12.12.19

राजनेताओं ने बनाया है हिंदू और मुस्लिम के बीच का चक्रव्यूह....


आखिर कब खत्म होगी हिंदू और मुस्लिम के बीच की नफरत की आग

हम इस धरती में जन्म भी लेते हैं इसी मिट्टी के होकर भी रह जाते हैं. हम सबको इस बात का तो पता है कि  मरना तो हमने एक न एक दिन है ही, मगर फिर भी धर्म जाति  और समुदाय  को लेकर आपस में लड़ते झगड़ते रहते हैं आखिर मरने के बाद भी क्यों नहीं खत्म होती ये हिंदू और मुस्लिमों के बीच की नफरत  की आग ! हम तो इस संसार को छोड़कर चले जाते हैं फिर भी बना जाते हैं इस नफरत की दीवार को....मुस्लिमों को लेकर इस समय भारत देश में जो नफरत की आग पैदा हो चुकी है या पहले से ही थी, ऐसा भी कह सकते हैं कि आप हिंदू मुस्लिमों के भेदभाव के जिस चक्रव्यूह में भारत के लोग फंसे हुए हैं. ऐसा लगता है कि कभी समाप्त ही नहीं होगी.


राजनीतिक पार्टीया कभी नहीं चाहेगी कि हिंदू और मुस्लिम कभी एक साथ हो, अगर ऐसे ही हीन भावना एक दूसरे के प्रति रखा गया तो यह मानव जीवन के लिए बहुत ही घातक सिद्ध हो सकता है यानी कि भारत के भविष्य के लिए खतरा बन सकता है जो कि बना ही हुआ है. इतिहास के छात्र भी इतिहास मत पढ़िए क्या करेंगे ब्याज पड़ता है क्योंकि आप भी इतिहास के बातों को याद करके नफरत की आग में इस कदर डूब जाएंगे कि भूल ही जाओगे  आप भी इंसान हैं. या तो इतिहास के किताबों को ही नष्ट कर देना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी इतिहास को ना ही जाने , ना ही समझे जिस वजह से इतिहास कीनबातों को ही याद नहीं किया जाएगा. मगर ऐसा भी नहीं कर सकते इतिहास पढ़ना भी हर भारतवासियों का हक है वह अलग बात है कि पढ़कर उसी बात को जिंदगी भर घिसाते रहे.

भारत की मौजूदा सरकार जो कि अपने आप को कट्टर हिंदू राष्ट्रवाद सरकार बताती है या अपने आप को अपने किए गए कर्मों द्वारा इशारे मे ही समझाती है कि वह मुस्लिम विरोधी सरकार है. अभी हाल ही में  नागरिक  संशोधन  बिल को लेकर भाजपा सरकार ने  एक बार फिर से इस बात को जाहिर कर दिया कि उसका मुस्लिमों के प्रति  जो हीन भावना है वह  कभी नहीं समाप्त करेगी. क्योंकि एनआरसी में  मुस्लिम समुदाय का जिक्र तक नहीं है.एनआरसी में मुस्लिम समुदाय को दूर रखा गया है  ऐसा लगता है मानो मुस्लिम इंसान ही ना हो. सरकार और आप लोगों के इस असमंजस को दूर करने के लिए की  मुस्लिम पहले एक इंसान है उसके बाद हिंदुस्तानी है, फिर देशभक्त, बाद मे मुसलमान है, क्योंकि पैदा होते ही कोई मुसलमान नहीं होता, कोई किसी धर्म का नहीं होता. इसके लिए मुस्लिमों के इतिहास को जानना बेहद जरूरी है. इस लेख का मतलब किसी भी जाति और धर्म के लोगों की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है इसका मतलब केवल एक इंसानियत का वह संदेश देना है और उस नफरत की आप को खत्म करना है जो आज के समय में हिंदू और मुस्लिमों के बीच में दीवार बनी हुई है.

आखिर कौन है यह मुस्लिम ? कहां से यह आए हैं, क्या मुस्लिम यही के ही थे.

