-निरंजन परिहार-
सन 2016 के जाते जाते और सन 2017 के आते आते, पूरा देश सांसे थामकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंतजार कर रहा था। हर किसी को उम्मीद थी कि नोटबंदी पर मोदी कुछ तो बोलेंगे। लेकिन नए साल की पूर्वसंध्या पर अपने बहुप्रतीक्षित संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ कई मोर्चे साधने की कोशिश की। अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने गरीब, निम्न और मध्यम वर्ग के लिए कई घोषणाएं कीं। उन्होंने किसानों, महिलाओं और छोटे कारोबारियों के लिए खुशी के कई ऐलान किए तो दूसरी तरफ कालाधन रखने वालों को न बख्शने की अपनी हदाड़ भी दोहराई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा, ‘दीपावाली के तुरंत बाद देश शुद्धि यज्ञ का गवाह बना है। देशवासी संकल्प और धैर्य के साथ बुराइयों को पराजित करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘भ्रष्टाचार ने लोगों को घुटन से भरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर दिया था. देशवासी ऐसी घुटन से मुक्त होना चाहते थे।’ दरअसल, यह नोटबंदी के 52 दिनों की परेशानियों से पैदा हुए घावों पर मरहम लगाने की कोशिश थी। लेकिन वे अच्छा बोले, सभी के फायदे की बात बोले। एक एक योजना पर विस्तार से बोले। मगर सवाल यह है कि उन्होंने एक महीने बाद पेश होनेवाले बजट में बोलने के लिए वित्त मंत्री के लिए क्या छोड़ा ? कुछ भी तो नहीं। बहुत कुछ जो लुभावना था, वह तो बोल दिया, जैसे वित्त मंत्री अपने बजट भाषण में बोला करते हैं। देश को लग रहा था कि वे 30 दिसंबर को नोटबंदी का दिन खत्म होने के बाद 31 दिसंबर को नोटबंदी पर बोलेंगे, लेकिन प्रधानमंत्री ने किसानों, महिलाओं, छोटे व्यापारियों और बुजुर्गों के फायदे की घोषणाएं की। मगर बात यह है कि, वे तो बिना नोटबंदी के भी हो सकती थी, यह सबसे बड़ी बात है। लेकिन एक बात यह भी है कि इन घोषणाओं में देश के भविष्य के संकेत साफ हैं।
छोटे व्यापारियों को राहत
नोटबंदी से सबसे ज्यादा परेशानी छोटे व्यापारियों को हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन छोटे कारोबारियों के लिए भी एक अहम घोषणा की। उन्होंने ऐसे कारोबारियों के लिए क्रेडिट गारंटी एक करोड़ से बढ़ा कर दो करोड़ रुपये करने का ऐलान किया। उन्होंने यह भी कहा कि बैंक छोटे उद्योगों के लिए कैश क्रेडिट लिमिट को 20 से बढ़ाकर 25 फीसदी करें, जिससे परेशानियां कम हों और व्यापार बढ़े।
होम लोन पर ब्याज की छूट
घर का सपना देखनेवालों के लिए प्रधानमंत्री ने कहा कि नौ लाख रुपये तक के होम लोन पर ब्याज दर में चार प्रतिशत छूट दी जाएगी। जबकि 12 लाख रुपये तक के लोन पर छूट का यह आंकड़ा तीन फीसदी होगा। घर की मरम्मत के लिए अगर कोई दो लाख तक का कर्ज लेता है तो उसे भी ब्याज पर तीन फीसदी छूट मिलेगी। प्रधानमंत्री ने यह भी ऐलान किया कि गांवों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत साल 2017 से 33 फीसदी ज्यादा घर बनाए जाएंगे।
किसानों को सहायता
नोटबंदी की मार से खड़ी फसलों पर हल चलाने को मजबूर किसान को सहायता की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए भी अहम घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि अगले तीन महीनों के दौरान तीन करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड को रूपे कार्ड में बदला जाएगा जिससे किसान बैंक न जाकर कहीं पर भी खरीद-बिक्री कर सकेगा। किसानों के लिए प्रधानमंत्री ने और भी ऐलान किए। उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने जिला को-ऑपरेटिव बैंकों से खरीफ और रबी की बुवाई के लिए कर्ज लिया है उस कर्ज के दो महीने का ब्याज सरकार वहन करेगी। यह ब्याज सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर किया जाएगा।
गर्भवती महिलाओं को आर्थिक मदद
जननी सुरक्षा की तर्ज पर गर्भवती महिलाओं को 6000 रुपये की सहायता का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सहायता राशि सीधे उनके खातों में जमा कराई जाएगी। इससे उन्हें टीकाकरण और अन्य दवाइयों का खर्च उठाने में मदद मिलेगी। फिलहाल ऐसी योजना प्रायोगिक तौर पर देश के 53 जिलों में चलाई जा रही है, जिसमें गर्भवती महिलाओं को चार हजार रुपए की सहायता राशि दी जाती है। अब यह योजना 6000 रु की सहायता राशि के साथ पूरे देश में शुरू होगी।
बुजुर्गों को ब्याज का तोहफा
सीनियर सिटीझन समाज के मार्गदर्शक होते हैं। प्रधानमंत्री ने उनके लिए भी एक विशेष योजना की घोषणा की. इसके तहत उनकी साढ़े सात लाख तक की जमा राशि पर सालाना आठ फीसदी ब्याज मिलेगा। इस ब्याज का भुगतान मासिक तौर पर होगा।
दरअसल, सबसे बड़ा सवाल यह है कि ये जो घोषणा की गई है, इनके लिए नोटबंदी की क्या जरूरत थी। यह काम तो तो बिना नोटबंदी के भी हो सकता था। नोटबंदी की वजह से किसानों की इनकम 50 से 70 प्रतिशत तक गिर गई है। लेकिन उनको कुछ नहीं मिला। फिर किसान क्रेडिट कार्ड को रुपे कार्ड में बदल दिए जाने से सिर्फ डिजिटल इंडिया को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन किसानों का पेट नहीं भरेगा। अगर वाकई प्रधानमंत्री को किसानों को फ़ायदा देना है तो उनके बैंकों से लिए लोन को माफ़ करने के बारे में कुछ करना चाहिए था। और ब्याजदर भी कम कर देनी चाहिए थी। यही नहीं, प्रधानमंत्री को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ाना चाहिए था.
वैसे देखा जाए तो कुछ कुछ वित्त मंत्री के संसद में बजट भाषण जैसा ही प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन रहा। लोग समय से पहले ही घर पहुंच गए थे कि आज मोदी क्या बोलेंगे। बहुत उत्सुकता थी। देश की जनता को उम्मीद भी थी। एक प्रधानमंत्री के रूप में साल के जाते जाते मोदी देश को ये तोहफे दे गए। लोग भले ही डर रहे ते कि वे दो हजार के नोट बंद कर देंगे। लेकिन न तो देश कोई मजाक है और न ही व्यवस्था कोई नोटंकी कि प्रधानमंत्री हर दिन कुछ ऐसा ही करेंगे, जिससे देश हिल जाएगा। दरअसल, मोदी हिलती हुई अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहे हैं, ताकि वह मजबूती के साथ खड़ी हो सके। और देश मजबूत हो सके। वित्त मंत्री भी बजट में कुछ और नया करेंगे। विरोधी चाहे जो कुछ कहते रहें। साल 2016 के जाते जाते प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम दिए संदेश में आनेवाले भविष्य के संकेत हैं। लेकिन जिनको समझ में नहीं आता, उनका क्या किया जाए ?
-निरंजन परिहार-
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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