वैसे तो नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स को संघ के विचारधारा से प्रभावित पत्रकारों का अखाड़ा माना जाता है मगर इन दिनों इसे पूरी तरह संघ का जेबी संगठन बनाने की पटकथा पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर और दिल्ली प्रदेश के संघ के पूर्व प्रचार प्रमुख राजीव तूली लिख रहे हैं। पिछले दिनों इस संगठन के एक धड़े ने प्रभात प्रकाशन के साथ मिलकर 'ब्लीडिंग बंगाल' नाम से एक पुस्तक का अंग्रेजी में प्रकाशन किया है।
भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नवजागरण का प्रतीक बंगाल आज रक्त-रंजित तो है मगर "हा हा कारी" और "जय जयकारी" पत्रकारिता के इस दौर में एक पक्षीय डाटा शोध के नाम पर पुस्तक रूप में छाप देना पत्रकारों के इस संगठन को कहाँ और किस ओर ले जा रहा है। आप सोचिये जबकि पत्रकारों के इस संगठन को बंगाल के इस अराजक समय का सच सामने लाना चाहिए था।
ऐसे अनेक सवालों के साथ यह पुस्तक बंगाल के खूनी विमर्श को उजागर करने में कितना सफल है या विफल.. हां, पत्रकार संगठन का संघ का जेबी संगठन बनने का क्रम जरूर जारी है.
Manoj Kanak
manojkanak@gmail.com
भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नवजागरण का प्रतीक बंगाल आज रक्त-रंजित तो है मगर "हा हा कारी" और "जय जयकारी" पत्रकारिता के इस दौर में एक पक्षीय डाटा शोध के नाम पर पुस्तक रूप में छाप देना पत्रकारों के इस संगठन को कहाँ और किस ओर ले जा रहा है। आप सोचिये जबकि पत्रकारों के इस संगठन को बंगाल के इस अराजक समय का सच सामने लाना चाहिए था।
ऐसे अनेक सवालों के साथ यह पुस्तक बंगाल के खूनी विमर्श को उजागर करने में कितना सफल है या विफल.. हां, पत्रकार संगठन का संघ का जेबी संगठन बनने का क्रम जरूर जारी है.
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