भारत में जितने भी आज मुस्लिम है मौजूदा समय की बात करें तो वह भारतीय नस्ल के हैं प्रसिद्ध इतिहासकार यदुनाथ सरकार ने अपने चार खंड वाली पुस्तक 'फॉल ऑफ द मुगल एंपायर' में लिखा है की 1857 तक भारत में ईरान तुर्कमेनिस्तान और अफ़गानिस्तान वगैरह से लगभग 10 से 12,000 मुस्लिम ही आए थे. बाकी आज जितने भी मुस्लिम हैं उनके पूर्वज हिंदू थे. जिन्होंन मजबूरी में  इस्लाम कबूल किया था.


इसका दोष भी हिंदू धर्म को जाता है क्योंकि हिंदू धर्म तो खुद ही भेदभाव करने वाला हिंदुओं को प्रताड़ित करता था. मानसिक रूप से प्राचीन समय से ही परेशान करता था, छोटे काम करने वालों को शूद्र यानी अछूत मानकर ना अपने मंदिरों में पूजा करने देते थे, ना कुआं से पानी लेने देते थे इनके भेदभाव के रवैया से ऐसा लगता  है कि मानो  यह  सीधा  इंद्रलोक से पृथ्वी पर आए हैं और  जो शुद्र जिन्हें अछूत समझते थे वह ही पृथ्वी पर जन्मे हैं.वे उन्हें इंसान नहीं समझते थे.


ऐसा मैं नहीं कह रहा इनके किए गए कर्मों से ही पता चलता है यानी कि मेरा इसमें कोई मत नहीं है उन्होंने जो किया है उसी बात को उजागर कर रहा हूं. उदाहरण के लिए भीमराव अंबेडकर ने हिंदुओं के इसी भेदभाव से तंग आकर बुद्ध धर्म में अपनी आस्था दिखाई. क्योंकि बुद्धिज्म में किसी भी तरह का भेदभाव बिल्कुल भी नहीं है बुद्धम में इंसान को इंसान ही समझा जाता है और हर इंसान को एक ही नजर से देखा जाता है.


कैसे हुआ मुस्लिमों का भारत में आवागमन

जब मुस्लिम हमला करने भारत आए तो यहां के यह छोटे काम करने वाले उनकी फौज में काम करने लगे.  उन्होने देखा कि मुस्लिम छुआछूत नहीं बरततें, एक बर्तन से पानी पीते हैं एक रोटी से टुकड़ा तोड़ कर खाते हैं जो मुसलमान हो जाता है वह हम प्याला हम निवाला हो जाता है, मस्जिद में जाकर सबसे साथ नमाज पढ़ सकता है उनके हाथ का बना खाना सब खाते हैं, यह देखकर कि हिंदुओं की सेवा करने के बावजूद हिंदू उन्हें नहीं अपनाते इंसान नहीं मानते , इस्लाम की तरफ झुकने लगे जो कि उस वक्त की स्थिति के लिहाज से बिल्कुल जायज भी था.जब हिंदू मंदिर में नहीं घुसने दे रहे थे तो वह शूद्र जाति के लोग क्या करते उस वक्त की स्थिति  का अंदाजा  हिंदुओं के कट्टर पनती को  बताती है. ठीक है शुरू में उन्हें बंदी बना कर जबरदस्ती मुसलमान बनाया गया था. लेकिन अकबर के राज्य के बाद लोग अपनी मर्जी से और अपनी जून सुधारने के लिए कन्वर्ट होते गए यह ऐसे ही हुआ जैसे आजकल अनुसूचित जाति वाले बौद्ध धर्म अपना रहे हैं क्योंकि आज तक हिंदू धर्म में उन्हें पूरी तरह नहीं अपनाया गया है. इसलिए भारत के मुसलमानों को विदेशी मूल के बराबर बाबर की औलाद कहना अज्ञानता है मुस्लिमों को भी इस बात की बेतुकी नहीं दिखानी चाहिए कि उन्होंने 400 साल तक हिंदुस्तान पर राज किया. क्योंकि मुसलमान बादशाहो ने कुछ को राजा या जागीरदार के खिलाब तो दिए. लेकिन वह भी इसलिए कि वह किसानों से मालगुजारी वसूल करके उनके खजानों में मालगुजारी जमा कराते रहें. लड़ाई के समय सिपाही रसद ओर हाथी घोड़े देकर उन्हें लड़ाई जीतने में मदद दे. लेकिन उन्होंने भारतीय मूल के मुसलमानों को किसी भी तरह से इस काबिल नहीं नहीं बनाया. बल्कि राजपूतों को ऊंचे पद दिए.इसका कारण यह था कि मुगल बादशाह अपनी और अपने किलो की हिफाजत के लिए राजपूत हिंदू सरदारों को अपने रक्षक बनाते थे क्योंकि उन्हें बाहर के या यहां के मुस्लिमों पर भरोसा नहीं था उल्टा उनके बेटे बगावत करते अपने भाइयों को मरवाते और बाप तक को गद्दी से उतारकर कैद खाने में डाल देते थे.

