1.5.19

राफेल पर सुनवाई टालने की मांग खारिज, मोदी और शाह के खिलाफ याचिका पर मांगा जवाब, चुनाव आयोग ने पीएम को दी क्लीन चिट

जे.पी.सिंह

उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को तीन हाईप्रोफाइल मामलों की सुनवाई हुई जिसमें राहुल ने उच्चतम न्यायालय  के हवाले 'चौकीदार चोर है' कहने के लिए उच्चतम न्यायालय से माफ़ी मांग ली है । केंद्र सरकार  द्वारा  राफेल पर सुनवाई को करीब 4 हफ्ते के लिए टालने  के अनुरोध को अस्वीकृत करते हुये उच्चतम न्यायालय ने कहा कि केंद्र को अपना जवाब शनिवार तक देना होगा। इसके साथ ही न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए सोमवार की तारीख तय की। कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष  अमित शाह के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत पर उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है।इस बीच चुनाव आयोग ने पीएम नरेंद्र मोदी को सेना के नाम पर वोट मांगने के आरोपों पर क्लीन चिट दे दिया  है। आयोग ने कहा है कि पीएम मोदी ने आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया।



राफेल पुनर्विचार याचिका: सुनवाई टालने की मांग खारिज, 6 मई को सुनवाई

उच्चतम न्यायालय ने राफेल पर दाखिल पुनर्विचार याचिका की सुनवाई को टालने की केंद्र सरकार की मांग  को मानने से इनकार कर दिया है। इतना ही नहीं उच्चतम कोर्ट ने केंद्र से शनिवार तक जवाब दाखिल करने को कहा जिससे सोमवार को अगली सुनवाई हो सके। मामले की सुनवाई कर रही पीठ  में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय कौल और के एम जोसफ शामिल थे।

केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से  मांग की थी कि राफेल पर सुनवाई को करीब 4 हफ्ते के लिए टाल दिया जाए। कहा गया था कि याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए नए दस्तावेजों के हिसाब से जवाब तैयार करने में उन्हें करीब 4 हफ्ते का वक्त चाहिए। इसपर पीठ  ने कहा कि केंद्र को अपना जवाब शनिवार तक देना है। इसके साथ ही कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए सोमवार की तारीख तय की है।इससे पहले भी केंद्र सरकार ने मंगलवार की सुनवाई को टालने की भी गुजारिश की थी, जिसे उच्चतम न्यायालय ने नहीं माना था। हालांकि, कोर्ट ने केंद्र को अतिरिक्त हलफनामा दायर करने की अनुमति दी थी।

क्या है मामला

दस अप्रैल  को राफेल केस में फिर से सुनवाई की अनुमति उच्चतम न्यायालय ने दी थी। उच्चतम न्यायालय ने राफेल मामले में रिव्यू पिटिशन पर नए दस्तावेज के आधार पर सुनवाई का फैसला किया। तीनों जजों ने एक मत से दिए फैसले में कहा कि जो नए दस्तावेज डोमेन में आए हैं, उन आधारों पर मामले में रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई होगी।

मोदी और शाह के खिलाफ याचिका पर चुनाव आयोग से मांगा जवाब

कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी चीफ अमित शाह के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत पर उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। कांग्रेस सांसद ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल कर पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर कथित तौर पर हेट स्पीच और सशस्त्र बलों के राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप लगाया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग इस मसले पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। सुष्मिता देव असम के सिल्चर से कांग्रेस की सांसद हैं और पार्टी की महिला विंग की नैशनल प्रेजिडेंट भी हैं। चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की सदस्यता वाली बेंच ने इस मसले की अगली सुनवाई गुरुवार को करने का फैसला लिया है।

सुष्मिता ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग पर निष्क्रियता का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग की ओर से इन नेताओं के खिलाफ फैसला न लेना पक्षपातपूर्ण है। सांसद ने कहा था कि आयोग का यह रवैया चुनाव प्रक्रिया पर आघात जैसा है। याचिका में पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की कई रैलियों का जिक्र करते हुए कहा है कि उन्होंने कई मौकों पर आचार संहिता का उल्लंघन किया। सुष्मिता ने 1 अप्रैल को पीएम मोदी की महाराष्ट्र के वर्धा की रैली का जिक्र भी किया। यहां उन्होंने 'भगवा आतंकवाद' के मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधा था।

मोदी को क्लीन चिट, आचार संहिता का उल्लंघन नहीं

चुनाव आयोग ने पीएम नरेंद्र मोदी को सेना के नाम पर वोट मांगने के आरोपों पर क्लीन चिट दे दी है। आखिरकार मंगलवार को चुनाव आयोग ने हाई लेवल मीटिंग के बाद पीएम के खिलाफ शिकायत की जांच की और उन पर लगे आरोपों को खारिज किया।आयोग का मानना है कि उन्होंने रैली में भाषण देते हुए आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं किया।महाराष्ट्र के वर्धा में चुनावी रैली के दौरान उन पर आचार संहिता उल्लंघन करने का आरोप लगा था। कांग्रेस ने पीएम मोदी की चुनाव आयोग में शिकायत की थी। उनका आरोप था कि पीएम मोदी ने राहुल गांधी के केरल के वायनाड से चुनाव लड़ने पर अपरोक्ष रूप से सवाल उठाए थे। लेकिन आयोग ने पीएम का भाषण को सुनने के बाद उन्हें क्लीन चिट दे दी।

एक अप्रैल को महाराष्ट्र के वर्धा में चुनावी रैली के दौरान पीएम मोदी ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा था कि उन्हें वायनाड से चुनाव लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उस क्षेत्र में अल्पसंख्यकों का दबदबा है। पीएम मोदी ने कहा था, ''कांग्रेस ने हिंदुओं को बदनाम किया. लोगों ने उन्हें अब सजा देने का मन बना लिया है। उस पार्टी के नेता अब ऐसे क्षेत्रों से ना चुनाव लड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं जहां हिंदुओं की संख्या ज़्यादा है और इसलिए वो भाग कर के ऐसी जगह जा रहे हैं जहां देश का बहुसंख्यक अल्पसंख्यक है। वो वहां शरण लेने के लिए मजबूर हो गए हैं।

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