्तियार करने वाले  आप सब पत्रकार भी होंगे।

पत्रकारों के सभी वाट्सअप ग्रुप एडमिन से अनुरोध है कि अपने ग्रुप को निजी हमलो का अखाड़ा बनाकर मनोरंजन की टीआरपी न बटोरो।
ग्रुप पर  निजी हमलो की छूट न दे।  बार-बार ऐसा करने वाले पत्रकारों को ग्रुप से हटा दे।

अन्यथा किसी खूनखराबे के जिम्मेदार आप भी कहे जाओगे।          

लखनऊ से  नवेद शिकोह
वाट्सअप 8090180256

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