17.7.19

मूडीज ने मोदी सरकार को दे दिया संदेश- झूठी आंकड़ेबाजी से जनता को उल्लू बनाइये, हमें बेवकूफ न समझिए!

Girish Malviya : कुछ बेहद महत्वपूर्ण आर्थिक खबरें पिछले दिनों आई है एक नजर डाल लीजिए. पहली खबर तो यह है कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की मोदी सरकार को साफ साफ चेतावनी दी है. आसान भाषा में उसकी बातों का यह मतलब निकाला जा सकता है कि झूठी आंकड़ेबाजी से आप देश की जनता को ही उल्लू बनाइये, हमे बेवकूफ मत समझिए ऐसे आंकड़ो से खतरा देश की साख को है.

मूडी का कहना है कि ''कमजोर ग्रोथ संभावनाओं के चलते भारत सरकार के राजकोषीय मजबूती के प्रयासों को झटका लग सकता है. इसका सरकारी साख गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है.''

दरअसल सरकार ने जो बजट पेश किया है इसमें राजकोषीय घाटे को वर्ष के दौरान 3.3 फीसदी पर नियंत्रित रखने का अनुमान लगाया गया है. इससे पहले फरवरी में पेश अंतरिम बजट में इसके 3.4 फीसदी पर रहने का बजट अनुमान रखा गया था. जबकि हम जानते है कि सीएजी ने पाया है कि कई खर्च (ग्रामीण विकास, बुनियादी ढांचा, खाद्य सब्सिडी) बजट घाटे में शामिल नहीं किए गए है पेट्रोलियम, सड़क, रेलवे, बिजली, खाद्य निगम के कर्ज भी आंकड़ों में छिपाए गए. सच तो यह है कि पिछले साल का राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.7 फीसद है, 3.3 फीसद नहीं!

यानी यह बात मूडीज भी समझ रहा है कि इस साल ग्रोथ की कोई संभावना नही है और सरकार इस बार भी झुठ बोल रही है इसलिए सीधे सरकारी साख पर ही सवाल उठा रहा है.

दूसरी खबर यह है कि मार्केट रिसर्च फर्म आईएचएस मार्किट की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बिजनेस सेंटीमेंट 3 साल के निचले स्‍तर पर है. इसका अर्थ यह है कि देश में कारोबार को लेकर कारोबारियों या कंपनियों का भरोसा कमजोर हुआ है.कारोबारी देश की हालत को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं. इनकी सबसे अहम चिंता अर्थव्यवस्था की सुस्ती, सरकारी नीतियां और पानी की कमी को लेकर है. निजी क्षेत्र की कंपनियों के उत्पादन का आंकड़ा फरवरी के 18 फीसदी से घटकर जून में 15 फीसदी पर आ गया. यह जून, 2016 के और अक्टूबर, 2009 के आंकड़े के बराबर है.

ओर हम बात करते है ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स की, जिसके अब 77वे पायदान पर आने वाले के ढोल पीटे जाते हैं, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का अचार डालियेगा क्या? जब आपके यहाँ का 'बिजनेस सेंटीमेंट' ही खतरे में आ गया है!

तीसरी महत्वपूर्ण खबर देश इम्पोर्ट एक्सपोर्ट से जुड़ी हुई है पिछले आठ महीने से निर्यात का ग्रोथ सुस्त था, लेकिन जून के दौरान इसमें पहली बार गिरावट देखी गई जून में भारत का निर्यात महज 25.01 अरब डॉलर रहा, जबकि साल 2018 के जून महीने में देश का निर्यात 27.70 अरब डॉलर था. बीते साल के मुकाबले 9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है इसके साथ आयात भी घटा है यह साफ संकेत है कि खपत में कमी आ रही है और देश मंदी क़े जाल में उलझ गया है। जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की इकनॉमिक ग्रोथ 5.8 फीसदी रही, जो बीते 5 सालों में सबसे कम थी। बाकी आप हिन्दू मुस्लिम बहस करते रहिए...


इंदौर के विश्लेषक गिरीश मालवीय की एफबी वॉल से.

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