मध्य प्रदेश भोपाल , इंदौर , जबलपुर , ग्वालियर , सतना , छिंदवाड़ा से नव भारत समाचार पत्र का अन्त एवम पूर्णतः दुर्दशा की हकीकत और कारण... नव भारत की इस दुर्दशा का कारण कोई और नहीं स्वयं आप (इसके संचालक मालिक ) ही हैं , नव भारत समाचार पत्र के पतन के मूल कारण , पारिवारिक आपसी अंतर कलह , मीडिया चलाने का घमंड , अत्याधिक घमंड एवम अकड़ , कर्चारियों पर अविश्वास , कर्मचारियों का अत्याधिक शोषण , कर्चारियों का वेतन न देना , कर्मचारियों का प्रोविडेंट फण्ड जमा न करना , बैंको के लोन हड़पने की नियत , एन बी प्लांटेशन के माध्यम से हड़प्पी इन्वेस्टर की पूंजी के कारण गिरती साख , और रेपुटेशन , सेंकडो चलते कोर्ट केस , आए दिन छपते बैंकों के कुड़की के नोटिस , कर्मचारी सैलरी और प्रोवीडेन ना मिलने से परेशान , मटीरिअल सप्लायर्स उधारी वसूलने से परेशान , कुल मिलकर नव भारत की केवल और केवल फाइल कॉपियां ही छपती हैं.
आज मध्य प्रदेश के किसी भी शहर , जिले और कसबे में नव भारत घरों में नहीं बटता और ना ही पढ़ा जाता, नव भारत आज झूटी प्रसार संख्या के झुटे सी ए सर्टिफिकेट के आधार पर DAVP और DPR एवम मध्य प्रदेश माध्यम से और अन्य सरकारी विभागों जैसे नगर निगम , भोपाल विकास प्राधिकार ,नगर पालिकाओं से विज्ञापन प्राप्त कर शासकीय बिलिंग कर जनता के रुपयों का दुरूपयोग कर रहें हैं , जिसे तुरंत सरकार को बंद करना चाहिए , कुछ जागरूक सरकारी विभाग विभाग जो नव भारत की सचाई से वाकिफ हैं वो शासकीय रुपयों का दुरूपयोग नहीं करतें हैं और नव भारत को विज्ञापन सूची बाहर कर दिया है कुल मिलाकर नव भारत ख़त्म हो चूका अखबार है , जो अब केवल यादों में ही बचा है , परन्तु शासन से , लेबर डिपार्टमेंट से ह्यूमन राईट कमिशन से अनुरोध है की , वो पीड़ित कर्मचारियों की मदद करें और रुकी हुई सैलरी और प्रोविडेंट फण्ड दिलवाने में कर्मचारियों की कानूनी तोर पर सहायता करें , जो कर्मचारी परेशान होकर नौकरी छोड़ चुकें हैं जिनका वेतन नव भारत के संचालकों ने नहीं दिया है और जो अभी कार्यरत हैं उन्हें वेतन दिलवाने की कार्यवाही सरकार के सम्बंदित विभागों को करनी चाहिए , नव भारत के संचालक जिनकी नियत में खोट है वो खुद कभी वेतन नहीं देंगे , जब तक सरकार कार्यवाही नहीं करेगी , इस मुहीम को आगे बढ़ाते हुए , यह पत्र सोशल मीडिया पर सार्वजानिक करना पडेगा , जरूरत पड़े तो ऑनलाइन अपील कर मुहीम चलानी पड़ेगी ,
धन्यवाद
नव भारत पीड़ित कर्मचारी मुहीम से जुड़े
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