21.4.18
20.4.18
पत्रकारों के साथ हुई घटनाओं के शीघ्र ख़ुलासे की माँग
फ़तेहपुर। जनपद में पत्रकारों के साथ एवम् अख़बार के कार्यालयों में हो रही लगातार चोरी आदि की घटनाओं को लेकर नाराज पत्रकारों ने आज फ़तेहपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री नागेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में ज़िला अधिकारी श्री कुमार प्रशान्त और फिर पुलिस अधीक्षक श्री राहुल राज से उनके कार्यालयों में मिलकर ज्ञापन सौंपा। इसमें फ़तेहपुर प्रेस क्लब (राष्ट्रीय सहारा) कार्यालय में दो दिन पूर्व हुई चोरी की घटना के साथ-साथ कई अन्य घटनाओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है। इनके शीघ्र ख़ुलासे और विभिन्न समाचार पत्रों के कार्यालयों मे सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराये जाने की पुरज़ोर माँग की गई है।
11.4.18
कात्यायनी चैनल ला रहा है दो नए कार्यक्रम ‘जयंति शुक्राचार्य‘ और ‘जगदम्बा-कहानी शक्ति पीठों की‘
नई दिल्ली। सतत् 9 वर्षों से कात्यायनी चैनल को प्रसिद्ध धार्मिक चैनल के तौर पर देखा गया है। मां कात्यायनी और संतबाबा नागपाल के आशीर्वाद से चैनल एक नई उपलब्धि और मीडिया जगत में बड़े बदलाव के साथ दो नए कार्यक्रम ला रहा है। अब तक आप धार्मिक धारावाहिक सिर्फ एंटरटेनमेंट चैनल्स पर ही देखते आए हैं, लेकिन कात्यायनी चैनल दो धार्मिक धारावाहिक ‘जयंति शुक्राचार्य‘ और ‘जगदम्बा- कहानी शक्ति पीठों की‘ लाकर मीडिया जगत में एक नए पड़ाव की नींव रखने जा रहा है।
गैरसैण राजधानी का मुद्दा राजनीतिक भी है और जनभावना भी
जनपक्षधर समाचार साइट जनज्वार डॉट कॉम द्वारा रविवार, 8 अप्रैल 2018 को हल्द्वानी के मेडिकल हॉल स्थित लैक्चरर थिएटर हॉल में 'गैरसैण राजधानी की मांग जनभावना या राजनीतिक मुद्दा' विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। वरिष्ठ पत्रकार और गैरसैंण राजधानी संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष चारु तिवारी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। गैरसैंण राजधानी संघर्ष समिति के संरक्षक राजीव लोचन शाह, उक्रांद के पूर्व अध्यक्ष और विधायक पुष्पेश त्रिपाठी, परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता पीसी तिवारी, हेम आर्य और पूर्व छात्र नेता और युवा कांग्रेस नेता ललित जोशी ने संबोधित किया।
हर असम्भव में संभव तलाशना ही एक शिष्य का कर्तव्य है : शेखर सेन
नयी दिल्ली : “जो असम्भव लगता हो, उसे संभव करने के तरीके तलाशना ही एक अच्छे शिष्य की विशेषता है, जिस तरह तीर को दूर तक फैंकने के लिए धनुष की प्रत्यंचा को उतना ही पीछे खिंचा होता है, उसी तरह नृत्य कला में अपने गुरु, उनके गुरु और उनके गुरु के कार्यों को जानना कलाकार को आगे ले जाता है, जितना अतीत का अन्वेषण कर्नेगे उतना ही आगे जाएंगे .”’ यह उदगार थे कत्थक केंद्र के अध्यक्ष, प्रख्यात रंगकर्मी श्री शेखर सेन के, वे दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित कत्थक केंद्र में सम्पन्न , डॉ चित्रा शर्मा की पुस्तक ‘गुरु मुख से’ के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से बोल रहे थे .