उदाहरण के लिए: अलाउद्द्दीन खिलजी ने गद्दी पाने के लिए अपने चाचा को मरवा दिया था.

 औरंगजेब को कौन नहीं जानता क्योंकि यह बादशाह साहब मशहूर भी अपने किए गए घिनौने अपराधों से हैं जो कि सुनकर रूह कांप जाती है.औरंगजेब ने गद्दी पाने के लिए अपने सभी भाइयों को मरवा दिया था और पिता शाहजहां को जेल में डाल दिया पिता शाहजहां चाहते थे कि उनका बड़ा बेटा दाराशिकोह गद्दी पर बैठे दाराशिकोह उपनिषद, पुराण तथा अन्य हिंदू धार्मिक ग्रंथों का ज्ञाता था, हर कोई यही चाहता था कि दाराशिकोह उनका बादशाह बने क्योंकि वह नरम दिल का था और धार्मिक ग्रंथों में रुचि होने की वजह से हिंदू और मुस्लिम को एक समान की दृष्टि से देखता था. औरंगजेब अपने आपको जताते हुए अपने भाई से खफा उस को मौत के घाट उतार दिया.

गयासुद्दीन तुगलक द्वारा बंगाल अभियान के लौटते समय तुग़लकाबाद के समीप लकड़ी के महल में प्रवेश करते वक्त उनके ऊपर पूरा महल गिर गया था जिस वजह से उनकी मौत हो गई.उनकी मौत का पूरा श्रेय उनके बेटे जूना खां (मोहम्मद बिन तुगलक) पर जाता है इस बेटे द्वारा पिता को मरवाने के षड्यंत्र की पुष्टि इबनबतूता ने की थी.

इन जानवर को भी नहीं पता होता कि कौन से धर्म का व्यक्ति खाएगा तो फिर हम क्यों  एक दूसरे के प्रति हीन भावना को रखें.हिंदू और मुस्लिमों के नफरत की भावना को खत्म करने के लिए सभी हिंदू और मुस्लिमो को एक साथ आना पड़ेगा क्योंकि जब तक  इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे कि उनके पूर्वजों द्वारा जो घिनौने अपराध किए गए हैं उनमें इनका कोई दोष नहीं है और ना ही वह इन सब बातों को सोच कर अभी भी अपना समय जाया करें अगर दोष हाय भी तो इस वक्त के राजनीतिक पार्टियों का है जो पुरानी बातों को फिर से जिंदा कर कर नफरत किया फैला रहे हैं राजनीतिक पार्टी के इस गंदे खेल को सभी हिंदू और मुस्लिम को समझना बेहद अनिवार्य है. ना की हिंदू मुस्लिम के खेल में फंसकर राजनीति करने वालों को उन पर अधिकार करने का मौका देना चाहिए अब समय आ गया है कि हिंदू मुस्लिमों को जागृत होने की आवश्यकता है.

उम्मीद है कि आपको मेरे इस लेख में ऐसी जानकारियों से अवगत हुए होंगे जो आपकी सोच को सही रास्ते पर ले जाएगी. हालांकि मैं अपनी सोच किसी पर थोप नहीं रहा हूं मेरा मकसद केवल सच्चाई से रूबरू करवाना है दिमाग तो आपके पास है ही. आप समझे या ना समझे यह तो आपने तय करना है मैंने नहीं !

प्रवेश चौहान ( दिल्ली विश्वविद्यालय)
praveshchauhan405@gmail.com


 

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