जे.पी.सिंह
कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया है और इसके बाद स्पीकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कर्नाटक में अब सत्ता पूरी तरह से भाजपा के हाथ में आ गई है और राजनितिक ड्रामें के एक अंक का पटाक्षेप हो गया है।लेकिन कर्नाटक के नाटक में सबसे बड़े लूजर फिलवक्त वे 17 बागी विधायक हैं, जो विधानसभा स्पीकर द्वारा ने केवल अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं बल्कि विधानसभा के कार्यकाल तक के लिए चुनाव लड़ने से वंचित कर दिए गए हैं। अब उनका येदियुरप्पा कैबिनेट में मंत्री बनने का सपना उच्चतम न्यायालय के पाले में चला गया है।स्पीकर के फैसले पर उच्चतम न्यायालय कोई राहत अयोग्य विधायकों को देता है या नहीं ,इस पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।
कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर केआर रमेश कुमार द्वारा अयोग्य ठहराए जाने और विधानसभा के कार्यकाल के दौरान चुनाव लड़ने देने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस के बागी विधायक उच्चतम न्यायालय पहुंच गए हैं। सोमवार को कांग्रेस के अयोग्य ठहराए गए बागी विधायकों रमेश जरकीहोली और महेश कुमाथली ने उच्चतम न्यायालय में इस संबंध में याचिका दायर की है।उन्होंने स्पीकर के आदेश को चुनौती दी है।
कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर केआर रमेश कुमार ने रविवार को बड़ा कदम उठाया था।स्पीकर ने कांग्रेस और जेडीएस के सभी 14 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। इस तरह कुल अयोग्य विधायकों की संख्या 17 हो गई है। इससे पहले स्पीकर ने 3 विधायकों को अयोग्य घोषित किया था। स्पीकर रमेश कुमार ने यह भी घोषणा की थी कि अयोग्य घोषित किए गए सभी विधायक विधानसभा का 15वां कार्यकाल खत्म होने के बाद ही चुनाव लड़ सकेंगे। विधानसभा का कार्यकाल 2023 तक है। इसका मतलब है कि तबतक अयोग्य विधायक विधानसभा का उपचुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। अयोग्य घोषित किए गए विधायकों में कांग्रेस के बागी विधायक श्रीमंत पाटिल, रोशन बेग, आनंद सिंह, एच विश्वनाथ, एसटी सोमशेखर प्रमुख नाम हैं।
स्पीकर रमेश कुमार ने व्यवस्था दिया कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य करार दिए गए सदस्य ना तो चुनाव लड़ सकते हैं, ना ही सदन का कार्यकाल खत्म होने तक विधानसभा के लिए निर्वाचित हो सकते हैं। स्पीकर ने कहा कि वह मानते हैं कि तीनों सदस्यों ने स्वेच्छा और सही तरीके से इस्तीफा नहीं दिया और इसलिए उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया और दल-बदल कानून के तहत उन्हें अयोग्य ठहराने की कार्रवाई की। स्पीकर ने कहाकि विधायकों ने संविधान (दलबदल विरोधी कानून) की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन किया और इसलिए अयोग्य करार दिए गए।’
पूरे घटनाक्रम के दौरान लगातार विवादों में रहने वाले और जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के 17 विधायकों को अयोग्य करार वाले के.आर. रमेश ने स्पीकर के पद से अपना इस्तीफा दे दिया।इस्तीफा देते हुए के.आर. रमेश ने कहाकि मेरी तरफ से अगर कोई गलती हुई हो तो प्लीज उसे भूल जाएं। मैं ऐसा सोचता हूं कि यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
कांग्रेस-जेडीएस के 16 विधायकों ने अपनी पार्टी से विद्रोह करते हुए इस्तीफा दे दिया था, जबकि सरकार को समर्थन कर रहे एक निर्दलीय ने भी इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कुमारस्वामी सरकार बहुमत साबित करने में असफल रही थी।
कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया है और इसके बाद स्पीकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कर्नाटक में अब सत्ता पूरी तरह से भाजपा के हाथ में आ गई है और राजनितिक ड्रामें के एक अंक का पटाक्षेप हो गया है।लेकिन कर्नाटक के नाटक में सबसे बड़े लूजर फिलवक्त वे 17 बागी विधायक हैं, जो विधानसभा स्पीकर द्वारा ने केवल अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं बल्कि विधानसभा के कार्यकाल तक के लिए चुनाव लड़ने से वंचित कर दिए गए हैं। अब उनका येदियुरप्पा कैबिनेट में मंत्री बनने का सपना उच्चतम न्यायालय के पाले में चला गया है।स्पीकर के फैसले पर उच्चतम न्यायालय कोई राहत अयोग्य विधायकों को देता है या नहीं ,इस पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।
कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर केआर रमेश कुमार द्वारा अयोग्य ठहराए जाने और विधानसभा के कार्यकाल के दौरान चुनाव लड़ने देने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस के बागी विधायक उच्चतम न्यायालय पहुंच गए हैं। सोमवार को कांग्रेस के अयोग्य ठहराए गए बागी विधायकों रमेश जरकीहोली और महेश कुमाथली ने उच्चतम न्यायालय में इस संबंध में याचिका दायर की है।उन्होंने स्पीकर के आदेश को चुनौती दी है।
कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर केआर रमेश कुमार ने रविवार को बड़ा कदम उठाया था।स्पीकर ने कांग्रेस और जेडीएस के सभी 14 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। इस तरह कुल अयोग्य विधायकों की संख्या 17 हो गई है। इससे पहले स्पीकर ने 3 विधायकों को अयोग्य घोषित किया था। स्पीकर रमेश कुमार ने यह भी घोषणा की थी कि अयोग्य घोषित किए गए सभी विधायक विधानसभा का 15वां कार्यकाल खत्म होने के बाद ही चुनाव लड़ सकेंगे। विधानसभा का कार्यकाल 2023 तक है। इसका मतलब है कि तबतक अयोग्य विधायक विधानसभा का उपचुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। अयोग्य घोषित किए गए विधायकों में कांग्रेस के बागी विधायक श्रीमंत पाटिल, रोशन बेग, आनंद सिंह, एच विश्वनाथ, एसटी सोमशेखर प्रमुख नाम हैं।
स्पीकर रमेश कुमार ने व्यवस्था दिया कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य करार दिए गए सदस्य ना तो चुनाव लड़ सकते हैं, ना ही सदन का कार्यकाल खत्म होने तक विधानसभा के लिए निर्वाचित हो सकते हैं। स्पीकर ने कहा कि वह मानते हैं कि तीनों सदस्यों ने स्वेच्छा और सही तरीके से इस्तीफा नहीं दिया और इसलिए उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया और दल-बदल कानून के तहत उन्हें अयोग्य ठहराने की कार्रवाई की। स्पीकर ने कहाकि विधायकों ने संविधान (दलबदल विरोधी कानून) की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन किया और इसलिए अयोग्य करार दिए गए।’
पूरे घटनाक्रम के दौरान लगातार विवादों में रहने वाले और जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के 17 विधायकों को अयोग्य करार वाले के.आर. रमेश ने स्पीकर के पद से अपना इस्तीफा दे दिया।इस्तीफा देते हुए के.आर. रमेश ने कहाकि मेरी तरफ से अगर कोई गलती हुई हो तो प्लीज उसे भूल जाएं। मैं ऐसा सोचता हूं कि यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
कांग्रेस-जेडीएस के 16 विधायकों ने अपनी पार्टी से विद्रोह करते हुए इस्तीफा दे दिया था, जबकि सरकार को समर्थन कर रहे एक निर्दलीय ने भी इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कुमारस्वामी सरकार बहुमत साबित करने में असफल रही थी।
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