न्यूज ट्वेंटी फोर चैनल पर साइबर क्राइम पर आधारित कथाएं 'जाल' का प्रसारण शीघ्र
7.4.18
साहित्य में कालजयी हैं पंडित माखनलाल चतुर्वेदी : अच्युतानंद मिश्र
नोएडा, 7 अप्रैल। माखनलाल चतुर्वेदी सदैव अपनी साहित्यिक एवं पत्रकारीय कृतित्व के कारण जनमानस के अवचेतन में मौजूद रहेंगे। पत्रकारिता, राजनीति, साहित्य और शिक्षण के साथ ही उनका राष्ट्रीय दायित्व बोध भी अवलंबित होता है। पंडित माखनलाल की पत्रकारिता एक आंदोलनकारी पत्रकारिता के रूप में थी। सर्कुलेशन बढ़ाने, विज्ञापन छापने तथा धनोपार्जन के लिए पत्रकारिता धर्म से समझौता न करना उनकी प्रवृत्ति थी। उक्त विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के नोएडा परिसर में आयोजित राष्ट्रीय संविमर्श में व्यक्त किए। पं. माखनलाल चतुर्वेदी की 129 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संविमर्श का विषय ‘पंडित माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक और पत्रकारीय अवदान’ था ।
6.4.18
बच्चों के आत्महत्या की ओर बढ़ते कदम
-ओम प्रकाश उनियाल
आज के दौर में बच्चे इतने संवेदनशील हो चुके हैं कि छोटी-छोटी बातों को लेकर तनाव व अवसाद का शिकार हो जाते हैं। यहां तक कि आत्महत्या करने जैसा कदम उठा रहे हैं। क्या कारण हैं जो बच्चे इस प्रकार के कदम उठाते हैं। अक्सर ज्यादातर मां-बाप आधुनिकता का लबादा ओढ़े हुए हैं। बच्चा पैदा हुआ नहीं कि उसका भविष्य बनाने पर तुल जाते हैं। अढाई-तीन की आयु से शुरू हो जाता है बोझ लादना। इस उम्र में थोप दी जाती है पढ़ाई। घर आकर रिवीजन का सिलसिला। घर में कोई आया है तो उसके सामने भी शुरु हो जाते हैं- 'बेटे ए बी सी डी सुनाओ...फलां पोयम सुनाओ....डांस दिखाओ.....गाना गाओ...' जैसी बातों का दबाव डालते रहते हैं।
आज के दौर में बच्चे इतने संवेदनशील हो चुके हैं कि छोटी-छोटी बातों को लेकर तनाव व अवसाद का शिकार हो जाते हैं। यहां तक कि आत्महत्या करने जैसा कदम उठा रहे हैं। क्या कारण हैं जो बच्चे इस प्रकार के कदम उठाते हैं। अक्सर ज्यादातर मां-बाप आधुनिकता का लबादा ओढ़े हुए हैं। बच्चा पैदा हुआ नहीं कि उसका भविष्य बनाने पर तुल जाते हैं। अढाई-तीन की आयु से शुरू हो जाता है बोझ लादना। इस उम्र में थोप दी जाती है पढ़ाई। घर आकर रिवीजन का सिलसिला। घर में कोई आया है तो उसके सामने भी शुरु हो जाते हैं- 'बेटे ए बी सी डी सुनाओ...फलां पोयम सुनाओ....डांस दिखाओ.....गाना गाओ...' जैसी बातों का दबाव डालते रहते हैं।
पीटर पॉल एक्का को श्रद्धाजंलि
वर्धा कैंपस : आज महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के छात्र संगठन अम्बेडकर स्टूडेंट फोरम (ASF) की तरफ से आदिवासी साहित्य के वरिष्ठ कथाकार ‘पीटर पॉल एक्का’ को याद किया गया। जिनका हाल ही में 12 मार्च को निधन हो गया। इनकी रचनाओं में आदिवासी संघर्ष को बहुत संवेदनात्मक ढ़ंग से चित्रित किया गया है। इस श्रद्धाजंलि सभा में श्री पुरंदर दास ने इनसे जुड़े संस्मरण को सुनाया तथा पीटर पॉल एक्का ने अपने साहित्य में आदिवासियों के दर्द को किस तरह से उठाया है इस पर भी चर्चा की।
‘लिंगायत’ को अलग धर्म का दर्जा देने के मायने
कर्नाटक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायधीश नागामोहन दास समिति की सिफारिशों को मान्य करते हुए राज्य के कांग्रेस मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लिंगायुत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देना स्वीकार कर लिया है। सिद्धारमैया सरकार ने समिति की लिंगायुत समुदाय को अल्पसंख्यक वर्ग का दर्जा देने की सिफारिश भी मंजूर कर ली है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के पहले लिया गया यह निर्णय मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। राज्य में लिंगायत समाज अगड़ी जातियों में शामिल है और लंबे समय से मांग करता आ रहा था। इस समुदाय के लोगों की संख्या करीब 18 प्रतिशत है।