5.8.17

2019 के रण में फतह हेतु नरेन्द्र मोदी का नया शिगूफा

2022 में दरिद्रतामुक्त भारत का सपना 3022 में भी नहीं होने वाला साकार

गुवाहाटी :  'सन् 2014 के चुनाव अभियान के दौरान तथाकथित चोर-लुटेरों के विदेशी बैंकों में जमा काला धन लाकर हिंदुस्तान के एक-एक गरीब आदमी के बैंक खाते में 15-20 लाख रुपये जमा करवाने का शिगूफा छोड़कर लोगों को उल्लु बनाने वाले नरेन्द्र मोदी ने सन् 2022 तक भारत को दरिद्रतामुक्त करने का नारा देकर देश की जनता को 2019 में भी उल्लु बनाकर सत्ता हथियाने के लिए नया शिगुफा छोड़ दिया है। मल्टी नेशनल कंपनियों की तरह प्रचार तथा चकाचक पैकिंग के बल पर घटिया माल भी अच्छे दामों पर बेचने की कला में माहिर नरेन्द्र मोदी देश की जनता को पुन: उल्लु बना पाते हैं या नहीं यह तो वक्त ही बतायेगा, लेकिन सन् 2022 में तो क्या 3022 में भी इस देश को दरिद्रतामुक्त करना असंभव है, यह बात दावे का साथ कही जा सकती है।


पूर्वोत्तर के 15 हजार परिवारों को नि:शुल्क वास्तु सलाह देकर उनके जीवन में अकल्पनीय परिवर्तन लाने वाले 'रि-बिल्ड नॉर्थ ईस्ट' के अध्यक्ष तथा विशिष्ट वास्तुविद राजकुमार झांझरी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में यह दावा किया है। श्री झांझरी का कहना है कि भारत की दरिद्रता का मुख्य कारण भारत के लोगों के धरती पर रहकर धरती के सिस्टम से चलने के बजाय अल्ला, ईश्वर, गॉड और शनि-मंगल-बुध, राहु-केतु आदि ग्रह-नक्षत्रों के भरोसे चलने की वजह से है और जब तक देश की जनता धर्मांधता और ज्योतिष के चंगुल से आजाद नहीं होगी तथा धरती के सिस्टम से नहीं चलेगी, तब तक इस देश की दरिद्रता दूर होने वाली नहीं।

विज्ञप्ति में श्री झांझरी ने कहा कि धरती हमारी माता है तथा धरती पर रहने वाला हर प्राणी उसकी संतान है। हर मां की यही ख्वाहिश होती है कि उसकी हर संतान जीवन भर सुख, शांति, समृद्धि से रहे। हमारी धरती का भी सिस्टम इस प्रकार निॢमत है कि इस पर रहने वाले हर मनुष्य का जीवन सुख, शांति, समृद्धि से परिपूर्ण हो और वह जीवन भर निरोगी रहे। मानव जाति की यह विडंबना है कि मनुष्य जिस धरती पर रहता है, जिस धरती से ऑक्सीजन, पानी और अन्न हासिल कर जीवित रहता है, उस धरती के सिस्टम से नहीं चलता बल्कि उसने अपने अहंकार और स्वार्थ की पूॢत के लिए हजारों धर्म रच लिये और धरती के बजाय शनि-मंगल-बुध, राहु-केतु आदि ग्रह-नक्षत्रों के भरोसे ही चलने का प्रयास करता आया है। धरती के सिस्टम से चलने का तात्पर्य यह है कि मनुष्य को दिशाओं के अनुसार गृहनिर्माण करने के साथ ही प्रकृति द्वारा मनुष्य के मन में प्रदत्त अकूत शक्ति का उपयोग करना है। भारत की दरिद्रता का मुख्य कारण भारत के लोगों द्वारा दिशाओं के विपरीत गृहनिर्माण तथा जिन अल्ला, ईश्वर, गॉड का इस ब्रह्माण्ड में कोई अस्तित्व नहीं है तथा जो ग्रह-नक्षत्र धरती से लाखों-करोड़ों योजन दूरी पर हैं, उनके विश्वास पर चलना है। अगर अल्ला, ईश्वर, गॉड नाम की कोई चीज इस ब्रह्माण्ड में होती तो आज भारत विश्व का सबसे समृद्ध और ताकतवर देश होता क्योंकि दुनिया में सबसे ज्यादा धर्म, सबसे ज्यादा तीर्थ, सबसे ज्यादा मंदिर-मस्जिद, गिर्जे-गुरुद्वारे भारत में ही हैं और भारत के लोग सबसे ज्यादा नमाज, पूजा-पाठ, प्रार्थनाओं, तीर्थों और पर्वों के नाम पर वक्त जाया करते हैं।

श्री झांझरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया है कि अगर वे देश को सचमुच दरिद्रतामुक्त करना चाहते हैं तो उन्हें देश की जनता को धरती के सिस्टम से गृह निर्माण करने तथा धर्म और ज्योतिष के चंगुल से निकलकर अपने मन की शक्ति का उपयोग करने की आदत विकसित करने के लिए प्रेरित करना होगा, तभी यह देश इतिहास के पन्नों में दफन 'विश्वगुरु' का दर्जा पुन: हासिल कर पायेगा अन्यथा 2022 में तो क्या 3022 में भी भारत दरिद्रतामुक्त होने वाला नहीं।

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