पुनर्विचार की वजह बताए कानून मंत्रालय : सुप्रीमकोर्ट
जे.पी.सिंह
उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने कानून मंत्रालय से यह बताने को कहा है कि वह आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर पुनर्विचार क्यों करे? भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने 8 जुलाई को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर वर्तमान में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस विक्रम नाथ की आंध्र प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए सरकार से उन कारणों को बताने के लिए खा है जिसके आधार पर पुनर्विचार किया जाये।
दरअसल सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस विक्रम नाथ को पदोन्नत कर आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की सिफारिश पर उससे पुनर्विचार करने को कहा है। पिछले महीने न्यायामूर्ति विक्रम नाथ की फाइल लौटाते हुए सरकार ने कोई वजह नहीं बताई। कॉलेजियम की सिफारिश लौटाने की मौजूदा सरकार की शायद यह पहली सिफारिश है। भाजपा नीत पूर्ववर्ती सरकार ने कॉलेजियम की कई सिफारिशें लौटाई थीं।
गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने आठ अप्रैल को यह सिफारिश की थी कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति नाथ को पदोन्नत कर आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया जाए। उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार सिफारिश में खा गया था कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किये जाने के लिए न्यायमूर्ति विक्रम नाथ को कॉलेजियम सभी पहलुओं से योग्य पाता है।साथ ही यह भी कहा था कि एक अलग उच्च न्यायालय के गठन के बाद आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय स्थापना के समय से खाली पड़ा है। न्यायमूर्ति सी प्रवीण कुमार वर्तमान मेंकार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे हैं।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 17 जुलाई को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया था कि इस साल नौ उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों के पदों के लिए कॉलेजियम द्वारा की गई नौ में सात सिफारिशें स्वीकार कर ली गई हैं, जबकि दो नाम प्रक्रिया के विभिन्न चरणों के तहत हैं।सात हाई कोर्ट (छत्तीसगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मेघालय, राजस्थान और तेलंगाना) में मुख्य न्यायाधीशों के नामों को स्वीकृति दे दी गई है।उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के तौर पर नियुक्तियों के दो प्रस्ताव प्रक्रिया पत्र (एमओपी) के प्रावधानों के तहत प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।लेकिन इस बीच न्यायमूर्ति नाथ की फाइल लौटा दी गई है जबकि न्यायमूर्ति अकील कुरैशी को पदोन्नत कर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए जाने पर सरकार द्वारा कोई फैसला लिया जाना अभी बाकी है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के प्रस्ताव से संबंधित फाइल पुनर्विचार के लिए वापस भेज दी गई है। पुनर्विचार के प्रकार और कारणों का उल्लेख नहीं किया गया है। विश्वास किया जाता है कि मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने कानून मंत्रालय को इस संबंध में पत्र लिखा है। गौरतलब है कि कानून मंत्री के रूप में अपने नए कार्यकाल की शुरुआत करते हुएरवि शंकर प्रसाद ने कहा था कि उनका मंत्रालय डाकघरकी तरह नहीं होगा, बल्कि न्यायिक नियुक्तियों में एक हितधारक’ होगा।
प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.
जे.पी.सिंह
उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने कानून मंत्रालय से यह बताने को कहा है कि वह आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर पुनर्विचार क्यों करे? भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने 8 जुलाई को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर वर्तमान में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस विक्रम नाथ की आंध्र प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए सरकार से उन कारणों को बताने के लिए खा है जिसके आधार पर पुनर्विचार किया जाये।
दरअसल सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस विक्रम नाथ को पदोन्नत कर आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की सिफारिश पर उससे पुनर्विचार करने को कहा है। पिछले महीने न्यायामूर्ति विक्रम नाथ की फाइल लौटाते हुए सरकार ने कोई वजह नहीं बताई। कॉलेजियम की सिफारिश लौटाने की मौजूदा सरकार की शायद यह पहली सिफारिश है। भाजपा नीत पूर्ववर्ती सरकार ने कॉलेजियम की कई सिफारिशें लौटाई थीं।
गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने आठ अप्रैल को यह सिफारिश की थी कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति नाथ को पदोन्नत कर आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया जाए। उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार सिफारिश में खा गया था कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किये जाने के लिए न्यायमूर्ति विक्रम नाथ को कॉलेजियम सभी पहलुओं से योग्य पाता है।साथ ही यह भी कहा था कि एक अलग उच्च न्यायालय के गठन के बाद आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय स्थापना के समय से खाली पड़ा है। न्यायमूर्ति सी प्रवीण कुमार वर्तमान मेंकार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे हैं।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 17 जुलाई को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया था कि इस साल नौ उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों के पदों के लिए कॉलेजियम द्वारा की गई नौ में सात सिफारिशें स्वीकार कर ली गई हैं, जबकि दो नाम प्रक्रिया के विभिन्न चरणों के तहत हैं।सात हाई कोर्ट (छत्तीसगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मेघालय, राजस्थान और तेलंगाना) में मुख्य न्यायाधीशों के नामों को स्वीकृति दे दी गई है।उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के तौर पर नियुक्तियों के दो प्रस्ताव प्रक्रिया पत्र (एमओपी) के प्रावधानों के तहत प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।लेकिन इस बीच न्यायमूर्ति नाथ की फाइल लौटा दी गई है जबकि न्यायमूर्ति अकील कुरैशी को पदोन्नत कर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए जाने पर सरकार द्वारा कोई फैसला लिया जाना अभी बाकी है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के प्रस्ताव से संबंधित फाइल पुनर्विचार के लिए वापस भेज दी गई है। पुनर्विचार के प्रकार और कारणों का उल्लेख नहीं किया गया है। विश्वास किया जाता है कि मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने कानून मंत्रालय को इस संबंध में पत्र लिखा है। गौरतलब है कि कानून मंत्री के रूप में अपने नए कार्यकाल की शुरुआत करते हुएरवि शंकर प्रसाद ने कहा था कि उनका मंत्रालय डाकघरकी तरह नहीं होगा, बल्कि न्यायिक नियुक्तियों में एक हितधारक’ होगा।
प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.
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