9.11.16

पांच सौ हजार के नोटो का अवसान

जब श्यामा लक्ष्मी श्वेता भई!

प्रजा ने जैसे ही दीपोत्सव तथा लक्ष्मी पूजन का अनुष्ठान समाप्त किया कि राजग्या प्रसारित हो गई -" यत्र तत्र विचर रही श्यामा  लक्ष्मी को राज दरबार में कुबेर के समक्ष प्रस्तुत किया जाये"

श्यामा लक्ष्मी को विपणन केन्द्रों से बाहर किये जाने का यह बेहद गोपन उपाय था .महाराज ने इस मामले में वित्त मंत्री पर भरोसा नहीं किया.उन्होंने देवी लक्ष्मी के दो स्वरूपों को वापस बुला लिया.

राजा ने  उवाचा - "  पंच शतम् और सह्रत्र रूपिणी लक्ष्मी को अब से पू्ज्य नहीं माना जायेगा , वह विपणन केन्द्रों में चलते फिरते हुई नहीं स्वीकारी जायेगी.


प्रजा स्तब्ध थी कि अकस्मात राजा को यह क्या हो गया ,मगर राजा का आदेश दैवीय था और देशभक्ति से सना हुआ भी. श्यामा लक्ष्मी क्षणिक रूष्ट तो हुई ,मगर वह कोपभवन नहीं गई,उसने राजभवन जाने में ही भलाई जानी.वैसे भी चंचला लक्ष्मी को राजन के विश्वस्त  नवरत्नों से पुष्ट संकेत मिल चुके थे कि यह मात्र कृष्ण स्वरूपा लक्ष्मी को श्वेता लक्ष्मी में परिवर्तित करने भर की कवायद ही है. बाकी तो उसका जल्वा बरकरार रहेगा ही. लक्ष्मी तो तुष्ट हो गई मगर प्रजाजन रूष्ट हो गये.

विपणन केन्द्रों में वीरानी छा गई.जमीन के व्यवसायी धराशायी हो गये,वणिक जो कि राजा के सहज समर्थक थे,छिपकर राजा के प्रति अभद्र वाणी में बोलने लगे .राजप्रेमी पुरोहितगण कीर्तन करना भूल गये.उपासनागृह में बड़े जतन से संजोयी देवी लक्ष्मी से वियोग की कल्पना मात्र से वे विकल हो उठे. मंदिरों में सजे लक्ष्मी नारायण के विग्रह उन्हें दरिद्र नारायण के लगने लगे.

वाहन चालक, अन्न विक्रेता,दुग्धवितरक ,सरायों के प्रबंधक ,नवोदित राजपुरूषों सहित पक्ष व विपक्ष के समस्त दरबारी जिनके पास श्यामा लक्ष्मी की बहुलता थी,वे सभी राजा के विरूद्ध हो गये.

बाजारों मे अव्यवस्था फैल गई. भूखी व परेशान प्रजा लूटपाट पर उतर आई.अन्न गृहों तथा तेल भण्डारों के बाहर लगी सुदीर्घ कतारें कानून और व्यवस्था के लिये संकट का कारण बन गई.

लक्ष्मी श्वेता होने लगी और प्रजा काली पड़ने लगी. राज्य के निर्धन लोग धनिक और मध्यम वर्ग की ऐसी दुर्दशा देखकर अतीव प्रसन्न हुये.भिक्षु जमात के नयन प्रसन्नता के मारे सजल हो गये.

प्रजा त्राहिमाम् त्राहिमाम् जैसी अगम्य भाषा कातर भाव से करूण विलाप करने लगी. वायुमण्डल के अदृश्य व्यापार वाणिज्यक सूचकांक अधिसंख्यक प्रजाजनों के श्रम के पारिश्रमिक को बहा ले गये और अंतत: डूब ही गये.

जम्बूद्वीप के अंतिम महाराजन " नर इन्द्र " ने राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को श्याम श्वेत करने का जब यह क्रान्तिकारी   अनुष्ठान सम्पन्न करने का ट्रम्प कार्ड खेला ,उसी दिन पाताललोक का डोनाल्ड ट्रम्प अपने लोक का राष्ट्राध्यक्ष चुन लिया गया. कहते है कि उसने अपनी श्यामा लक्ष्मी की शक्ति से श्वेता हिलेरी को हरा दिया. सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में    अवसाद व्याप्त हो गया.

राजन को ही राष्ट्र तथा राष्ट्र को देव मानने वाली वणिक  वृति की प्रजा जो विपणन केन्द्रों की अधिपति थी ,उसे जब तक अपनी भूल का अहसास हुआ,तब तक वह पूरी तरह लुट गई.फिर उससे न हंसते बना और ना ही रोते .

राजा तो बेहद खुश था.दरबारी करतल ध्वनियां कर रहे थे.भक्तगण जय जयकार करने लगे. नागलोक के अधिष्ठाता प्रसन्नता के अतिरेक में झूम रहे थे कि जम्बूद्वीप के अंतिम सनातनी सम्राट ने वैदिक धर्म को सर्वोच्च स्थान देना प्रारम्भ कर दिया है और मलेच्छ राज अशोक की स्मृतियों व प्रतीकों से युक्त भरतखण्ड की मुद्रा का शुद्घिकरण कर दिया है. इस तरह धन से हिन्दुराष्ट्र बनने की प्रक्रिया प्रारम्भ भई. रम्भाएं थिरकने लगी ,अप्सराएं छम छम नाचने लगी और राजन की जयजयकार से ब्रह्माण्ड हिल गया.

भंवर मेघवंशी
सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र पत्रकार
bhanwarmeghwanshi@gmail.com

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