12.11.16

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के असफलता के विरूद्ध बनारस का नागरिक समाज एकजुट, कृत्रिम मास्क के साथ हुआ प्रदर्शन


उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के भेलूपुर स्थित कार्यालय पर केयर 4 एयर और 100 पर्सेन्ट यू पी अभियान की ओर से एक प्रतीकात्मक धरने का आयोजन किया गया. बनारस शहरमें बढ़ता वायु प्रदूषण थमने का नाम ही नही ले रहा | धडल्ले से जलते कूड़े , सडको पर लम्बी ट्रैफिक और शहर में होते अनियंत्रित निर्माण कार्य ने प्रदूषण को सामान्य से 15 गुणा अधिक बढ़ा दिया है | इसके अलावा बढ़ती सरकारी और निजी वाहनों ने लगातार इसमें वृद्धि की है | ऐसे में, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अकर्मण्यता का विरोध करने के लिये उपस्थिति सभी आन्दोलनकारी कृत्रिम मास्क लगा  के धरने पर बैठे | जिससे इस मुद्दे की गंभीर स्थिति में पहुचने का सन्देश दिया जा सके |


धरने में विभिन्न जन संगठनों और नागरिक समाज के लोगों ने भाग लिया. शामिल होने वाले अधिकांश लोगों नें प्रतीकात्मक रूप से मास्क लगा कर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. धरने में शहर के यूवाओं की संख्या अच्छी खासी रही. धरने में यह तय किया गया कि अगर ग्यापन में निर्दिष्ट मागों पर जल्द ही कार्यवाही ना की गयी, तो बनारस का नागरिक समाज आन्दोलन के लिये बाध्य होगा.

धरने को संबोधित करते हुए जन संगठनों नागरिक समाज से आये वक्ताओं ने कहा कि दिन प्रतिदिन बढते प्रदूषण के लिए केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड को समय समय पर पब्लिक एडवाइजरी जारी करते हुए आम आदमी को जानकारी के स्तर पर मजबूत करना चाहिये. उन्होंने कहा कि, जहां एक ओर, बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में बोर्ड की जिम्मेदारी शहर में चल रहे अनियन्त्रित निर्माण कार्यो और नगर निगम की लापरवाही की वजह से शहर में कूड़ा जलने जैसे गतिविधियों पर लगाम लगाने की है, वहीं दूसरी ओर  बोर्ड के द्वारा वायु प्रदूषण के आकड़ो की निगरानी के नाम पर खाना पूर्ति के अलावा कुछ भी करता नहीं दिख रहा.  ऐसे में बनारस शहर के जन संगठनों ने मिल कर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निद्रा तोड़ने के लिए इस प्रतीकात्मक धरना का आयोजन किया है|

इस अवसर पर बोलते हुए साझा संस्कृति मंच के वल्लभाचार्य पांडेय ने कहा कि जवाबदेही के स्तर पर बोर्ड और जिला प्रशासन असफल साबित हो चुका है. यही कारण है कि आज शहर में जगह जगह कूड़े का अम्बार जलता दिख रहा है. ट्रेड युनियन नेता और भगत सिंह अम्बेडकर विचार मंच के सदस्य एस पी राय ने कहा कि शहर के अस्पतालों में बढ़ती भीड़ का एक बड़ा कारण वायु प्रदूषण है, और जिला प्रशासन और राज्य सरकार को इस मसले का गम्भीर संग्यान लेना चाहिये था, जबकि पूरा तंत्र कान में तेल डाल कर सो रहा है.

इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने जिला प्रशासन से मांग की कि प्रदूषण नियंत्रण और कूड़ा जलने पर रोक लगाने में असफल अधिकारियों पर लापरवाही के तहत शहर में महामारी फैलाने के आरोप में मुकदमा पंजीकृत किया जाना चाहिये. वक्ताओं ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकडों के अनुसार भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों में लगातार इजाफा हो रहा है. वक्ताओं ने यह भी कहा कि “ जहां एक ओर सी.पी.सी.बी. प्रदूषण नियंत्रित करने में असफल साबित हो रहा है, वही जिला प्रशासन की ओर से शहर में पानी छीट कर वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने का प्रयास करना एक गम्भीर समस्या का हास्यास्पद निदान करने जैसा है. ऐसे दिखावटी प्रशासनिक उपायों की तीखी आलोचना करते हुए, वक्ताओं ने कहा कि प्रशासन को दिखावटी समाधान खोजने के बजाये दूरगामी उपाय सोचने पर अपनी उर्जा खर्च करनी चाहिए |

इस अवसर पर एक 5 सूत्री मांग पत्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौपा गया , जिनकी 5 मांगें निम्न है

1. आम जनता को वायु प्रदूषण की स्थिति की व्यापक जानकारी मिलना सुनिश्चित करें।
2. शहर में कूड़ा जलाने वाले विभागों एवम व्यक्तियों के विरूद्ध कठोरतम कार्यवाही की जाए।
3. अर्दली बाज़ार स्थित नाकम स्टेशन की तरह, वाराणसी शहर में नाकम स्टेशनों की संख्या बढायी जाए।
4. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड वायु प्रदूषण के संदर्भ में जनता के पक्ष में नियमित हेल्थ एडवाइजारी जारी करे।
5.  अनियंत्रित सार्वजनिक एवं निजी निर्माण कार्य के विरूद्ध उचित कार्यवाही करें।

ज्ञापन को आधिकारिक रूप से प्राप्त करने के लिये धरना स्थल पर क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी श्री घनश्याम जी आये, और उन्होंने ग्यापन में लिखे तमाम मांगों को पुरा करने का आश्वासन दिया. धरने को मुख्य रूप से सम्बोधित करने वालों में वल्लभाचार्य पांडेय, धनन्जय त्रिपाठी, एस पी राय, जाग्रिति राही, डा आनन्द तिवारी, चिंतामणि सेठ, डा इन्दु पांडेय, एकता शेखर. शालिनी, सौरभ, ओमप्रकाश, कंचन, महिमा, पूजा श्वेता, सोनू, रवि, करिश्मा, सुनिल, प्रियंका, नेहल, डाली, सानिया, अजय, सदन, आरती, फ़ौजिया, सोनम, रितेश, मैत्री अतीक उर रहमान आदि समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे.

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